केंद्रीय विश्वविद्यालय की शान में बट्टा लगा रही बदहाल सड़क
जम्मू के केंद्रीय विश्वविद्यालय को जाने वाली सड़क भारी मालवाहकों की आवाजाही से बदहाल हो गई है। सरकार ने इस सड़क को बनाने में लाखों रुपये खर्च किए लेकिन यह सब मिट्टी में मिल रहा है। आलम यह है कि हर दिन सैकड़ों भारी मालवाहक पहाड़ी इलाकों से खनन व इमारती सामग्री भरकर इस सड़क से गुजरते हैं।
संवाद सहयोगी, रामगढ़ : जम्मू के केंद्रीय विश्वविद्यालय को जाने वाली सड़क भारी मालवाहकों की आवाजाही से बदहाल हो गई है। सरकार ने इस सड़क को बनाने में लाखों रुपये खर्च किए, लेकिन यह सब मिट्टी में मिल रहा है। आलम यह है कि हर दिन सैकड़ों भारी मालवाहक पहाड़ी इलाकों से खनन व इमारती सामग्री भरकर इस सड़क से गुजरते हैं। इससे सड़क की हालत खस्ता होती जा रही है। केंद्रीय विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थी इसी बदहाल सड़क पर हिचकोले खाते हुए वाहन से पहुंचते हैं। सरकार को जल्द से जल्द इस सड़क की हालत सुधारनी चाहिए।
केंद्रीय विश्वविद्यालय जाने वाली सड़क की खस्ताहाल से क्षेत्र के छात्रों में ही नहीं आम लोगों में भी रोष है। कांग्रेस के विजयपुर ब्लाक प्रधान रघुवीर सिंह बागल ने कहा कि जम्मू कश्मीर में जब केंद्रीय विश्वविद्यालय खुला तो यहां के लोग बहुत खुश हुए थे। इसमें विद्यार्थियों के लिए हर सुविधा मुहैया करवाई गई है। सड़क भी पहले अच्छी थी, लेकिन भाजपा सरकार आम लोगों को ही नहीं शिक्षण संस्थानों को भी बदहाली की हालत में पहुंचा रही है। देश में अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों की सड़कों को देखिए, वे साफ-सुथरी हैं। सड़क में एक गड्ढा भी नहीं मिलेगा, लेकिन हमारे यहां इसके उलट है। यह सड़क विश्वविद्यालय का शान पर बट्टा लगा रही है। यह आश्चर्यजनक लगता है कि रोजाना इसी सड़क से कई बड़े अधिकारी गुजरते हैं, लेकिन किसी को भी इसकी फिक्र नहीं है कि सड़क की मरम्मत करवाई जाए। उन्होंने कहा कि यदि जल्द सड़क की हालत नहीं सुधारी गई तो कांग्रेस पार्टी इसके लिए सड़क पर उतरेगी। स्थानीय लोगों को भी इसमें साथ लिया जाएगा। बदहाल सड़क पर हिचखोले खाते केंद्रीय विश्वविद्याल पहुंचते हैं विद्यार्थी
जम्मू-पठानकोट नेशनल हाइवे पर स्थित राया मोड़ से सुचानी गांव में स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय तक की दूरी करीब दस किलोमीटर है। अब इस सड़क में जगह-जगह से तारकोल उखड़ गया है। सड़क में जगह-जगह गड्ढे बन गए हैं, जो अक्सर हादसों को वजह बनते हैं। बारिश होने पर ये गड्ढे नजर नहीं आते, जिससे इस सड़क पर वाहन चलाते समय लोगों को हादसे की आशंका बनी रहती है। तारकोल निकलने से कंकड़-पत्थर भी सड़क पर बिखरे रहते हैं। इसके अलावा खनन सामग्री ले जाने वाले मालवाहक वाहन भी सड़क पर पत्थर गिराते जाते हैं। इससे वाहन चालकों को परेशानी होती है। बदहाल सड़क केंद्रीय विश्वविद्यालय की गरिमा पर बुरा प्रभाव छोड़ रही है।