Jammu Kashmir: मंडी में आलू का भाव नरम पर बाजार में अभी भी लूट जारी

इस सीजन बारिश के कारण खेतों में पानी जमा होने से पंजाब राजस्थान उत्तर प्रदेश में आलू की खेती लेट हो गई। इसी से ही दाम में एकदम से उछाल आ गया। अब नई फसल आ रही है और दाम नीचे जा रहे हैं। मगर बाजार में लूट-खसोट जारी है।

By lokesh.mishraEdited By: Publish:Fri, 04 Dec 2020 09:47 PM (IST) Updated:Fri, 04 Dec 2020 09:47 PM (IST)
Jammu Kashmir: मंडी में आलू का भाव नरम पर बाजार में अभी भी लूट जारी
आम लोगों की सब्जी कहे जाने वाला आलू बाजार में अभी भी महंगा बिक रहा है

जम्मू, जागरण संवाददाता: आम लोगों की सब्जी कहे जाने वाला आलू बाजार में अभी भी महंगा बिक रहा है। हालांकि मंडी में इसके दाम लगातार गिर रहे हैं। दस दिन पहले मंडी में आलू के थोक भाव 40 रुपए थे जो शुक्रवार को गिरकर 20 से 22 रुपए पर पहुंच आए। अधिकांश दुकानदार ग्राहकों से 40 रुपए प्रतिकिलो वसूल कर रहे हैं।

इस सीजन बारिश के कारण खेतों में पानी जमा होने से पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में आलू की खेती लेट हो गई। इसी से ही दाम में एकदम से उछाल आ गया। अब नई फसल आ रही है और दाम नीचे जा रहे हैं। मगर बाजार में लूट-खसोट जारी है। सतवारी के सुदेश कुमार का कहना है कि आलू के लिए उनको 40 रुपए खर्च करने पड़े। अब सब्जियों का सीजन है।

जब मंडी में आलू नरम होने लगा है तो बाजार में भी आलू उसी तरह सस्ता होना चाहिए। वहीं  मुस्कान ने कहा कि आलू गरीब लोगों की सब्जी है। आम लोगों को सस्ता आलू मिलना चाहिए। थोक मंडी के व्यापारी राज कुमार राजा का कहना है कि मंडी में आलू के दाम लगातार गिर रहे हैं। अगले दस दिनों में आलू के दाम में और गिरावट आने वाली है। महंगाई तो दुकानदारों ने बनाई हुई है।

आलू की अगेती फसल लगाने वाले किसानों के वारे न्यारे

आलू की अगेती फसल लगाने वाले किसानों ने बीत 15 दिनों में अच्छा पैसा कमाया। मंडी में उनका माल अभी भी 22 रुपए प्रति किलो में बिक रहा है। हालांकि 10 दिन पहले उनको प्रति किलो चालीस रुपए भी प्राप्त हुए। अरनिया, बिश्नाह और जिले के अन्य क्षेत्रों के उन किसानों के वारे न्यारे रहे, जिन्होंने अगेती आलू लगाया था। बिश्नाह व अरनिया क्षेत्र से अब तक 800 क्विंटल आलू मंडी में बेचा जा चुका है। अरनिया के किसान बसंत ङ्क्षसह ने कहा कि यह पहला मौका रहा कि किसानों को आलू की कीमत 20 रुपये तक मिले। कुछ दिन पहले तो यह दाम दुगने थे। अब आलू के दाम गिरने लगे हैं। इससे आलू उत्पादक किसानों की चिताएं थोड़े बढऩे लगी हैं।

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