Jammu Kashmir: उपयोगिता प्रमाण पत्र दाखिल नहीं करवाने वाले स्वायत्त संस्थान-सरकारी विभाग कठोर कार्रवाई के लिए रहें तैयार

जम्मू कश्मीर शिक्षा विभाग ही इस मामले में सबसे आगे है जबकि आवास एवं शहरी विकास विभाग दूसरे और कृषि विभाग तीसरे नंबर पर है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग पर्यटन विभाग श्रीनगर नगर निगम जम्मू नगर निगम शेरे कश्मीर कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा नहीं कराए हैं।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 07:43 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 07:51 PM (IST)
Jammu Kashmir: उपयोगिता प्रमाण पत्र दाखिल नहीं करवाने वाले स्वायत्त संस्थान-सरकारी विभाग कठोर कार्रवाई के लिए रहें तैयार
कैग के अनुसार, जम्मू कश्मीर शिक्षा विभाग ही इस मामले में सबसे आगे है

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश सरकार ने उपयोगिता प्रमाणपत्र पत्र दाखिल न करने वाले स्वायत्त संस्थानों और सरकारी विभागों के खिलाफ कठोर कार्रवाई पर गंभीरता से विचार शुरु कर दिया है। स्वायत्त संस्थानों का वित्तीय अनुदान बंद किया जा सकता है जबकि सरकारी विभागों के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की याेजना है। उल्लेखनीय है भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षाकार कैग ने बीते माह संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में बताया है कि केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश में कई विभागों ने धनराशि तो प्राप्त की है, लेकिन उसका उपयोगिता प्रमाणपत्र समय पर जमा नहीं कराया है। इससे आशंका होती है कि सबंधित संस्थानों ने प्राप्त अनुदान राशि इस्तेमाल स्वीकृत कार्य मे करने के बजाय किसी अन्य जगह किया है और उसमें घोटाला हुआ है।

वित्तीय नियमों के अनुसार, विभागीय अधिकारियों को संबंधित लोगों से आबंटित राशि अथवा अनुदान के इस्तेमाल पर उपयोगिता प्रमाणपत्र को प्राप्त करने व उसे सत्यापित करने के बाद महालेखाकार जम्मू को डेढ़ वर्ष के भीतर सौंपना होता है। अलबत्ता, 31 मार्च 2019 तक 8219.90 करोड़ रूपये के अनुदान संबंधी 1774 उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित पड़े हुए थे। इनमें से 2246.91 कराेड़ रूपये के इस्तेमाल से संबधित 404 उपयोगिता प्रमाणपत्र एक साल से भी ज्यादा समय से लंबित हैं और 326.58 करोड़ रूपये के उपयोगिता प्रमाणपत्र दो साल से लटके हुए हैं।

कैग के अनुसार, जम्मू कश्मीर शिक्षा विभाग ही इस मामले में सबसे आगे है जबकि आवास एवं शहरी विकास विभाग दूसरे और कृषि विभाग तीसरे नंबर पर है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, पर्यटन विभाग, श्रीनगर नगर निगम, जम्मू नगर निगम, शेरे कश्मीर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कश्मीर विश्वविद्यालय और जम्मू विश्वविद्यालय ने भी उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा नहीं कराए हैं।

प्रदेश में करीब 55 स्वायत्त संस्थाओं को लेख परीक्षण का अधिकार कैग को कैगर अधिनियम 1971 की धारा 14 के तहत प्राप्त है। कैग के मुताबिक इन स्वायत्त संस्थानों से संबंधित 932 वार्षिक लेखा खातों की जानकारी 31 मार्च 2019 तक लंबित पड़ी हुई थी। 10 स्वायत्त संस्थानों के 84 खातों की जांच एक से 24 साल से नहीं हुई है। कैग ने इन संस्थानों ंके संज्ञान में यह तथ्य कई बार लाया, लेकिन उन्होंने जांच के लिए अपने वार्षिक खातों को कभी जमा नहीं कराया। कैग के अनुसार, भंग हो चुके जम्मू कश्मीर राज्य के अंतर्गत लद्दाख स्वायत्त विकास परिषद, लेह और लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद करगिल के अलावा कैंपा, शेरे कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय कश्मीर व शेरे कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय जम्मू, जम्मू कश्मीर आवासीय बोर्ड, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड, भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बार्ड, प्रदेश न्याय सेवा प्राधिकरण ने भी अपने उपयोगिता पत्रजमा नहीं कराए हैं।

कैग ने उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा न कराने वाले स्वायत्त संस्थानों को अनुदान आबंटन बंद करने की सिफािरश के साथ ही सरकारी विभागों के संबधित अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई का आग्रह किया है। जम्मू कश्मीर प्रदेश वित्त विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी इस मामले का कड़ा नोटिस लिया है। उन्होंने मुख्य सचिव और वित्तायुक्त वित्त विभाग जम्मू कश्मीर से भी इस बारे में तथाकथित तौर पर चर्चा करते हुए प्रदेश् में वित्तीय प्रबंधन और निगरानी तंत्र को मजबूत बनाने के लिए उचित कार्रवाई के लिए कहा है। 

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