Militancy In Kashmir : जेलर फिरोज निकला आतंकियों का मददगार, प्रिंसिपल जावेद छात्राओं को पढ़ाता था जिहादी पाठ

फिरोज अहमद लोन को वर्ष 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के कार्यकाल में जम्मू कश्मीर कारावास विभाग में बतौर उपाधीक्षक नियुक्त किया गया था। वहीं जावेद अहमद शाह दक्षिण कश्मीर के जिला अनंतनाग के बिजबिहाड़ा स्थित गवर्नमेंट गल्र्स हायर सेकेंडरी स्कूल में तैनात था।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 03 Nov 2021 08:58 AM (IST) Updated:Wed, 03 Nov 2021 08:58 AM (IST)
Militancy In Kashmir : जेलर फिरोज निकला आतंकियों का मददगार, प्रिंसिपल जावेद छात्राओं को पढ़ाता था जिहादी पाठ
जावेद जब शिक्षा विभाग में बतौर लेक्चरर नियुक्त हुआ था, उस समय जम्मू कश्मीर में डा. फारूक अब्दुल्ला मुख्यमंत्री थे।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : सरकारी तंत्र में बैठ जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की मदद कर रहे राष्ट्रविरोधियों के खिलाफ प्रशासन ने अपना शिकंजा और कसना शुरू कर दिया है। अपनी इस प्रक्रिया को जारी रखते हुए प्रशासन ने कश्मीर में एक जेल उपाधीक्षक और एक स्कूल के प्रिंसिपल की सेवाएं समाप्त कर दीं। पिछले चार माह में प्रशासन सरकारी विभागों में छिपे बैठे करीब दो दर्जन सफेदपोश देशद्रोहियों (अधिकारियों व कर्मियों) को सेवा मुक्त कर घर भेज चुका है।

सेवामुक्त किए गए अधिकारियों में पहले से निलंबित चल रहे जेल उपाधीक्षक फिरोज अहमद लोन और स्कूल का प्रिंसिपल जावेद अहमद शाह शामिल है। फिरोज अहमद लोन को वर्ष 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के कार्यकाल में जम्मू कश्मीर कारावास विभाग में बतौर उपाधीक्षक नियुक्त किया गया था। वहीं, जावेद अहमद शाह दक्षिण कश्मीर के जिला अनंतनाग के बिजबिहाड़ा स्थित गवर्नमेंट गल्र्स हायर सेकेंडरी स्कूल में तैनात था। जावेद जब शिक्षा विभाग में बतौर लेक्चरर नियुक्त हुआ था, उस समय जम्मू कश्मीर में डा. फारूक अब्दुल्ला मुख्यमंत्री थे।

फिरोज जेल में आतंकियों के लिए करता था काम : संबंधित अधिकारियों ने बताया कि फिरोज अहमद लोन जेल में अपने पद और प्रतिष्ठा का दुरुपयोग कर आतंकियों की मदद करता था। वह जेल में बंद आतंकियों की उनके ओवरग्राउंड वर्करों के साथ बैठकों का बंदोबस्त करता था। वह हिजबुल मुजाहिदीन के नेटवर्क का एक सक्रिया सदस्य था और उसने कई युवकों को आतंकी ट्रेनिंग के लिए गुलाम कश्मीर भेजने में सक्रिय भूमिका निभाई है। वह मई 2020 में मारे गए हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर रियाज नाइकू के लिए काम करता था। उसने अनुमति न होने के बावजूद जेल में बंद हिजबुल मुजाहिदीन के कुख्यात आतंकी इसहाक पाला से पुलवामा के दानिश गुलाम लोन और अवंतीपोरा के सोहेल अहमद बट की मुलाकात करवाई थी। लोन ने ही दानिश व सोहेल के लिए न सिर्फ पास जारी कराए बल्कि वह खुद बाहरी गेट तक उन्हें लेने गया। इसी बैठक के बाद दानिश व सोहेल को आतंकी ट्रेनिंग के लिए गुलाम कश्मीर जाना था, लेकिन इससे पहले ही दोनों पकड़े गए। इसके बाद फिरोज अहमद लोन की असलियत का पता चला। दो साल पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने उसे गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था और तभी से उसके खिलाफ जांच जारी थी। अधिकारियों ने बताया कि पांच अगस्त 2019 से पूर्व जम्मू कश्मीर में जेलों को आतंकियों और राष्ट्रद्रोही तत्वों का गढ़ माना जाता रहा है।

जावेद स्कूली छात्राओं को पढ़ाता था जिहादी पाठ :  जावेद इकबाल वर्ष 1989 में बतौर लेक्चरर नियुक्त हुआ था और बाद में वह पदोन्नति प्राप्त करते हुए बिजबिहाड़ा स्थित गल्र्स हायर सेकेंडरी स्कूल का प्रिंसिपल बन गया। वह जमात-ए-इस्लामी का कट्टर कार्यकर्ता और आतंकियों का पुराना ओवरग्राउंड वर्कर है। वह बिजबिहाड़ा और अनंतनाग में हुर्रियत के प्रमुख कार्यकर्ताओं में गिना जाता है। वर्ष 2016 में आतंकी बुरहान की मौत के बाद वादी में हुए सिलसिलेवार हिंसक प्रदर्शनों की रणनीति तय करने में वह जमात-ए-इस्लामी और हुर्रियत नेताओं के प्रमुख सलाहकार की तरह काम करता था। उसने न सिर्फ अपने सरकारी स्कूल में बल्कि अन्य संस्थानों में भी हुर्रियत के हड़ताली कैलेंडर को लागू कराने में अहम भूमिका निभाई । वह अक्सर स्कूल में छात्राओं में जिहादी मानसिकता को पैदा करने के लिए धर्मांध जिहादी भाषण देता था। उसने छात्राओं के लिए फिजिकल एजूकेशन के पाठयक्रम में भाग लेने पर रोक लगा रखी थी, क्योंकि वह इसे इस्लाम के खिलाफ मानता था। वह स्कूल में अक्सर अपने भाषण के दौरान आतंकियों को सही ठहराता था और लड़कियों को इस्लाम की कट्टरपंथी विचारधारा को अपनाने के लिए उकसाता था, ताकि जमात और हुर्रियत का एजेंडा आगे बढ़ सके। बताया जाता है कि वह भी निलंबित चल रहा था और उसके खिलाफ भी जांच जारी थी।

मेरे खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है। जेल उपाधीक्षक फिरोज अहमद लोन को मेरी सरकार ने नियुक्त नहीं किया था। फिरोज को वर्ष 2007-2008 के दौरान नियुक्त किया गया था। उसकी नियुक्ति के खिलाफ अदालत में याचिका भी दायर की गई थी। अदालत ने याचिका को निरस्त करते हुए उसकी नियुक्ति को वर्ष 2012 में हरी झंडी दे दी थी। -उमर अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री 
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