जम्मू में एम्स बनाने के काम में आर्इ तेजी, मोदी रखेंगे 3 फरवरी को नींवपत्थर
विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी का सामना कर रहे जम्मू कश्मीर में यह कमी आने वाले वषों में पूरी हो सकती है। राज्य में दो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का निर्माण कार्य तेजी के साथ शुरू हो गया है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो । विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी का सामना कर रहे जम्मू कश्मीर में यह कमी आने वाले वषों में पूरी हो सकती है। राज्य में दो अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का निर्माण कार्य तेजी के साथ शुरू हो गया है। इन कालेजों का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन फरवरी को औपचारिक तौर पर नींव पत्थर रखेंगे। यह एम्स जम्मू में विजयपुर और कश्मीर में पुलवामा जिले के अवंतीपोरा में बन रहा है।
केंद्र सरकार ने कुछ साल पहले राज्य में दो एम्स स्थापित करने को मंजूरी दी थी। कश्मीर के अवंतीपोरा में एम्स स्थापित करने के लिए 1907 कनाल भूमि अधिग्रहण की गई है। जबकि सांबा में महीनों चले विवाद के बाद 1954 कनाल, छह मरला भूमि एम्स के निर्माण के लिए प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग को सौंपी। इसमें 176 कनाल निजी भूमि के अलाव 293 कनाल स्टेट लैंड और 1395 कनाल वन भूमि थी। सेंट्रल पब्लिक वर्क्स विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) इन एम्स का निर्माण कार्य करवा रहा है।
जम्मू के विजयपुर में बन रहे एम्स पर 1661 करोड़ रुपये और अवंतीपोरा में बन रहे एम्स पर 1828 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह दोनों प्रोजेक्ट पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित होंगे। इन्हें चलाने और इनकी मरम्मत का खर्च भी केंद्र सरकार ही उठाएगी। एम्स में तीन हजार के करीब फैकल्टी और अन्य पद होंगे। दोनों एम्स में पंद्रह से बीस के करीब सुपर स्पेशलिटी विभाग होंगे जबकि इनमें अंडर ग्रेजुएट की एक सौ सीटें होंगी। यही नहीं इनमें बीएससी नर्सिंग की भी पढ़ाई होगी और इसमें साठ सीट होंगी। यही नहीं हर एम्स में साढ़े सात सौ के करीब बिस्तरों की क्षमता होगी। जम्मू कश्मीर में यह एम्स प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत बनाए जा रहे हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने हाल ही में जम्मू कश्मीर के लिए मंजूर हुए दो एम्स पर कहा कि इससे राज्य में डाक्टरों की कमी दूर होगी और लोगों को सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टर भी उपलब्ध होंगे। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
जम्मू ने किया था संघर्ष
जम्मू: केंद्र सरकार ने पहले राज्य में सिर्फ कश्मीर के लिए एम्स मंजूर किया था। जम्मू में एम्स न होने के कारण जम्मू में लोगों ने इसके लिए आंदोलन किया। कई दिनों तक जम्मू में बंद भी रहा। जम्मू संभाग के विभिन्न स्थानों पर एम्स के लिए आंदोलन हुआ। इसके बाद केंद्र सरकार ने जम्मू के लिए भी एम्स की मंजूरी दे दी। हालांकि भूमि चयन और भूमि अधिग्रहण में भी एक साल से अधिक का समय लगा। अब तीन फरवरी को आखिर इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का प्रधानमंत्री नींव पत्थर रखने जा रहे हैं।
कश्मीर में दूसरा होगा संस्थान
जम्मू: कश्मीर में एम्स बनने के पहले भी शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल सांइसेस संस्थान है। यह संस्थान भी एम्स की तर्ज पर ही स्थापित किया गया था। इसमें बाहरी राज्यों के कई डाक्टर भी काम करते थे। परंतु कश्मीर में आतंकवाद का दौर शुरू होने के बाद इस संस्थान से बाहर के डाक्टर नौकरी छोड़ कर चले गए। इस समय इस संस्थान में कोई भी बाहर का डाक्टर नहीं है।