उर्दू कवि अर्श सहबाई पर तीन पुस्तकों का विमोचन

प्रख्यात उर्दू कवि अर्श सहबाई और खुर्शीद काजमी के काव्य संकलन से संबंधित तीन पुस्तकों का विमोचन रविवार को आयोजित कार्यक्रम में किया गया। यह तीनों पुस्तकें व्यापक मानवीय सरोकारों के साथ कला और साहित्य भौगोलिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों से परे सभी को संबोधित करता एक दर्शन है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 04 Oct 2021 06:12 AM (IST) Updated:Mon, 04 Oct 2021 06:12 AM (IST)
उर्दू कवि अर्श सहबाई पर तीन पुस्तकों का विमोचन
उर्दू कवि अर्श सहबाई पर तीन पुस्तकों का विमोचन

जागरण संवाददाता, जम्मू : प्रख्यात उर्दू कवि अर्श सहबाई और खुर्शीद काजमी के काव्य संकलन से संबंधित तीन पुस्तकों का विमोचन रविवार को आयोजित कार्यक्रम में किया गया। यह तीनों पुस्तकें व्यापक मानवीय सरोकारों के साथ कला और साहित्य, भौगोलिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों से परे सभी को संबोधित करता एक दर्शन है। अंजुमन-ए-फारूग-ए-उर्दू ने आज जम्मू में एक पुस्तक विमोचन समारोह का आयोजन किया। इसमें प्रख्यात उर्दू कवि स्वर्गीय अर्श सहबाई पर पुस्तकों का विमोचन किया गया। सैयद खुर्शीद काजमी द्वारा संकलित आलोचना की एक पुस्तक मुगनी-ए-हयात अर्श, कौशल किरण ठाकुर द्वारा उर्दू गजल के अहद-सा•ा शायर अर्श और तेरी पुर-फसून निगाहें शीर्षक से अर्श सहबाई के तीन काव्य संकलन, सई तेरी यादों के और शबनम तेरी यादों की, भी रिलीज हुई। इसके अलावा प्रसिद्ध कवि सैयद खुर्शीद काजमी का एक काव्य संकलन तेरी फासून-साज आंखें, भी जारी किया गया। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की वक्फ विकास समिति के अध्यक्ष डा. दरक्षां अंद्राबी मुख्य अतिथि थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता सोहेल काजमी ने की, जबकि कवि खुर्शीद का•ामी, लेखक डा. जितेंद्र ऊधमपुरी और प्रो. कुदूस जावेद भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

जम्मू संभाग में उर्दू भाषा और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए अंजुमन-ए-फारूग-ए-उर्दू को बधाई देते हुए, डा. दरक्षां अंद्राबी ने कहा कि अर्श सहबाई की कविता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। उन्होंने कहा कि साहित्य के उत्थान के लिए वह हमेशा ऐसे संगठनों के साथ हैं। उन्होंने अंजुमन की अप्रकाशित पुस्तकों को प्रकाशित करने और मंच प्रदान करने के प्रयासों की सराहना की। अर्श धरती के सपूत थे और वह उर्दू शायरी के एक ऐसे प्रकाशस्तंभ के रूप में बने रहेंगे। डा. दरक्षां अंद्रावी ने कहा कि खुर्शीद काजमी एक मधुर प्रमुख कवि हैं, जो अपनी नवीनतम कविता की पुस्तक के लिए प्रशंसा के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि कला और साहित्य सार्वभौमिक रचनात्मक प्रतिबिब हैं और इसकी एकता शक्ति जादुई है। उन्होंने कलम के योद्धाओं से साहित्य के माध्यम से व्यापक मानवीय चिताओं को दूर करने की अपील की ताकि यह समय और स्थान से परे प्रासंगिक बना रहे। अपने संबोधन में सोहेल काजमी ने कहा कि अर्श सहबाई दशकों से जम्मू में एक जीवंत साहित्यिक आंदोलन रहे हैं और खुर्शीद काजमी जैसे दिग्गज उनकी साहित्यिक गतिविधियों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब हम एक तरफ जम्मू-कश्मीर में उर्दू को सिकुड़ते हुए देखते हैं, तो दूसरी तरफ हम उर्दू साहित्य को सभी सीमाओं को पार करते हुए और सभी अलग-अलग भाषाई क्षेत्रों में लोकप्रिय होते देखते हैं। उन्होंने कहा कि आज जारी इन अमूल्य पुस्तकों के जुड़ने से उर्दू का खजाना और भी कीमती हो जाएगा। उन्होंने कई कठिनाइयों के बावजूद केंद्र शासित प्रदेश में उर्दू भाषा के संरक्षण और प्रचार में अथक प्रयासों के लिए जम्मू-कश्मीर की उर्दू बिरादरी की सराहना की। स्वागत भाषण अंजुमन फोजिया की अध्यक्षा जिया ने दिया। इस समारोह में कई प्रमुख कवियों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं और कविता प्रेमियों ने भाग लिया।

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