Kashmir: छह दिन बाद जेल से छूटे सोफी, सलाहकार के सामने कही एक बात पर कर दी गई थी एफआइआर
सज्जाद रशीद सोफी ने कहा कि उपराज्यपाल को मेरे ऊपर लगाए गए आरोपो की जांच करानी चाहिए। अगर आरोप सही हों तो मुझे जो भी सजा मिले मंजूर है। सज्जाद के पिता अब्दुल रशीद ने कहा कि मैने पूरी ईमानदारी से 38 साल जम्मू कश्मीर की सेवा की है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: सज्जाद रशीद सोफी छह दिन जेल में बिताने के बाद अपने घर पहुंच गए। उन्होंने कहा कि अगर मीडिया शोर न मचाता तो मैं आज भी जेल में ही होता। उन्होंने कहा कि जेल में मेरे साथ अपराधियों जैसा सुलूक किया गया। मेरे साथ जो हुआ, उसके बाद शायद ही कोई अपना मुंह खोलना पसंद करेगा।
हम लोगों ने यहां आतंकियों से लड़ा, हमने हिंदुस्तान का झंडा उठाए रखा, दो बार हमारे घर पर आतंकियों ने हमला भी किया। मुझे उम्मीद नहीं थी कि जम्मू-कश्मीर में हमें अपने दिल की बात कहने पर जेल जाना पड़ेगा। मैंने कोई राष्ट्रद्रोह नहीं किया, कभी किसी राष्ट्रविरोधी गतिविधि में हिस्सा नहीं लिया।
यह वही सज्जाद रशीद सोफी हैं, जिन्होंने बीते सप्ताह उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के सलाहकार बसीर अहमद खान से गांदरबल की जिला उपायुक्त कृत्तिका ज्योत्सना की मौजूदगी में कहा था कि आप हमारे अपने हैं, आप हमारी भावनाएं अच्छी तरह समझते हैं, जब आप ही हमारी बात नहीं सुनेंगे तो बाहर वालों से क्या अपेक्षा करेंगे। उनकी इस टिप्पणी पर जिला उपायुक्त भड़क गईं और उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज हो गई। पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बीते शनिवार को अदालत ने अंतरिम जमानत भी दे दी थी। इसके बावजूद पुलिस ने रिहा नहीं किया। जब चारों ओर इसकी आलोचना हुई तो मंगलवार की रात को उन्हें रिहा कर दिया गया।
सज्जाद रशीद सोफी ने कहा कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को मेरे ऊपर लगाए गए आरोपो की जांच करानी चाहिए। अगर आरोप सही हों तो मुझे जो भी सजा मिले मंजूर है। सज्जाद के पिता अब्दुल रशीद ने कहा कि मैने पूरी ईमानदारी से 38 साल अपने मुल्क और जम्मू कश्मीर की सेवा की है। मैंने आतंकवाद से लड़ा है।
पुलिस विभाग में डीएसपी के पद से सेवानिवृत्त हुए अब्दुल रशीद ने कहा कि 1989 में आतंकियों ने हमारे घर को बम से उड़ाने का प्रयास किया था। उसके बाद 1991 में भी आइइडी लगाई गई। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को चाहिए कि वह जम्मू कश्मीर में ऐसे नौकरशाहों को नियुक्त करें जो जनता के लिए काम करें, जनता की भावना को समझें।