कश्मीर में फिर से पलायन का संकट, निर्दोष लोगों की हत्याओं से अल्पसंख्यकों में डर का माहौल

कई लोग अपना सामान बांधकर जम्मू के लिए भी निकल पड़े हैं हालांकि प्रशासन ने किसी प्रकार के पलायन की पुष्टि नहीं की है लेकिन न सिर्फ उत्तरी कश्मीर में बल्कि दक्षिण कश्मीर में भी कई हिंदू कर्मचारी घाटी छोड़ जम्मू में अपने घरों की तरफ रवाना हो गए हैं।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Fri, 08 Oct 2021 07:56 AM (IST) Updated:Fri, 08 Oct 2021 07:56 AM (IST)
कश्मीर में फिर से पलायन का संकट, निर्दोष लोगों की हत्याओं से अल्पसंख्यकों में डर का माहौल
प्रशासन ने वादी में सभी अल्पसंख्यक बस्तियों की सुरक्षा की समीक्षा कर उसे नए सिरे से चाक चौबंद बनाया है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : तीन दिन में पांच लोगों की हत्या से एक बार फिर कश्मीर में रह रहे अल्पसंख्यकों में डर का माहौल पैदा हो गया है। कई लोग अपना सामान बांधकर जम्मू के लिए भी निकल पड़े हैं, हालांकि प्रशासन ने किसी प्रकार के पलायन की पुष्टि नहीं की है, लेकिन न सिर्फ उत्तरी कश्मीर में बल्कि दक्षिण कश्मीर में भी कई हिंदू कर्मचारी घाटी छोड़ जम्मू में अपने घरों की तरफ रवाना हो गए हैं। इस बीच, प्रशासन ने वादी में सभी अल्पसंख्यक बस्तियों की सुरक्षा की समीक्षा कर उसे नए सिरे से चाक चौबंद बनाया है।

सूत्रों की मानें तो कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत नौकरी पाने वाले अधिकांश कश्मीरी हिंदू जम्मू लौट गए हैं या फिर प्रशासन द्वारा बनाई गई ट्रांजिट कालोनियों में सिमट गए हैं। सिर्फ कश्मीरी पंडित ही नहीं, अन्य हिंदू और गैर मुस्लिम समुदाय के कई लोगों के जम्मू की तरफ निकलने की सूचना है। कश्मीरी पंडित पत्रकार आदित्य राज कौल के मुताबिक, 15 परिवारों ने कश्मीर छोड़ दिया है। वेस्सु और गांदरबल से कई अन्य लोग निकल रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि यह सभी कश्मीरी पंडित हैं या अन्य समुदायों के लोग, लेकिन वेस्सु में उन कश्मीरी पंडितों के लिए ट्रांजिट आवासीय कालोनी है, जिन्होंने कश्मीर वापसी के लिए प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत कश्मीर में नौकरी प्राप्त की है।

गांदरबल में भी ऐसी ही एक कालोनी है। बडगाम के शेखपोरा में भी कश्मीरी पंडितों के लिए कालोनी है, और वहां से भी कई लोगों के निकलने की सूचनाएं प्राप्त हुई हैं। एक अन्य राहुल पंडिता ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि चार हिंदू अध्यापकों को निकटवर्मी सुरक्षा शिविर में स्थानांतरित होने के लिए कहा गया है। श्रीनगर से एक कश्मीरी पंडित कारोबारी ने भी कथित तौर पर सपरिवार जम्मू के लिए रुख किया है। उक्त व्यापारी के बारे में दावा किया जा रहा है कि वह मक्खन लाल बिंदरू की तरह तब भी कश्मीर में डटा रहा, जब आतंकवाद अपने चरम पर था।

इस बीच, स्थानीय सूत्रों ने बताया कि बारामुला, कुपवाड़ा, श्रीनगर और दक्षिण कश्मीर से कई अल्पसंख्यक कर्मचारी अपने घरों को अचानक लौट गए हैं। इनमें से कुछ ने अवकाश के लिए आवेदन किया है और कुछ के बारे में कहा जा रहा है कि उन्हें उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने सुरक्षा परिदृश्य का हवाला देते हुए कुछ दिनों के लिए जम्मू या कश्मीर में किसी सुरक्षित जगह पर जाने की सलाह दी है। हालांकि प्रशासन ने अल्पसंख्यकों के वादी से जाने की किसी भी सूचना की पुष्टि नहीं की है। पुलिस ने भी ऐसी सूचनाओं से इन्कार किया है।

कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार अहमद अली फैयाज ने कहा कि बीते 30 साल से मैंने आतंकी हिंसा के कई मंजर देखे हैं। कई मुठभेड़ों, कई नरसंहारों की रिपोर्टिंग की है। खुद भी आतंकी हमलों में बचा हूं। हालांकि 1990 जैसे हालात अभी नहीं है, लेकिन एक लंबे अर्से के बाद मैंने कश्मीर में भारत समर्थक तत्वों में इस तरह का डर देखा है।

संवेदनशील इलाकों में बढ़ाई गई गश्त : इस बीच, आज देर शाम पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने सभी संबंधित सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों के साथ एक बैठक में वादी के सुरक्षा प्रबंधों का जायजा लिया है। इसके साथ ही पूरी वादी में जहां भी अल्पसंख्यकों की बस्तियां, मोहल्ले और धर्मस्थल हैं, वहां सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। इन इलाकों में स्थित सुरक्षा चौकियों में तैनात सुरक्षाकर्मियों को नियमित अंतराल पर अपने वरिष्ठ अधिकारियों को संपर्क कर, जमीनी हालात से अवगत कराने को कहा गया है। इसके अलावा सभी संवेदनशील इलाकों में सुरक्षाबलों की गश्त भी बढ़ाई गई है।

उमर ने किया ट्वीट, कश्मीर न छोड़ें : नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का देर रात किया एक ट्वीट वादी के हालात और अल्पसंख्यकों में पैदा हुए डर के बारे में बहुत कुछ कहा जाता है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, हम आतंकियों को इस बात की इजाजत नहीं दे सकते कि वह तय करें कि कौन कश्मीर में रहेगा और कौन नहीं। उन्होंने आगे लिखा, जो लोग इस समय डर के कारण कश्मीर छोड़ने का विचार कर रहे हैं, मैं उन सभी से अपील करता हूं कि वह ऐसा न करें। कश्मीर न छोड़ें। हम इन आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वालों, निर्दाेषों का कत्ल करने वालों को, आप लोगों को कश्मीर से निकालने का नापाक मंसूबा पूरा नहीं करने देंगे।

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