Target Killing In Kashmir : हजारों श्रमिकों पर रोजगार का संकट, छोड़ सकते हैं कश्मीर

Target Killing In Kashmir श्रीनगर निवासी अतीक हुसैन का कहना है कि कश्मीर में कई प्रदेशों के लोग रह रहे हैं। ये हमारी बहुत से कामों में मदद करते हैं। कश्मीर का ही हिस्सा बन गए हैं। ऐसे में कोई नहीं चाहता कि यहां से कोई भी जाए।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 07:48 AM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 08:59 AM (IST)
Target Killing In Kashmir : हजारों श्रमिकों पर रोजगार का संकट, छोड़ सकते हैं कश्मीर
कश्मीर में रह रहे अन्य प्रदेशों के लोगों में दहशत पनपने लगी और कुछ परिवारों ने पलायन भी किया।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : कश्मीर में अन्य प्रदेशों से आकर रह रहे हजारों श्रमिकों के रोजगार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कुछ सप्ताह से चुन-चुन कर ऐसे लोगों की हो रही हत्याओं के बाद उनमें दहशत है। कई श्रमिक कश्मीर से पलायन करने के लिए विवश हो रहे हैं। कश्मीर के इन हालात ने स्थानीय लोगों की चिंता को भी बढ़ा दिया है। उन्हें भी यह डर है कि अगर यहां फिर बड़े स्तर पर पलायन हुआ तो इसका खमियाजा सभी को भुगतना पड़ेगा। विशेषज्ञों का भी कहना है कि यह लोग पलायन न करें, इसके लिए सरकार को पुख्ता कदम उठाने के अलावा इंटेलिजेंस को बढ़ाना चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं न हों।

कश्मीर में इस समय एक लाख से अधिक श्रमिक ऐसे हैं जो कि अन्य प्रदेशों से आकर रह रहे हैं। बढ़ई, निर्माण कायों, कृषि, बागवानी से लेकर मजदूरी तक का यह लोग काम करते हैं। एक हजार के करीब लोग तो सिर्फ श्रीनगर में रेहड़ियां लगाते हैं। कश्मीर के लोग कई कामों के लिए इन्हीं पर निर्भर हैं। कुछ दिनों से आतंकियों ने इन लाेगों को चुन-चुनकर निशाना बनाना शुरू किया है। एक दिन पहले शनिवार को भी उत्तर प्रदेश और बिहार के दो लोगों की आतंकियों ने हत्या कर दी। इनमें एक गोल गप्पे बेचने का काम करता था तो दूसरा बढ़ई था। पहले भी आतंकियों ने गोल गप्पे कीे रेहड़ी लगाने वाले को गोली मारी थी। इसके बाद दो शिक्षकों को निशाना बनायाथा। इसके बाद कश्मीर में रह रहे अन्य प्रदेशों के लोगों में दहशत पनपने लगी और कुछ परिवारों ने पलायन भी किया।

अब एक बार फिर से हुए हमलों के बाद फिर हालात पहले जैसे बन रहे हैं। उनहें डर यह सता रहा है कि कहीं आतंकी उन्हें निशाना न बना दें। हालांकि पुलिस ने इन घटनाओं के बाद पिछली बार सैकड़ों संदिग्धों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था लेकिन बावजूद इसके आतंकी घटनाएं कम होने से लोग चिंतित है। उनका कहना है कि रोजगार से अधिक जिंदगी मायने रखती है। अगर जिंदगी रहेगी तो काम कहीं पर भी ढूंढ लेंगे। श्रीनगर में ही रेहड़ी लगाने वाले सहजानंद बिहार के रहने वाले हैं। वह अपने परिवार के साथ दस साल से श्रीनगर में रह रहे हैं। उनका कहना है कि कुछ दिनों से रेहड़ी नहीं लगाई है। सलीम उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। वह भी श्रीनगर मेंही रह रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले सप्ताह उनके जानने वाले दो परिवार वापस गांव लौट गए थे। अब उन्हें भी डर सता रहा है। उनका कहना है कि यहां पर हजारों की संख्या में लोग उनके प्रदेश के हैं। सरकार तो कह रही है कि कुछ नहीं होगा लेकिन डर बहुत है।

श्रीनगर व अन्य कई जिलों में रह रहे उत्तर प्रदेश, बिहार सहित कई प्रदेशों के लोग बात करने से भी कतरा रहे हैं। उनका कहना है कि पहले ऐसा नहीं होता था लेकिन अब तो घर से निकलते भी डर लगता है। हालांकि स्थानीय लोग यह नहीं चाहते हैं कि कोई भी कश्मीर से बाहर जाए। कारण स्पष्ट है कि कश्मीर में खेती से लेकर बागवानी तक में इन लोगों की अहम भूमिका है। नाई तक की दुकानें यही करते हैं। श्रीनगर के स्थानीय निवासी अतीक हुसैन का कहना है कि कश्मीर में कई प्रदेशों के लोग रह रहे हैं। यह लोग हमारी बहुत से कामों में मदद करते हैं। कश्मीर का ही हिस्सा बन गए हैं। ऐसे में कोई नहीं चाहता कि यहां से कोई भी जाए। इससे हर कोई प्रभावित होगा।

जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व महानिदेशक डा. एसपी वैद का कहना है कि कड़ी सुरक्षा व्यवस्था होने के बावजूद इन लोगों पर हमले होना कहीं न कहीं इंटेलीजेंस की विफलता है। ऐसी घटनाओं से अन्य प्रदेशों के कश्मीर में रह रहे लोगों में भय पैदा होगा। इससे कश्मीर के आम आदमी को भी तकलीफ होगी। उन्होंने कहा कियी लोग कश्मीर में रेहड़ी लगाने सेे लेकर बढ़ई का काम करते हें। कृषि, बागवानी में भी अहम भूमिका है। अगर इन लोगों में दहशत बढ़ी और पलायन हुआ तो इससे कश्मीर के लोगों की जिंदगी दुभर हो जाएगी। पलायन न हो, इसके लिए सरकार को जरूरी कदम उठाने चाहिए।

वहीं कश्मीर के आइजीपी विजय कुमार का कहना है कि हर किसी को सुरक्षा देना संभव नहीं है। लेकिन जिन क्षेत्रों में यह लोग रह रहे हैं, उन क्षेत्रों की निगरानी बढ़ाई गई है।

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