Jammu Kashmir : स्कूल बंद हैं तो रेडियो बने बच्चों के साथी

मनोरंजन और देश दुनिया की खबरों को जानने का साधन माने जाने वाला रेडियो कोरोना काल में बच्चों का साथी बन गया है। रेडियो अब बच्चों के लिए मनोरंजन का साथी नहीं बल्कि उनको ज्ञान बांटने वाला यंत्र बन गया हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 03:03 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 03:03 PM (IST)
Jammu Kashmir : स्कूल बंद हैं तो रेडियो बने बच्चों के साथी
रेडियो अब बच्चों के लिए मनोरंजन का साथी नहीं बल्कि उनको ज्ञान बांटने वाला यंत्र बन गया हैं।

जम्मू, जागरण संवाददाता । मनोरंजन और देश दुनिया की खबरों को जानने का साधन माने जाने वाला रेडियो कोरोना काल में बच्चों का साथी बन गया है। रेडियो अब बच्चों के लिए मनोरंजन का साथी नहीं बल्कि उनको ज्ञान बांटने वाला यंत्र बन गया हैं। इस यंत्र से वे बच्चे ज्ञान हासिल कर रहे हैं जिनके स्कूल भी बंद हैं और उनके लिए मोबाइल इंटरनेट सेवा किसी सपने जैसी है।

दरअसल शिक्षा विभाग ने जब आनलाइन कक्षाएं शुरू की तो सबसे ज्यादा समस्या जम्मू कश्मीर के उन उच्च पर्वतीय क्षेत्रों व दूर दराज के इलाकों में आई जहां इंटरनेट आज भी चलता नहीं है। काफी प्रयास करने के बाद भी जब बच्चों के लिए आनलाइन शिक्षा वहां शुरू नहीं हो पाई तो जम्मू कश्मीर शिक्षा विभाग ने प्रसार भारती से निवेदन कर उन इलाकों के लिए रेडियो से पढ़ाई करवाने का आग्रह किया। 29 मई से रेडियो के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू हुआ तो आज 55 प्रतिशत विद्यार्थी रेडियो से ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

डायरेक्टर एजूकेशन जम्मू अनुराधा गुप्ता का कहना है कि रेडियो पर पढ़ाए जाने वाले विषयों का सप्ताह भर का चार्ट तैयार कर लिया जाता है। बच्चों को भी समय व विषय की जानकारी पहले से दे दी जाती है। तय समय पर रेडियो पर लेक्चर दिए जाते हैं और बच्चे उन्हें सुनकर अपना काम कर लेते हैं। प्रत्येक विषय के प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा लेक्चर दिए जाते हैं जो बहुत ही प्रभावी साबित हो रहे हैं। रेडियो के माध्यम से नौवीं से लेकर बारहवीं तक के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।

डायरेक्टर अनुराधा गुप्ता का कहना है कि रेडियो का रिस्पांस उनकी सोच से भी अधिक है जिसका लाभ बच्चे उठा रहे हैं। वहीं रेडियो का लाभ सिर्फ दूर दराज के इलाके के बच्चों को ही नहीं मिल रहा बल्कि शहर के आसपास रहने वाले बच्चे भी उठा रहे हैं। गजनसू में रहने वाले संदीप का कहना है कि उनके घर में एक ही स्मार्ट फोन है जो उनके पिता के पास है। वह दूसरा फोन नहीं ले सकते। वे दो भाई है जाे दसवीं और ग्यारहवीं में पढ़ते हैं। हम रेडियो से ही पढ़ाई कर रहे हैं। हमें फोन की जरूरत ही महसूस नहीं होती। 

chat bot
आपका साथी