Al Qaeda In J&K : राजौरी-पुंछ में अल कायदा की मौजूदगी की आशंका, आतंकी गतिविधियों में तेजी ने उठाए सवाल
Al Qaeda In JK अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अल-कायदा तालिबान व समर्थक आतंकी कश्मीर को ठिकाना बनाने की धमकियां देते रहे हैं। चूंकि सभी सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान कश्मीर पर है ऐसे में यह संगठन राजौरी और पुंछ के जंगलों में ठिकाने बना रहे हैं।
श्रीनगर, नवीन नवाज : नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सटे राजौरी-पुंछ जिले में आतंक की कोई बड़ी साजिश की बू महसूस की जा रही है। जुलाई से अब तक नौ सैन्य कर्मियों की शहादत हो चुकी है। कुछ माह पहले पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) के भड़काऊ वीडियो या फिर राजौरी-पुंछ में अपनी गतिविधियां फिर शुरू करने के एलान को सुरक्षा एजेंसियां भले ही फर्जी करार दे, लेकिन दोनों जिलों में मुठभेड़ों में एकाएक तेजी से सवाल तो उभरते ही हैं।
पीएएफएफ उन पांच-छह आतंकी संगठनों में एक है, जो बीते दो साल में सामने आए हैं। पीएएफएफ और गजनवी फोर्स को जैश ए मोहम्मद का छठा संगठन और हिट स्क्वाड माना जाता है। जैश को अल-कायदा और तालिबान का पाकिस्तानी मुखौटा भी माना जाता है। पूर्व में भी हरकत उल अंसार व हरकत-उल जिहादी इस्लामी जैसे आतंकी संगठन पीरंपजाल की पहाडिय़ों से सटे राजौरी-पुंछ, शोपियां-कुलगाम व डोडा-किश्तवाड़ में सक्रिय रहते थे। इनमें से ज्यादातर सक्रिय आतंकी विदेशी थे। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अल-कायदा, तालिबान व समर्थक आतंकी कश्मीर को ठिकाना बनाने की धमकियां देते रहे हैं। चूंकि सभी सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान कश्मीर पर है, ऐसे में यह संगठन राजौरी और पुंछ के जंगलों में ठिकाने बना रहे हैं।
पीरपंजाल की पहाडिय़ों में नेटवर्क का दावा : अल-कायदा के वीडियो में चार साथियों संग नजर आने वाला आतंकी खुद को बड़गाम का बताता है। वह दावा करता है कि अल-कायदा के आतंकी पीर पंजाल की पहाडिय़ों में पहुंच चुके हैं। दावा किया जाता है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने कश्मीरी आतंकियों को नौकरी व पैसा दिया।
दो-तीन माह से राजौरी-पुंछ में घूम रहे : खुद डीआइजी राजौरी-पुंछ ने कथित तौर पर माना कि सुरनकोट में हमला करने वाले आतंकी दो-तीन माह से राजौरी-पुंछ में घूम रहे हैं। यह तथ्य अगर सही है तो साफ है कि साजिश बड़ी है। यह भी आशंका है कि दोनों जिलों में ओवरग्राउंड वर्करों और समर्थकोंं का बड़ा नेटवर्क तैयार हो चुका है अन्यथा दो से तीन माह तक टिकना संभव नहीं है। जैश को अल कायदा से अलग नहीं किया जा सकता। इसलिए इसे चेतावनी मानकर सघन और सुनियोजित अभियान चलााने की जरूरत है।
जम्मू संभाग में आतंक की लगातार बढ़ती साजिशें सात जुलाई को सुंदरबनी सेक्टर में मुठभेड़ में तीन विदेशी घुसपैठिए मारे गए और एक जेसीओ समेत दो जवान बलिदान हो गए। सूत्रों ने उस समय घुसपैठियों के अफगानिस्तान कनेक्शन का दावा किया था। छह अगस्त को थन्नामंडी में दो आतंकी मारे गए। पीएएफएफ ने दोनों आतंकियों को अपना बताया था। 19 अगस्त इस क्षेत्र में हुई मुठभेड़ में जेसीओ समेत दो जवान शहीद हो गए। एक आतंकी मारा गया। 13 सितंबर को राजौरी के मंजाकोट में मुठभेड़ में शोपियां का एक आतंकी मारा जाता है। पीएएफएफ इसे अपना आतंकी बताता है। 11 अक्टूबर को सुरनकोट में जेसीओ समेत पांच सैन्यकर्मी शहीद हो गए। अगले दिन अल-कायदा का एक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल होता है। 14 अक्टूबर को पुंछ में हमले में जेसीओ समेत दो जवान शहीद हो गए।