Jammu: सड़क पर मरने के लिए छोड़ गए बछड़ों की सेवा में लगा फारूक

जहां मक्खियों और जंगली जानवरों से बचाने के लिए खिड़कियों में जाली लगवाई गई।कोरोना काल में लॉकडाउन के बीच रम्मी ने बछड़ों को अमूल दूध के उपलब्ध करवाया। यहां तक कि बड़े हो गए कुछ बछड़ों के लिए फीड का इंतजाम भी किया गया है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 01:43 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 02:59 PM (IST)
Jammu: सड़क पर मरने के लिए छोड़ गए बछड़ों की सेवा में लगा फारूक
पुलिस का कहना है यह ट्रक आरएसपुरा की ओर से जम्मू की ओर गया है।

जम्मू, अवधेश चौहान: कोरोना काल में अस्पतालों से लेकर शमशानों में अपने संगे संबधियों से दूरियां बनाए रखने में यकीन रखते हैं,लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जिन्हें मवेशियों से रत्ती भर प्यार नही है।उनकी कोशिश है कि कोरोना काल में इन बेजुबानों से किसी तरह पीछा छुड़ाया जा सके।

ऐसी ही एक घटना सतवारी के रोही मोड़ इलाके की है। जहां ट्रक सवार कुछ लोग गाओं के 18 बछड़ों जिनमें दो बछड़ियां भी थी को छोड़ कर भाग गया। इनमें से तो गाओं के कुछ बछड़े एक दो दिन के थे।जिनका बचना नामुम्मिकन था। कहते है कि इंसानियत अभी जिंदा है।ऐसा ही कुछ सेव एनिमल वैल्यू एडं एनवायरमेंट की चैयरमेन रम्पी मदान ने कर दिखाया।रम्मी ने बताया कि 18 बछड़ों में से 6 को काफी चोटे लगी हुई थी। उन्हें बचाने की काफी कोशिश की गई, लेकिन उनमें से 6 की मौत हो गई।

बाकी बचे 12 बछड़ों की देखभाल में गाडीगड़ पुलिस चौकी के हेड कांस्टेबल मुुंशी फारूक अहमद, सामजिक कार्यकर्ता संचित रैना भी पूरा सहयोग दे रहे हैं।इन बछड़ों को निप्पल से दूध पिला कर जिंदा रखा जा रहा है।जिसमें फारूक स्वयं बछड़ों को दूध पिला रहे हैं।

रम्मी का कहना है कि पहले यह बछड़े खुले में रखे थे, लेकिन उन्हें आवारा कुत्ते नौंच कर अपन निवाला न बना ले, इस लिए उन्हें पहले जानीपुर के म्यूनिसिपल एनिमल केयर सेंटर भेजा गया लेकिन उनकी देखभाल न होने की वजह से उन्हें अब गाडीगढ़ के रोही मोड़ में अधनिर्मित विस्थापितों के सेंटर में भेजा गया।

जहां मक्खियों और जंगली जानवरों से बचाने के लिए खिड़कियों में जाली लगवाई गई।कोरोना काल में लॉकडाउन के बीच रम्मी ने बछड़ों को अमूल दूध के उपलब्ध करवाया। यहां तक कि बड़े हो गए कुछ बछड़ों के लिए फीड का इंतजाम भी किया गया है।फारूक पुलिस की ड्यूटी के बाद भी समय निकाल कर बेजुबानों की मदद कर रहे हैं।उनकी मरहम पट्टी के लिए वेटनरी डाक्टर भी लगाया गया है।फारूक कहते है कि बेजुबानों की मदद करना सबसे बड़ा कर्म है।

गौवंश तस्करों का हो सकता है हाथ: ऐसा माना जा रहा है कि गौवंश की तस्करी के दौरान ट्रक में लदे बछड़ों को एक जगह छोड़ कर ट्रक बड़े जानवरों को लेकर आगे निकल गए।बछड़ों को साथ ले जाना तस्करों ने उचित नही समझा होगा। ऐसा भी माना जा रहा है कि कुछ डेयरी वाले जगह कम पड़ने की वजह से बछड़ों को साथ नही रखते। दूध निकालने के लिए आक्सीटाक्सिन का इंजेक्शन लगा कर दूध निकाल लिया जाता है। जिससे बछड़ों को भी दूध नही पिलाना पड़ता। डेयरी वाले छुटकारा पाने के लिए ऐसी करतूत को अंजाम देते हैं।बेशक पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस का कहना है यह ट्रक आरएसपुरा की ओर से जम्मू की ओर गया है।

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