Jammu Kashmir: मंगलवार को मनाई जाएगी श्री राधाष्टमी, इस तरह पूजन करने से होगी अखंड सौभाग्य की प्राप्ति
श्री राधाष्टमी व्रत एवं श्री राधा जी का पूजन भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि मध्याह्न काल में हो। उस दिन करने का विधान है। इस वर्ष सोमवार 13 सितंबर दोपहर 03 बजकर 11 मिनट पर भाद्रपद माह शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि शुरू होगी।
जम्मू, जागरण संवाददाता : श्री राधाष्टमी मंगलवार को मनाई जाएगी।राधा रानी का जन्मदिन भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ था। इसी दिन को श्री राधाष्टमी मनाई जाती है।राधाष्टमी भगवान और मनुष्य के बीच एक अद्वितीय संबंध का प्रतीक है। जो श्रीकृष्ण और राधारानी के निःस्वार्थ दैवीय प्रेम बंधन को दर्शाता है।
महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि शास्त्रों अनुसार श्री राधाष्टमी व्रत एवं श्री राधा जी का पूजन भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि मध्याह्न काल में हो। उस दिन करने का विधान है। इस वर्ष सोमवार 13 सितंबर दोपहर 03 बजकर 11 मिनट पर भाद्रपद माह शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि शुरू होगी। अगले दिन यानी 14 सितंबर को दोपहर के 01 बजकर 10 मिनट तक ही विद्यमान रहेगी। सोमवार 13 सितंबर को अष्टमी तिथि मध्याह्न काल को स्पर्श नहीं कर रही है। इसलिए शास्त्र मत के अनुसार 14 सितंबर मंगलवार को श्री राधाष्टमी व्रत एवं पूजन किया जाएगा। श्री राधाष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त 14 सितंबर दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 10 मिनट तक रहेगा।
धर्मग्रंथों के अनुसार, श्री राधा जी द्वापर युग में प्रकट हुईं। उनका प्राकट्य मथुरा के रावल गांव में वृषभानु जी की यज्ञ स्थली के पास हुआ। श्री राजा वृषभानु और उनकी धर्मपत्नी श्री कीर्ति ने इस कन्या को अपनी पुत्री मानकर पालन-पोषण किया था। इस दिन श्री राधा रानी, भगवान श्रीकृष्ण जी एवं भगवान विष्णु जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए। श्रीराधाष्टमी व्रत एवं पूजन करने से अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है।
घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है तथा नि:संतानों को संतान प्राप्ति होती है। घर में सदा ही लक्ष्मी का वास रहता है।इस दिन राधा रानी और भगवान कृष्ण को रंग बिरंगे फूलों से सजाया जाता है।इस दिन श्रद्धालु राधा रानी के चरणों के शुभ दर्शन करते हैं।आम दिनों में राधा रानी के पांव ढके रहते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी की प्रशंसा में भक्ति गीत गाए जाते हैं। उन्हीं की महिमा की जाती है।