Srinagar : नाबालिग बेटे से हुआ हादसा, पिता को तीन साल सजा; मजिस्ट्रेट ने कहा-नाबालिगों को चलाने को न दें वाहन

विशेष मोबाइल ट्रैफिक मजिस्ट्रेट शब्बीर अहमद ने अपने फैसले में कहा है कि नाबालिगों द्वारा वाहन चलाना भी वाहन दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण है। उनके कारण अन्य वाहन चालकों और पैदल यात्रियों की जान अक्सर खतरे में आ जाती है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 09:35 AM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 09:35 AM (IST)
Srinagar : नाबालिग बेटे से हुआ हादसा, पिता को तीन साल सजा; मजिस्ट्रेट ने कहा-नाबालिगों को चलाने को न दें वाहन
अगर पुलिस पीछा करे तो वह अपने वाहन तेजी से भगाते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : वाहन दुर्घटना के एक मामले में श्रीनगर के विशेष मोबाइल ट्रैफिक मजिस्ट्रेट ने एक नाबालिग आरोपित के बजाए उसके पिता को दोषी करार देते हुए उसे तीन साल की साधारण कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि दोषी पिता ने पहले कोई अपराध नहीं किया है, इसलिए सजा पर एक साल का प्रोबेशन दिया जाता है। आरोपित को 30 हजार का बांड भरना पड़ेगा। अगर इस दौरान वह अव्छा व्यवहार नहीं करता तो उसे पूरी सजा भळ्गतनी होगी। यह कश्मीर में अपनी तरह का पहला मामला बताया जा रहा है।

मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 199ए के मुताबिक अगर किसी बालक के कारण वाहन दुर्घटना होती है तो उसके संरक्षक या फिर वाहन के मालिक को दोषी मानकर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है और उन्हें संबंधित नियमों के तहत दंड दिया जा सकता है।

विशेष मोबाइल ट्रैफिक मजिस्ट्रेट शब्बीर अहमद ने अपने फैसले में कहा है कि नाबालिगों द्वारा वाहन चलाना भी वाहन दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण है। उनके कारण अन्य वाहन चालकों और पैदल यात्रियों की जान अक्सर खतरे में आ जाती है। कई बार वह किसी सिग्नल या नाके पर पुलिस से बचने के लिए कार और किसी बड़े वाहन के पीछे छिपकर निकलने का प्रयास करते हैं। अगर पुलिस पीछा करे तो वह अपने वाहन तेजी से भगाते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं।

कई बार ऐसे हादसे में उनकी मौत भी हो जाती है। इसलिए हम सबकी, अभिभावकों, स्कूल प्राचार्यों, अध्यापकों की जिम्मेदारी बनती है कि नाबालिगों को मोटर वाहन न दें। अगर उन्हें वाहन दिया जाता है और वह हादसे में शामिल होते हैं तो उसके लिए मां-बाप, ही नहीं सभी स्कूल प्रार्चाय, और शिक्षक संसथान भी दोषी हैं। अदालत ने फैसले की एक प्रति स्कूल शिक्षा सचिव को भी भेजने का निर्देश देते हुए कहा कि वह इसे सभी सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों में अग्रेषित करें। 

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