Jammu: सब किश मेरा जुआड़ी टकाया, माए तूं कैह्सी ए जुलम कमाया..., डोगरी साहित्य में नारी चेतना कार्यक्रम

Jammu Sahitya Akademi इसमें संदेह नहीं है कि कोविड-19 की वजह से इस अभियान को धक्का लगा है परंतु यह अधिक समय तक इस अभियान को रोक नहीं पाएगा। कार्यक्रम का समापन डा. सुरेश बाबू के धन्यवाद प्रस्ताव से हुआ।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 12:50 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 12:50 PM (IST)
Jammu: सब किश मेरा जुआड़ी टकाया, माए तूं कैह्सी ए जुलम कमाया..., डोगरी साहित्य में नारी चेतना कार्यक्रम
कार्यक्रम का शुभारंभ भी साहित्य अकादमी नई दिल्ली के उप सचिव डा. एन सुरेश बाबू के अभिनंदन प्रस्ताव से हुआ।

जम्मू, जागरण संवाददाता: साहित्य अकादमी नई दिल्ली की ओर से ऑनलाइन साहित्य श्रृंखला के तहत डोगरी भाषा में नारी चेतना कार्यक्रम का आयोजन किया गया।जिसमें उषा किरण ‘किरण’ ने भ्रूण हत्या पर कविता पढ़ी।

‘दुनिया च मिकी औन नीं दित्ता, भागैं भरोचा सौन नीं दित्ता, सब किश मेरा जुआड़ी टकाया, माए तूं कैह्सी ए जुलम कमाया’। निर्मल विक्रम ने आपसी रिश्तों पर आधारित कविता ‘ए कंटीले रिशतैं दियां झाड़ियां, बिच्चुऐं दे डंग छड़े, लीकरां बनांदियां, बिसकलां न सारियां’ पढ़ी। डा. सरिता खजूरिया ने धरती माता की दयनीय स्थिति पर बोलते हुए कहा कि ‘ए जंग कैह्दे आस्तै, ए रोह् कैह्दे ताईं, ए बंडां कोह्दे आस्तै, ए द्रोह् कैह्दे ताईं, में जम्मे न बीर बीरता दे ताईं’।

डा. सुषमा चौधरी ने नारी की महानता पर कविता पाठ करते हुए कहा कि ‘ए नारी जेह्ड़ी कदें नीं हारी, ए ते कुल्ल स्रिष्टी दी सिरजन हारी’ कार्यक्रम के अंत में डा. सुरेश बाबू ने प्रतिभागी सभी कवयित्रियों की कविताओं की सराहना करते हुए उन्हें बधाई दी और कहा कि भविष्य में भी आप इसी तरह समाज में फैली कुरीतियों तथा जनता की विवशता के बारे में अपने विचार खुलकर प्रकट करती रहेंगी। कार्यक्रम का शुभारंभ भी साहित्य अकादमी नई दिल्ली के उप सचिव डा. एन सुरेश बाबू (परकाशकीय विभाग) के अभिनंदन प्रस्ताव से हुआ।

जिसमें उन्होंने डोगरी भाषा के संवर्धन हेतु कहा था कि साहित्य अकादमी नई दिल्ली दशकों से कई कार्यक्रमों का निरंतर आयोजन करती आ रही है।भविष्य में भी इसी तरह कार्यक्रम करती रहेगी। इसमें संदेह नहीं है कि कोविड-19 की वजह से इस अभियान को धक्का लगा है परंतु यह अधिक समय तक इस अभियान को रोक नहीं पाएगा। कार्यक्रम का समापन डा. सुरेश बाबू के धन्यवाद प्रस्ताव से हुआ। 

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