Jammu : 'अनुच्छेद 370 हटने पर भी एससी-एसटी से नहीं हुआ इंसाफ'
कलसोत्रा ने कहा कि हाल ही में जम्मू-कश्मीर सर्विस सिलेक्शन बोर्ड ने गृह विभाग में रिक्त पदों को भरने के लिए अधिसूचना जारी की जिसमें एससी-एसटी को पांच साल जबकि ओबीसी को तीन साल की आयु सीमा में छूट दी गई।
जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35-ए खत्म होने और जम्मू कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा मिलने के बाद भी एससी-एसटी व ओबीसी समुदाय के लोगों को उनके अधिकार नहीं मिल पाए हैं। आल इंडिया कंफेडरेशन आफ एससी-एसटी-ओबीसी के प्रदेशाध्यक्ष आरके कलसोत्रा ने सोमवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के इससे संबंधित तमाम दावे खोखले हैं।
कलसोत्रा ने कहा कि भाजपा सरकार दावे तो बहुत कर रही है, लेकिन हकीकत यह है कि उसके कार्यकाल में समुदाय के अधिकारों का हनन हुआ है। कलसोत्रा सोमवार को रेशमघर कालोनी स्थित संगठन के कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कंफेडरेशन ने पदोन्नति में आरक्षण बहाल करने, 1.04 लाख रिक्त पदों को भरने, मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करने, जाति आधारित भेदभाव को समाप्त करने का मुद्दा उठाया था। इसके अलावा एक्साइज पालिसी में आरक्षण समाप्त करने की मांग भी कंफेडरेशन ने पूर्व उपराज्यपाल जीसी मुर्मु से मंजूर कराई थी, लेकिन आज तक इन मांगों को पूरा नहीं किया गया।
कलसोत्रा ने कहा कि हाल ही में जम्मू-कश्मीर सर्विस सिलेक्शन बोर्ड ने गृह विभाग में रिक्त पदों को भरने के लिए अधिसूचना जारी की, जिसमें एससी-एसटी को पांच साल जबकि ओबीसी को तीन साल की आयु सीमा में छूट दी गई। पत्रकार वार्ता में कंफेडरेशन के प्रदेश उपाध्यक्ष अशरफ अली, जिला प्रधान मोहम्मद शफी, प्रदेश सहसचिव महेंद्र कुमार, कोआर्डिनेटर लक्ष्मण भगत मुख्य रूप से मौजूद रहे।
रिक्त पदों को भरने के लिए जारी अधिसूचना में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं आरके कलसोत्रा ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत जन अरोग्य योजना के तहत डिस्ट्रक्ट प्रोग्राम कोआर्डिनेटर के 20 जबकि डिस्ट्रक्ट इंफारमेशन सिस्टम मैनेजर के 20 पदों को भरने के लिए अधिसूचना जारी की गई है। इस अधिसूचना में एससी-एसटी-ओबीसी के लिए आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं रखा गया है। कलसोत्रा ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का जम्मू दौरा भी मात्र एक छलावा है, क्योंकि वास्तविक मुद्दों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया।