'चांदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल' पर झूमे श्रोता
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जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू में मंगलवार की शाम प्रसिद्ध गजल गायक पंकज उधास के नाम रही। पर्यटन विभाग की ओर से आइकानिक के तहत जम्मू विश्वविद्यालय के जनरल जोरावर सिंह सभागार में आयोजित शाम-ए-गजल कार्यक्रम में जम्मू के युवा कलाकारों को भी मंच मिला। पंकज उदास ने भी इन युवा गजल गायकों की सराहना की।
पंकज उधास ने श्रोताओं की फरमाइश का भी पूरा ध्यान रखा। उनकी गायी 'निकलो न बेनकाब, जमाना खराब है' पर हाल में सभी श्रोता वाह-वाह कह उठे। साजन फिल्म के गीत 'जीयें तो जीयें कैसे' पर भी खूब दाद मिली। 'दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है, हम भी पागल हो जाएंगे, ऐसा लगता है', 'इक वो भी जमाना था, एक यह भी जमाना है' भी खूब पसंद किया गया। पंकज उदास ने कार्यक्रम का समापन अपनी लोकप्रिय गजल 'चांदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल' के साथ किया। दर्शकों की बेहद मांग पर उन्होंने 'चिट्ठी आई है, आई है, वतन से चिट्ठी आई है' गायी तो हाल झूम उठा। करीब तीन घंटे चले इस कार्यक्रम का श्रोताओं ने भरपूर लुत्फ उठाया। पंकज उदास की हर गजल के साथ संगीत प्रेमी भी गाते नजर आए।
इससे पहले जम्मू के कलाकारों की प्रस्तुति ने भी समा बांधा। खासकर रवि रघुवंशी ने गुलाम अली की गजल 'फासले ऐसे भी होंगे यह कभी सोचा न था, सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था' प्रस्तुत की, जिसे खूब दाद मिली। सभी कलाकारों ने दिखाई प्रतिभा
मंच पर संगत करने वालों में जम्मू के मशहूर वायलन कलाकार अमरजीत सिंह, ढोलक पर कमल शर्मा, संतूर पर रोहित शर्मा, तबले पर अमित आनंद, अखिल थापा ने पियानो और रवि शर्मा ने हारमोनियम पर संगत की। स्थानीय गजल गायक रवि रघुवंशी, चैनो रीटा, रबज्योत सिंह, सुनील वर्मा, तौकीर अली, अरशल वैद ने गजलें सुना कर महोत्सव को यादगार बनाया। संचालन मिताली गुप्ता ने किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जम्मू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोज के धर, स्कास्ट के कुलपति डा. जेपी सिंह, पर्यटन विभाग के निदेशक विवेकानंद राय ने पंकज उधास को शाल और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।