Swarnim Vijay Mashaal : वीरों का उत्साह बढ़ाने सियाचिन में 22 हजार फीट पर पहुंची विजय मशाल

विजय मशाल 22 हजार फीट की ऊंचाई पर बाना पोस्ट पर पहुंची तो तैनात जवानों का उत्साह सातवें आसमान पर पहुंच गया। वर्ष 1987 में दुर्गम हालात में इस पोस्ट को जीतने के लिए असाधारण बहादुरी का परिचय देते हुए कैप्टन बाना सिंह ने परमवीर चक्र पद हासिल किया था।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 09:06 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 09:06 PM (IST)
Swarnim Vijay Mashaal : वीरों का उत्साह बढ़ाने सियाचिन में 22 हजार फीट पर पहुंची विजय मशाल
सियाचिन ग्लेशियर में पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के स्वर्णिम विजय वर्ष में सेना की विजय मशाल ने विश्व के सबसे ऊंचे युद्ध स्थल सियाचिन ग्लेशियर में पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। मंगलवार को विजय मशाल 22 हजार फीट की ऊंचाई पर बाना पोस्ट पर पहुंची तो वहां तैनात जवानों का उत्साह सातवें आसमान पर पहुंच गया। वर्ष 1987 में दुर्गम हालात में इस पोस्ट को जीतने के लिए असाधारण बहादुरी का परिचय देते हुए कैप्टन बाना सिंह ने परमवीर चक्र पद हासिल किया था।

सियाचिन में खून जमाने वाली ठंड में तैनात जवानों के लिए उत्साह लेकर पहुंची विजय मशाल को इंदिरा कोल इलाके में ले जाया गया। यह जानकारी देते हुए श्रीनगर के पीआरओ डिफेंस लेफ्टिनेंट कर्नल एमरान मुसावी ने जागरण को बताया कि सियाचिन के इस उत्तरी इलाके में सेना के जवानों ने विजय मशाल को सलामी देकर देशवासियों को विश्वास दिलाया कि वे देश की रक्षा करने के लिए किसी भी प्रकार की कुर्बानी देने के लिए हरदम तैयार रहेंगे।

सियाचिन ग्लेशियर में खून जमाने वाली ठंड में सेना के जवान पाकिस्तान की साजिशों को नाकाम बनाने के लिए डटे हुए हैं। सेना की विजय मशाल करीब एक सप्ताह पहले कश्मीर से लद्दाख पहुंची थी। विजय मशाल को विश्व की सबसे ऊंची मोटरेबल सड़क खारदुंगला ले जाने से पहले इसे कारगिल में 17,730 फीट की उंचाई पर शोरबत ला इलाके में ले गया था। इस इलाके में लड़ी गई लड़ाई में कई लद्दाखी सैनिकों ने वीरगति पाई थी। वहां विजय मशाल लेकर पहुंचे जवानों ने शहीदों को सलामी दी थी।

इसी बीच सियाचिन के बाद विजय मशाल को लेह में अन्य ऐसी जगहों पर ले जाया जाएगा यहां पर सेना के जवानों ने देश की सरहदों की रक्षा करते हुए वीरगति पाई है। सेना की चौदह कोर मुख्यालय में भी विजय मशाल के सम्मान में कार्यक्रम होगा।

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