Jammu: बाहर से टिप-टॉप अंदर से खंडहर इमारतें, हादसों को न्यौता देती इमारतें, मूकदर्शक बना निगम व जिला प्रशासन

जम्मू नगर निगम ने करीब डेढ़ दशक पूर्व शहर में सर्वे करके तीन दर्जन इमारतों को खस्ताहाल और असुरक्षित घोषित किया था। इसमें अधिकतर इमारतें सरकारी थीं।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Fri, 18 Sep 2020 11:27 AM (IST) Updated:Fri, 18 Sep 2020 11:28 AM (IST)
Jammu: बाहर से टिप-टॉप अंदर से खंडहर इमारतें, हादसों को न्यौता देती इमारतें, मूकदर्शक बना निगम व जिला प्रशासन
Jammu: बाहर से टिप-टॉप अंदर से खंडहर इमारतें, हादसों को न्यौता देती इमारतें, मूकदर्शक बना निगम व जिला प्रशासन

जम्मू, अंचल सिंह: सरकारी अनदेखी के चलते असुरक्षित इमारतों में रहने को मजबूर लोगों ने इनमें टाइलें, मार्बल डालकर खूबसूरत तो बना दिया है लेकिन अंदर से यह खोखली हैं। किसी भी समय बड़े हादसे का सबब बन सकती हैं। बुधवार को अम्बफला में धराशाही हुई राज्य सैनिक बोर्ड की इमारत इसका एक नमूना है। इमारत का गेट, दुकानें टाइलें, मार्बल लगाकर खूब टिप-टॉप की गई थी लेकिन यह ताश के पत्तों की तरह गिर गई।

हालत यह है कि शहर की अधिकतर इमारतों को ऐसे ही रंग-रोगन करने के साथ इनमें रहने वाले अपनी सुविधा अनुसार टाइलें आदि लगाकर रह रहे हैं। उन्हें पता है कि यह असुरक्षित हैं लेकिन सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं होने तथा पुनर्वास का कोई विकल्प नहीं होने के चलते वे बाहर निकलने को तैयार नहीं। आलम यह है कि पुराने शहर में आज भी दर्जनों असुरक्षित इमारतों में लोग जान को जोखिम में डाल कर इनमें रह रहे हैं। भूकंप की दृष्टि से जम्मू सेसमिक जोन चार में आता है। इस लिहाज से यह खस्ताहाल इमारतें बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं।

पुराने शहर में कुछ खस्ताहाल इमारतें तो ऐसी हैं जिनके मालिक उसे खाली करके चले गए हैं। अब ये दूसरों के लिए खतरा बनी हुई हैं। अधिकतर इमारतें ऐसी हैं, जिनमें अब कोई नहीं रहता। कई मकान आधे गिर चुके हैं। ऐसे में यह आधे-अधूरे गिरे हुए मकान आसपास के लोगों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। न तो मालिक मकान को पूरा गिराकर मलबा उठाता है और न ही जम्मू नगर निगम इस दिशा में कोई कदम उठा रहा है।

असुरक्षित इमारतों में अधिकतर सरकारी: जम्मू नगर निगम ने करीब डेढ़ दशक पूर्व शहर में सर्वे करके तीन दर्जन इमारतों को खस्ताहाल और असुरक्षित घोषित किया था। इसमें अधिकतर इमारतें सरकारी थीं। ऐतिहासिक मुबारक मंडी के कई हिस्सों को असुरक्षित घोषित किया गया था। इसी के चलते यहां से जिला कोर्ट व हाईकोर्ट शिफ्ट हुआ। राज्य का सूचना विभाग भी इसी परिसर में था जिसे असुरक्षित घोषित किए जाने के बाद शिफ्ट किया गया। इसके अलावा यहां खाद्य आपूर्ति व जन-वितरण विभाग समेत करीब आधा दर्जन सरकारी कार्यालय थे। इन सभी हिस्सों को असुरक्षित घोषित करते हुए खाली करवाया गया था। इसके अलावा वेयर हाउस के साथ लगती नेहरू मार्केट में एस्टेट विभाग के क्वार्टर व वेयर हाउस स्थित आरटीओ बिल्डिग को भी असुरक्षित घोषित किया गया था। इसके बावजूद क्वार्टरों में लोग रह रहे हैं और पूर्व आरटीओ कार्यालय में नंबर प्लेट बनाने व लगाने का काम जारी है।

शहर में असुरक्षित इमारतों को तोड़ने के लिए निगम अपने स्तर पर कार्रवाई जरूर करता है लेकिन यह सब लोगों की शिकायत के बाद ही संभव है। निगम इसके लिए मलबा फीस लेने के बाद असुरक्षित इमारत को तोड़ता है जिसका सारा खर्च मालिक को उठाना पड़ता है। निगम अपने स्तर पर ऐसी इमारतों की निशानदेही कर मालिकों को बाकायदा नोटिस भी जारी करता है कि वह या तो स्वयं मकान गिरा दे या निगम में फीस भर दें ताकि निगम स्वयं सुरक्षित तरीके से इमारत को गिरा दे। अब हम ऐसी इमारतों की निशानदेही कर कार्रवाई करने जा रहे हैं। निगम आयुक्त को इस संबंध में निर्देश दिए जाएंगे कि वे ऐसी इमारतों को खाली करवाएं। -चंद्रमोहन गुप्ता, मेयर, जम्मू नगर निगम  
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