Reaction of Parents : स्कूल खुलने के आदेश से अभिभावक चिंतित, बोले- छोटे बच्चों के लिए स्कूल जाना अभी संभव नहीं

कोरोना संक्रमण के मामले कम होते ही स्कूल शिक्षा विभाग ने फरवरी के पहले सप्ताह से नौवीं से 12वीं कक्षा तक की कक्षाएं शुरू करने और उसके बाद दूसरे सप्ताह से छोटे बच्चों की कक्षाएं भी शुरू करने के आदेश जारी कर दिए हैं।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 08:37 PM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 08:37 PM (IST)
Reaction of Parents : स्कूल खुलने के आदेश से अभिभावक चिंतित, बोले- छोटे बच्चों के लिए स्कूल जाना अभी संभव नहीं
अभिभावकों को अब यह चिंता सता रही है कि स्कूल खुल जाने के बाद उनके बच्चे कितने सुरक्षित रहेंगे

जम्मू, जागरण संवाददाता: कोरोना संक्रमण के मामले कम होते ही स्कूल शिक्षा विभाग ने फरवरी के पहले सप्ताह से नौवीं से 12वीं कक्षा तक की कक्षाएं शुरू करने और उसके बाद दूसरे सप्ताह से छोटे बच्चों की कक्षाएं भी शुरू करने के आदेश जारी कर दिए हैं। बच्चों की पढ़ाई को लेकर चिंतित अभिभावकों को अब यह चिंता सता रही है कि स्कूल खुल जाने के बाद उनके बच्चे कितने सुरक्षित रहेंगे? हालात ये हैं कि लोग बच्चों को स्कूल भेजना भी चाहते हैं, लेकिन कोरोना का खौफ इतना है कि वह पसोपेश में भी हैं।

सैनिक कालोनी की पूजा गोस्वामी ने कहा कि कोरोना का खौफ बेशक कम हुआ है। वैक्सीन भी आ गई है, लेकिन हालात अभी भी वैसे ही हैं, जैसे पिछले वर्ष मार्च महीने में थे। इसमें कोई शक नहीं कि अभिभावक चाहते हैं कि स्कूल खुलें और उनके बच्चे स्कूल जाएं, लेकिन बच्चों की सुरक्षा से ऊपर उनके लिए कुछ नहीं है। अगर स्कूल खुलें तो बच्चों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रहे। इसका विश्वास सरकार और स्कूल प्रबंधन को करना होगा।

नीलम शर्मा ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा से ऊपर कुछ नहीं है। जब तक हालात सामान्य नहीं हो जाते वह बच्चों को स्कूल भेजना पसंद नहीं करेंगी। कम से कम प्राइवेट स्कूलों में जितना रश है। उसमें बच्चों को स्कूल भेजना कैसे सुरक्षित हो सकता है। शिक्षा विभाग को चाहिए था कि वह स्कूलों से पूछते कि वह स्कूल खोलने के लिए तैयार हैं कि नहीं। क्या वह कोरोना की सावधानियों का पालन करवा सकेंगे। अगर स्कूल वाले विश्वास दिलवाएं कि स्कूल में कारोना की सावधानियों का पालन हो जाएगा तो स्कूल खोलने में कोई परेशानी नहीं है।

पलौड़ा की सविता भाऊ ने कहा कि स्कूल का हर बच्चे के जीवन में विशेष महत्व होता है, लेकिन हालात ऐसे नहीं है कि बच्चों को स्कूल भेजा जा सके। फिर भी अगर सरकार स्कूल खोलने जा रही है तो उन्हें बच्चों की सुरक्षा को लेकर दिशा निर्देश जारी करने होंगे। जो हालात चल रहे हैं, उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता। हां, अभिभावक भी अपनी जिम्मेवारी समझें और बच्चों को हालात के अनुसार तैयार करके स्कूल भेजें।

शक्ति नगर की ईशा शर्मा ने कहा कि बच्चों को स्कूल तो स्कूल बस या किसी प्राइवेट गाड़ी से ही भेजना पड़ेगा। गाड़ी में बच्चे इतने ज्यादा होते हैं कि कोरोना की सावधानियों का पालन करना संभव ही नहीं है। कम से कम छोटे बच्चों के लिए स्कूल जाना तो संभव नहीं है। स्कूल अगर कोई व्यवस्था करे तो सप्ताह में कुछ दिन स्कूल पाना संभव है। कुछ बच्चों को एक दिन तो दूसरों को दूसरे दिन स्कूल बुलाया जा सकता है।

त्रिकुटा नगर की अमिता शर्मा का कहना है कि कम से कम प्राइमरी तक की कक्षाएं लगाने का माहौल नहीं है। वह तो अभी बच्चों को स्कूल नहीं भेंजेंगी। बच्चे का स्कूल इतनी दूर है कि रोज उसे स्कूल छोड़ने जाना संभव नहीं है, जबकि स्कूल की गाड़ी में तो रश ही इतना ज्यादा रहता है कि कोरोना के इस दौर में स्कूल की गाड़ी में बच्चें को स्कूल भेजना संभव नहीं है। भगवती नगर की रितु महाजन ने कहा कि बड़े बच्चे तो स्कूल जा सकते हैं। उन्हें समझाया भी जा सकता है कि कोरोना की सावधानियों का पालन किया जाए लेकिन छोटे बच्चों को समझाना संभव नहीं है। कोशिश होनी चाहिए कि हालात सामान्य होने तक छोटे बच्चों के स्कूल न खोले जाएं।

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