Roadmap to Mission Rohingya: ढाई माह पहले ही रोहिंग्याओं की वापसी का बनना शुरू हो गया था रोडमैप
रोहिंग्या नागरिक की वापसी का सिलसिला अंतत शनिवार से शुरू हो गया। 168 लोगों को चिन्हित करके हीरानगर जेल में बनाए गए होल्डिंग सेंटर में भेजा है। 168 लोगों को चिन्हित करके हीरानगर जेल में बनाए गए होल्डिंग सेंटर में भेजा है।
नवीन नवाज, जम्मू : अवैध रूप से जम्मू आकर बसे रोहिंग्या नागरिक (इन्हेंं शरणार्थी इसलिए नहीं कहा जाएगा क्योंकि यह शरणार्थी बनकर नहीं आए हैं) की वापसी का सिलसिला अंतत: शनिवार से शुरू हो गया। 168 लोगों को चिन्हित करके हीरानगर जेल में बनाए गए होल्डिंग सेंटर में भेजा है। यह सब अचानक नहीं हुआ है बल्कि इसके लिए जम्मू में विभिन्न राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों ने लगातार प्रयास किया। कइयों ने अदालत का भी सहारा लिया। कई बार मामला सांप्रदायिक रंग भी पकड़ता नजर आया।
सभी घटनाओं के बीच शायद ही कोई सुरक्षा एजेंसी रही होगी जिसने जम्मू में रोहिंग्या नागरिकों के खतरे से आगाह करते हुए केंद्र को पत्र न लिखा हो। वहीं रोहिंग्या शरणाॢथयों की आड़ में रोहिंग्या आतंकी भी जम्मू कश्मीर में दस्तक दे चुके हैं। इनके तार जैश, लश्कर और अल-कायदा से जुड़े हुए हैं।
गृहमंत्रालय ने विभिन्न खुफिया एजेंसियां की रिपोर्ट का हवाला देते हुए करीब ढाई माह पहले गृह विभाग और पुलिस प्रशासन को अवैध रूप से बसे रोहिंग्याओं की वापसी का रोडमैप तैयार करने के लिए कहा था। प्रदेश प्रशासन से कहा था कि वह कोई ऐसी व्यवस्था करे कि जब तक इन्हें उनके देश वापस नहीं भेजा जाता,वह स्थानीय समाज से दूर किसी जगह कड़ी निगरानी में रहें। सभी रोहिंग्याओं को जारी दस्तावेजों के अलावा उंगलियों के निशान के आधार उनकी बायो मीट्रिक पहचान भी करने को कहा था। 20 दिन पूर्व उच्च न्यायालय ने हुनर गुप्ता की याचिका पर प्रदेश सरकार को रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों को चिन्हित कर वापस भेजने के संदर्भ में एक माह में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
बस्तियों को चिन्हित किया : केंद्र सरकार के निर्देश के आधार पर पुलिस ने उन बस्तियों को चिन्हित किया जहां रोहिंग्या रहते हैं। 15 दिन पहले हीरानगर जेल प्रशासन को सूचित किया कि वह जेल में बंद कैदियों को अन्यत्र स्थानांतरित करे। बीती रात जम्मू, सांबा, कठुआ, ऊधमपुर, रियासी, रामबन और राजौरी-पुंछ में सभी जिला उपायुक्तों और जिला एसएसपी को निर्देश दिया था।
आतंकवाद में संलिप्त रह चुके :
2015 में कश्मीर में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में एक म्यांमारी आतंकी छोटा बर्मी अपने दो अन्य साथियों संग मारा गया। छोटा बर्मी लश्कर से जुड़ा हुआ था। उसकी मौत ने साबित कर दिया कि रोहिंग्या आतंकी भी लश्कर और जैश के कैडर के साथ कश्मीर में दाखिल हो चुके हैं। इसके बाद एक और रोहिंग्या के आतंकी बनने की पुष्टि हुई। नवंबर 2016 के बाद यह मामला सियासी, सांप्रदायिक और जम्मू बनाम कश्मीर हो गया। नवंबर 2016 में जम्मू के नरवाल में हुए भीषण अग्निकांड में रोहिंग्या शरणार्थियों की कई झुग्गियां जल गई थी। चार रोहिंग्या झुलसकर मर गए थे। जमात ए इस्लामी समेत सभी मुस्लिम संगठन और कश्मीर के सभी अलगाववादी संगठनों ने मामले को मुद्दा बनाया। नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी,अवामी इत्तेहाद पार्टी जैसे संगठन इस्लाम के नाम पर रोहिंग्याओं के पक्ष में खड़े नजर आए।
रोहिंग्या आतंकी संगठन भी :
अक्टूबर 2016 में अल मुजाहिदीन एएमएम नामक रोहिंग्या आतंकी संगठन की लश्कर और जैश के साथ रिश्तों की पुष्टि दोबारा हुई,जब पता चला कि एएमएम के आतंकी पाकिस्तान में हाफिज सईद और अजहर मसूद की जिहादी फैक्टरियों में मौजूद हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने अपने नेटवर्क और कश्मीर में पकड़े कुछ आतंकियों से पूछताछ पर की थी।