Kashmir: पीएसए से रिहा हुए शाह फैसल, पीडीपी नेता मदनी, पीरजादा अब घरों में हुए नजरबंद
शाह फैसल ने अपनी हिरासत को अदालत में चुनौती भी दी थी लेकिन बाद में उन्होंने इस याचिका को वापस ले लिया। हिरासत के दौरान उन्होंने सशर्त रिहाई की पेशकश से भी इंकार कर दिया था।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। नौकरशाह से सियासतदान बने डाॅ शाह फैसल पर लगाए गए पीएसए को हटाते हुए प्रशासन ने गत बुधवार को उन्हें रिहा तो कर दिया था परंतु अभी भी उन्हें एहतियात के तौर पर घर में नजरबंद रखा गया है। करीब दस माह बाद रिहा हुए फैसल के साथ जिन पीडीपी के दो प्रमुख नेता सरताज मदनी और पीरजादा मंसूर को रिहा किया गया था, उन पर भी यह पाबंदी लागू की गई है। घाटी में इस समय नेकां, कांग्रेस, पीडीपी और पीपुल्स कांफ्रेंस के लगभग दो दर्जन नेता नजरबंद हैं।
नौकरशाही छोड़ रियासत की सियासत में करीब डेढ़ साल पहले सक्रिय हुए डाॅ शाह फैसल ने पीडीपी और नेकां के बागी नेताओं के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट नामक संगठन को बीते साल ही गठित किया था। उन्हाेंने अफजल गुरू और आतंकी बुरहान को शहीद का दर्जा देने वाले पूर्व निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद के संगठन अवामी इत्तेहाद पार्टी के साथ भी गठजोड़ किया था। पांच अगस्त 2019 को जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू किया था तो वह श्रीनगर से दिल्ली पहुंच गए थे। जब वह अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को कथित तौर पर चुनौती देने जा रहे थे तो उन्हें इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हिरासत में ले लिया गया। इसके बाद उन्हें वापस श्रीनगर लाया गया और एहतियातन हिरासत में लिया गया।
शाह फैसल ने अपनी हिरासत को अदालत में चुनौती भी दी थी, लेकिन बाद में उन्होंने इस याचिका को वापस ले लिया। बताया जा रहा है कि हिरासत के दौरान उन्होंने सशर्त रिहाई की पेशकश से इंकार कर दिया था। दो दिन पहले प्रदेश प्रशासन ने उन्हें पीडीपी के पूर्व उपाध्यक्ष सरताज मदनी और पूर्व विधायक पीरजादा मंसूर के साथ ही पीएसए के तहत रिहा कर दिया था। अलबत्ता, गत रोज उन्हें उनके घर में नजरबंद कर दिया गया है। हालांकि संबधित अधिकारियों ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। बताया जा रहा है कि शाह फैसल की रिहाई के बाद उनसे उनके कुछ पुराने करीबियों ने आकर मुलाकात की। इस दौरान प्रदेश की सियासत से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होने की जानकारी मिलने व शाह फैसल द्वारा पुनर्गठन अधिनियम के मुद्दे पर एक जनसंपर्क अभियान को चलाए जाने की आशंका को देखते हुए उन्हें नजरबंद किया गया है।
रिहाई के बाद घर में नजरबंद होने वाले शाह फैसल अकेले नहीं हैं। पीडीपी के सरताज मदनी, पीरजादा मंसूर, पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन, नेकां प्रवक्ता आगा सईद रूहुल्ला, नेकां नेता नासिर साेगामी, पीडीएफ चेयरमैन हकीम माेहम्मद यासीन समेत नेकां, कांग्रेस, पीडीपी के करीब दो दर्जन नेताओं को उनके घरों में नजरबंद रखा गया है।
यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि प्रदेश प्रशासन ने पांच अगस्त 2019 की सुबह जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को लागू किए जाने के मद्देनजर नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस, पीपुल्स कांफ्रेंस, अवामी इत्तेहाद पार्टी, जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट समेत मुख्यधारा के गैर भाजपा दलों के लगभग 500 प्रमुख नेताओं व कार्यकर्ताओं को एहतियातन हिरासत में लिया था। इनमें प्रदेश के तीनों पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती भी शामिल हैं। शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कनवेंशन सेंटर के परिसर में स्थित सेंटूर होटल सबजेल में शुरू में 57 नेताओं को रखा गया था।
उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को पहले क्रमश: हरि निवास व चश्मा शाही में रखा गया था। बाद में उमर को उनके घर के पास गुपकार में एक बंगले में रखा गया जबकि महबूबा मुफ्ती को पहले ट्रांसपोर्ट लेन में, उसके बाद फेयर व्यू स्थित उनके सरकारी निवास में रखा गया। हालात में बेहतरी के आधार पर प्रशासन ने सेंटूर सबजेल मे रखे गए नेताओं की रिहाई का क्रम अगस्त माह के अंत में ही शुरू कर दिया था। नवंबर के दौरान जब सेंटूर से सबजेल एमएलए हॉस्टल में हिरासत में लिए गए नेताओं को लाया गया तो उनकी तादाद करीब तीन दर्जन रह गई थी। फरवरी के दौरान प्रशासन ने पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के अलावा सरताज मदनी, पीरजादा मंसूर हुसैन, नईम अख्तर, हिलाल लोन, अली मोहम्मद सागर व शाह फैसल को पीएसए के तहत बंदी बना लिया। डाॅ फारूक अब्दुल्ला को बीते साल ही सितंबर के दौरान पीएसए के तहत बंदी बनाया गया था।