Jammu Kashmir: पुलिस की वर्दी में भेड़िया था शिगन, सीमा पार से वारदात के आदेश मिलने पर ड्यूटी से हो जाता था गायब

देशद्रोह और आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के आधार पर सेवामुक्त किए सरकारी कर्मियों में पुलिस कांस्टेबल अब्दुल रशीद शिगन भी है। फिलहाल जेल में बंद शिगन कोई मामूली आतंकी नहीं है वह सही मायनों में पुलिस की वर्दी में छिपा भेड़िया था।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Sun, 11 Jul 2021 07:33 AM (IST) Updated:Sun, 11 Jul 2021 12:15 PM (IST)
Jammu Kashmir: पुलिस की वर्दी में भेड़िया था शिगन, सीमा पार से वारदात के आदेश मिलने पर ड्यूटी से हो जाता था गायब
वह हिजबुल मुजाहिदीन के इशारे पर वारदातें करता।

श्रीनगर, नवीन नवाज । देशद्रोह और आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के आधार पर सेवामुक्त किए सरकारी कर्मियों में पुलिस कांस्टेबल अब्दुल रशीद शिगन भी है। फिलहाल, जेल में बंद शिगन कोई मामूली आतंकी नहीं है, वह सही मायनों में पुलिस की वर्दी में छिपा भेड़िया था। वह उमर मुख्तार के कोड नाम से वारदातें करता और फिर मीडियाकर्मियों को फोन कर बताता कि इसे कश्मीर इस्लामिक मूवमेंट ने अंजाम दिया है। वह किसी भी वारदात करने के लिए अपने साथ एक पूर्व आतंकी लेकर जाता था। वह हिजबुल मुजाहिदीन के इशारे पर वारदातें करता।

22 अगस्त 2012 को पकड़े जाने से पहले 18 माह के दौरान उसने श्रीनगर शहर में 13 सनसनीखेज वारदातेेंं कीं। बटमालू का शिगन 1998 में पुलिस में भर्ती होने से पहले एक आतंकी था। जब वह पुलिस ट्रेनिंग कर रहा था, उस समय वह पकड़ा गया। उसे जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाया गया। इसके बाद वह रिहा हुआ। 2002 में अदालत के आदेश पर पुलिस विभाग में बहाल हो गया। उसकी पुनर्बहाली में डीआइजी रेंक के तत्कालीन अधिकारी का नाम लिया जाता है। शिगन को बाद में पुलिस के सिक्योरिटी विंग में तैनात किया गया।

कब-कब वारदातें :

जनवरी 2011 से 22 अगस्त 2012 को पकड़ जाने तक उसने जो वारदातों को अंजाम दिया, उससे पूरा सुरक्षातंत्र हिला हुआ था। उसका कोई सुराग नहीं मिलता था। वह बांडीपोरा के तत्कालीन एसएसपी बीए खान के मकान की सुरक्षा में तैनात था। जब उसे पार से वारदात का आदेश मिलता,वह ड्यूटी से गायब होता और फिर लौट आता। किसी को पता नहीं चलता था कि वह कब गया और कब आया।

उसने चार जनवरी 2011 को बटमालू थाना प्रभारी नजीर अहमद पर जानलेवा हमला कर जख्मी किया था। 29 जून 2011 को श्रीनगर में इंस्पेक्टर शब्बीर अहमद की हत्या की। दो दिसंबर 2011 में श्रीनगर के सफाकदल में नेकां के ब्लाक प्रधान पर हमला उसे जख्मी किया। 11 दिसंबर 2011 को उसने तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री और नेकां के वरिष्ठ नेता अली मोहम्मद सागर पर नवाबाजार, श्रीनगर में हमला किया था। इसमें एक पुलिस कांस्टेबल शहीद हुए था।

24 दिसंबर 2011 को उसने नेकां नेता बशीर अहमद की धोबी मोहल्ला बटमालू में हत्या कर दी। शिगन ने 17 मार्च 2012 को सूफी विद्वान पीर जलालुदीन की बटमाूल में हत्या का प्रयास किया। बागियास श्रीनगर में पुलिस कांस्टेबल सुखपाल सिंह की 20 अप्रैल 2012 को हत्या की थी।

30 मई 2012 को उसने सीआरपीएफ जवानों पर हमला किया। सात जवान घायल हुए थे। 22 अगस्त 2012 को पकड़े जाने से 12 दिन पहले 10 अगस्त को उसने बटमालू में एक मस्जिद की सीढिय़ों पर पुलिस के एक सेवानिवृत्त डीएसपी अब्दुल हमीद बट की हत्या की थी। व

ह सिर्फ उन्हीं पुलिसकर्मियों व अधिकारियों को निशाना बनाता था जो आतंकरोधी अभियान में अग्रणी होते थे। इसके अलावा वह इस्लाम की कट्टरपंथी विचारधारा के साथ सहमत न होने वाले इस्लामिक विद्वानों और मुख्यधारा की राजनीति से जुड़े लोगों को निशाना बनाता था। वारदात में सरकारी राइफल का इस्तेमाल नहीं किया। उसके घर की जब तलाशी ली गई थी तो दो एके-47 राइफलें, 16 मैगजीन, 13 यूबीजीएल, एक आइईडी, चार पिस्तौल, पांच हथगोले व अन्य साजो सामान मिला था। 

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