Historic Jammu-Sialkot Railway Line: देश के बंटवारे से पहले का रेल सफर फिर जीवंत करने की तैयारी
सियालकोट से जम्मू में बिक्रम चौक तक आने वाली रेलगाड़ी से जुड़े इतिहास को फिर से जीवंत करने के लिए प्रशासन अब गंभीर दिख रहा है। जम्मू के डिवीजनल कमिश्नर डाॅ राघव लंगर ने अधिकारियों को सर्वे रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश भी दे दिए हैं।
जम्मू, अवधेश चौहान : सियालकोट से जम्मू में बिक्रम चौक तक आने वाली रेलगाड़ी से जुड़े इतिहास को फिर से जीवंत करने के लिए प्रशासन अब गंभीर दिख रहा है। जम्मू के डिवीजनल कमिश्नर डाॅ राघव लंगर ने अधिकारियों को सर्वे रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश भी दे दिए हैं। आरएसपुरा से जम्मू के बिक्रम चौक तक ड्रोन से वीडियो बनाने को कहा है, ताकि इसके ट्रैक को अंतिम रूप दिया जा सके। चूंकि अब पुराने ट्रैक पर लोग बस गए हैं, जिस कारण इसके रूट में बदलाव किया जाएगा। पुराने रेलवे स्टेश के वैभव को कायम करने का मकसद टूरिज्म को बढ़ावा देना हैं।
उस समय डेढ़ आना होता था किराया
30 किलोमीटर के नैरो गेज लाइन की कुछ धूमिल यादें अभी भी कुछ लोगों के दिलो दिमाग में तरोताजा है। वाइआर गुप्ता ने अपने बचपन के दिनों का साझा करते हुए कहा कि जब मैं 10 साल का था तो आरएसपुरा से जम्मू के तवी किनारे बने स्टेशन तक सफर तय किया था। उस समय डेढ़ आना किराया होता था। तब स्टेशन से लगता था कि जम्मू शहर काफी दूर है। तांगे से लोग शहर और अपने गंतव्यों तक पहुंचते थे। तवी के किनारे जिसे अब बिक्रम चौक कहा जाता है, में रेलवे छावनी हुआ करती थी। उसके साथ लगता वेयर हाउस रेलवे मुलाजिमों के क्वार्टर हुआ करते थे। जो अब जर्जर हालत में हैं। अब यहां कला केंद्र की इमारत और जम्मू कश्मीर रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन का पुराना यार्ड है, जिसे हटाने के निर्देश दिए गए हैं। जम्मू की पुरानी यादों को संजाेने के लिए लोग बेसब्री से इंतजार में हैं, कि क्या कोयले से चलने वाली ट्रेन कैसी हुआ करती थी। इसकी सीटी कई किलोमीटर दूर तक सुनाई देती थी। जिससे उस जमाने के लोग टाइम का अंदाजा लगा लेते थे।
बिक्रम चौक से ट्राम, मिनी ट्रेन चलाने की योजना
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि अगर संभव हुआ तो आरएसपुरा से बिक्रम चौक तक ट्राम या मिनी ट्रेन चलाने की योजना बनाई गई है। यह रेलगाड़ी मुसाफिरों को आजादी से पूर्व के उन लम्हों की याद दिलाएगी, जब ट्रेन सियालकोट से जम्मू आया करती थी। जम्मू के डिवीजनल कमिश्नर डाॅ राघव लंगर का कहना है कि साइट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करनें के निर्देश दे दिए गए हैं। इस परियोजना को अगले कुछ साल में पूरा कर लिया जाएगा।
बंटवारे से पहले जैसे रंग रूप में इसे बनाया जाएगा
उन्होंने कहा कि यह रेलवे स्टेशन की एक ऐतिहासिक धरोहर है, जिसकी काफी अहमियत है। राघव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन की तस्वीरों को परखें और जानें कि वह कैसा होता था। उसका रंगरूप कैसा था। उसी नक्शे और डिजाइन पर इसे दोबारा बनाया जाए, ताकि इसकी खोई हुई गरिमा को कायम किया सके। उन्होंने इसके लिए रेलवे के तकनीकी अधिकारियों को शामिल कर डीपीआर तैयार के निर्देश दिए।
इतिहास के पन्नों में सिमट चुका पुराना रेलवे स्टेशन फिर जीवंत होगा
उन्होंने कहा कि यह पुराना रेलवे स्टेशन जो अब इतिहास के पन्नों में सिमट चुका है, को दोबारा बनाया जाएगा क्योंकि युवा वर्ग में काफी चाहत है कि बंटवारे से पहले के जम्मू को जानें। बंटवारे से पहले भाप के इंजन से रेल चलती थी, जो सियालकोट से होती हुई आरएसपुरा पहुंची थी और फिर इसका दूसरा पड़ाव बिक्रम चौक स्टेशन होता था।