Funds for Ram mandir: दिव्‍यांग मजदूर 500 रुपये का योगदान देकर बोला- मेरी झोपड़ी तो कभी भी बन जाएगी, रामलला का 'घर' भव्‍य बनना चाहिए

फटी तिरपाल घास और सीमेंट की खाली बोरियां सिलकर बनाई गई टूटी-फूटी झोपड़ी। मेहनत-मजदूरी कर दिव्यांग लेखराज किसी तरह जीवन का पहिया घुमा रहे हैं। बावजूद इसके परिवार ने श्री राममंदिर निर्माण के लिए 500 रुपये धन समर्पण कर रामलला को भी अपना कर्जदार बना दिया।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 05:23 AM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 08:24 AM (IST)
Funds for Ram mandir: दिव्‍यांग मजदूर 500 रुपये का योगदान देकर बोला- मेरी झोपड़ी तो कभी भी बन जाएगी, रामलला का 'घर' भव्‍य बनना चाहिए
झोपड़ी में रह रहे परिवार ने श्री राममंदिर निर्माण के लिए 500 रुपये देकर रामलला को भी कर्जदार बना दिया।

रियासी, राजेश डोगरा : फटी तिरपाल, घास और सीमेंट की खाली बोरियां सिलकर बनाई गई टूटी-फूटी झोपड़ी। पेट भरने के लिए दो वक्त की रोटी के भी लाले। परिवार का मुखिया एक टांग और दोनों हाथों से लाचार। मेहनत-मजदूरी कर दिव्यांग लेखराज किसी तरह जीवन का पहिया घुमा रहे हैं। जाहिर है, इस तंगहाली में परिवार के लिए एक-एक पाई मायने रखती है। बावजूद इसके इस परिवार ने अयोध्या में बनने जा रहे भव्य श्री राममंदिर के निर्माण के लिए 500 रुपये की निधि का समर्पण कर रामलला को भी अपना कर्जदार बना दिया।

श्री राम मंदिर निर्माण के लिए इन दिनों विश्‍व हिंदू परिषद की समितियां धन संग्रह अभियान में जुटी हैं। वीरवार को रियासी जिले की कांजली पंचायत के छपानू गांव में समिति के सदस्यों में शामिल राम राज अपने कुछ साथियों के साथ धन संग्रह करने निकले थे। ये लोग एक टूटी-फूटी झोपड़ी के पास से गुजरे, तभी पीछे से किसी ने आवाज दी तो समिति के सदस्य रुक गए।

झोपड़ी से कांता देवी अपनी छोटी बेटी के साथ बाहर आई और 500 रुपये समिति के सदस्यों के हाथ पर रख दिए। समिति के सदस्य कांता देवी और उसकी टूटी झोपड़ी को देख दंग रह गए। उन्हें उम्मीद ही नहीं थी कि इस झोपड़ी से कोई पैसे देने निकलेगा।

समिति के सदस्यों ने कांता देवी से कहा कि आप कम पैसे भी दे सकते हो। इसपर कांता देवी ने बताया कि उनके पति लेखराज इस समय मजदूरी करने बाहर गए हैं। उन्होंने ही धन संग्रह के लिए 500 रुपये अलग रखे हुए हैं। समिति के सदस्य राम राज ने कहा कि झोपड़ी पर डाली गई तिरपाल के चिथड़े उड़ चुके थे।

परिवार की हालत देखकर समिति सदस्यों ने लेखराज से मोबाइल फोन पर बात की। लेखराज भी इस बात पर अड़ गए कि चाहे कुछ भी हो जाए वह तो भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण के लिए 500 रुपये जरूर देंगे। लेखराज ने कहा कि मेरी झोपड़ी तो कभी भी बन जाएगी, पहले भव्य राम मंदिर बनना चाहिए। परिवार की इस जिद पर समिति ने वह राशि स्वीकार कर ली। परिवार की दशा और भगवान श्री राम के प्रति इस परिवार की आस्था को देखकर समीति के सदस्य भीगी आंखों के साथ आगे बढ़ गए।

आतंकवाद का भी दंश झेल चुका है परिवार :

दिव्यांग लेखराज मूल रूप से जम्मू संभाग के डोडा जिले के बड़की गांव के रहने वाले हैं। आतंकवाद के कारण वर्ष 1991 से उनका परिवार पलायन कर सियासी के कांजली आ गया। जहां कुछ स्थानीय लोगों ने उन्हें रहने के लिए जमीन दी, लेकिन सात-आठ वर्ष तक बीमारी के बाद दो अलग दुर्घटनाओं में दिव्यांग बनकर रह गए लेखराज तथा उनके परिवार को गुरबत ने उठने नहीं दिया।

लेखराज का परिवार तिनका-तिनका जोड़कर टूटी फूटी झोपड़ी ही बना पाया है। जहां यह परिवार हर मौसम की मार झेल रहा है। लेखराज ने बताया कि उनकी एक टांग और दो हाथ सही ढंग से काम नहीं करते हैं। बावजूद इसके वह मजदूरी कर किसी तरह परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने का प्रयास करते हैं। उनकी बड़ी बेटी की स्थानीय लोगों की मदद से शादी हो गई है। मौजूदा समय में लेखराज उनकी पत्नी कांता देवी और तीन बच्चे टूटी झोपड़ी में रह रहे हैं। रियासी जिला समिति के प्रचार प्रमुख संजीव खजूरिया ने कहा कि परिवार की आस्था के आगे हम सभी नतमस्तक हैं।

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