Jammu Kashmir: आतंकी हमलों में नहीं, सड़कों हादसों में ज्यादा जाती है जानें; आंकड़े जान हैरान रह जाएंगे आप!

कई ऐसे मामले में सामने आए है कि जिनमें लोग शराब के नशे में भी वाहन चलाने से गुरेज नहीं करते हैं। न केवल दो पहिया बल्कि चार पहिया वाहन चालक भी नशे की हालत में गाड़ी चलाते हैं। ऐसे चालकों की इस भारी लापरवाही से सड़क हादसे होते हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 10:14 AM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 12:57 PM (IST)
Jammu Kashmir: आतंकी हमलों में नहीं, सड़कों हादसों में ज्यादा जाती है जानें; आंकड़े जान हैरान रह जाएंगे आप!
जून में ही मरने वालों की संख्या 40 के करीब थी।

जम्मू, दिनेश महाजन। यह बात सब जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर आतंकवादग्रस्त केंद्र शासित प्रदेश है परंतु आपको यह जानकारी हैरानगी होगी कि यहां आम लोगों की जान आतंकी हमलों में नहीं बल्कि सड़क हादसों में जाती है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार सड़क हादसों के मामले में जम्मू-कश्मीर भारत में दूसरे स्थान पर है।

पिछले पांच वर्षों की बात करें तो जम्मू-कश्मीर में हर साल 900 से अधिक लोग सड़कों का शिकार हो जाते हैं। जम्मू-कश्मीर ट्रैफिक विभाग के आंकड़े भी यही बताते हैं। पिछले नौ सालों में प्रदेश में 56000 सड़क दुर्घटनाओं में 9000 से अधिक लोगों की मौत हुई यही नहीं इन सड़क हादसों में लगभग 8,000 लोग घायल हुए। पिछले छह महीनों की बात करें तो विभिन्न सड़क हादसों में 150 लोगों की जान चली गई। जून में ही मरने वालों की संख्या 40 के करीब थी। 

पिछले साल 2019 में यह संख्या 485 के करीब थी। इस दौरान 2822 सड़क हादसे हुए थे। इन सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वालों की संख्या 3838 के करीब थी। इसी तरह वर्ष 2018 के दौरान 5978 सड़क दुर्घटनाओं में 984 लोगों ने अपनी जान गंवाई। वर्ष 2017 में 5624 सड़क दुर्घटनाओं में 926, वर्ष 2016 में 5501 सड़क दुर्घनाओं में 958, वर्ष 2015 में 4638 सड़क हादसों में 688 लोगों ने अपनी जान गंवाई।

वहीं आतंकवादी हमलों की बात करें तो जम्मू-कश्मीर में हर साल डेढ़ से दो दर्जन लोग इन हादसों का शिकार हो जाते हैं। मार्च 2020 तक आतंकी हमलों में 23 लोगों ने अपनी जान गंवाई। 2019 में भी मरने वालों का आंकड़ा इसी के आसपास था। अनुच्छेद 370 हटने के बाद सुरक्षाबलों द्वारा आतंकियों के खिलाफ छेड़े गए अभियान के बाद अब तक 19 से अधिक लोग आतंकी हमलों में अपनी जान गंवा चुके हैं।

वाहन चालकों की बढ़ती लापरवाही है सड़क हादसों का कारण: सड़क हादसों का मुख्य कारण यातायात नियमों का उल्लंघन है। सबसे अधिक लापरवाही दो पहिया वाहन चालकों की नजर आती हैं। कुछ दो पहिया वाहन चालक अपने वाहन को इस कदर गति से चलाते है कि माने वे हवा से बात कर रहे हैं। दो पहिया वाहन चालकों की थोड़ी की असावधानी हादसे का सबब बन जाती हैं। लापरवाही से वाहन चलाने वालों में युवा वर्ग के चालक शामिल हैं। कई ऐसे मामले में सामने आए है कि जिनमें लोग शराब के नशे में भी वाहन चलाने से गुरेज नहीं करते हैं। न केवल दो पहिया बल्कि चार पहिया वाहन चालक भी नशे की हालत में गाड़ी चलाते हैं। ऐसे चालकों की इस भारी लापरवाही से सड़क हादसे होते हैं।

नहीं होता यातायात नियमों का पालन: अकसर यह देखने में आता है कि दो पहिया वाहन चालक हेलमेट का प्रयोग नहीं करते। ऐसे में यदि उनका वाहन दुर्घटनाग्रस्त होता है तो वाहन चालक का जीवन खतरे में पड़ जाती हैं। इसी प्रकार शहर की सड़कों पर होने वाली अवैध पार्किंग भी सड़क हादसों का कारण हैं। लोग तीखे मोड़ पर भी वाहनों को पार्क करने से गुरेज नहीं करते। ऐसे में पीछे से आने वाले वाहन चालक को सड़क पर दौड़ रही ट्रैफिक का अनुमान ठीक प्रकार से नहीं लग पाता जो सड़क हादसों का कारण बनता हैं। शहर के चौक चौराहों में यातायात व्यवस्था को सुचारु बनाने के लिए लगाई गई ट्रैफिक लाइट पर कई वाहन चालक लाल बत्ती होने के बावजूद उसे जंप कर जाते है, जो हादसे का कारण बनता हैं।

खराब सड़क ढांचा: जिले के कई हिस्सों की जर्जर सड़कें हादसों का सबब बन रही हैं। शहर में हालांकि सड़क ढांचा मजबूत हैं, लेकिन ग्रामीण और शहर के बाहरी क्षेत्रों में सड़कों की हाल बेहाल हैं। जो हादसों का न्यौता देना वाला हैं। मौजूद समय में जम्मू अखनूर मार्ग के चौड़ीकरण का काम चल रहा हैं। इस दौरान सड़क पर मरम्मत कार्य के चलते सड़क की खस्ताहाल हो गई हैं। जम्मू अखनूर मार्ग में यातायात का बहुत अधिक दबाव हैं। जिस कारण से वहां आए दिन जानलेवा सड़क हादसे हो रहे हैं।

खूनी साबित हो रहे तीखा मोड़: बख्शी नगर से नागरिक सचिवालय की ओर जाने वाली विजीलेंस रोटरी में अंधा मोड़ होने के कारण अकसर हादसों का सबब बनता हैं, इसके अलावा जम्मू से नगरोटा की ओर जाने वाले रामनगर के तीखे मोड़, फ्लाई ओवर पर इंद्रा चौक, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के सामने बना तीखा मोड़ वाहनों चालकों के लिए जान जोखिम में डालने वाला हैं। प्रशासन भी इनसे अवगत हैं, लेकिन प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ हैं।

चालान काटने पर जोर, जागरूकता में फिसड्डी: सड़क हादसों को रोकथाम के लिए काम कर रहे समाज सेवी संगठन निर्भय भारत फाउंडेशन के चेयरमैन तरुण उप्पल का कहना है कि यातायात विभाग और ट्रैफिक पुलिस यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले चालकों के केवल चालान काटने पर जोर देती हैं। चालकों को नियमों के पालन बारे जागरूक करने के लिए इन विभागों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जाती। जागरूकता से सड़क हादसों को रोका जा सकता हैं। कई बार ऐसा होता है कि पुलिस नाकों से बचने के चक्कर में ही युवा अपनी जान गवा देते हैं।

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