Ban Toll Plaza Encounter: आतंकियों के पास से मिले पाक मोबाइल ने खोला राज, पल-पल मिल रहे थे संदेश

आतंकियों ने जिस ट्रक में खुद को सुरक्षाबलों से बचाने के लिए बंकर बनाया था उसमें पाई गई रेत और मिट्टी गीली थी। इस रेत को सीमेंट की खाली बोरियों में भरा गया था और ट्रक के पीछे बंकरनुमा कवच बनाया गया था।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 23 Nov 2020 09:13 AM (IST) Updated:Mon, 23 Nov 2020 09:13 AM (IST)
Ban Toll Plaza Encounter: आतंकियों के पास से मिले पाक मोबाइल ने खोला राज, पल-पल मिल रहे थे संदेश
रऊफ अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगते कई इलाकों में देखा गया था।

जम्मू, अवधेश चौहान: नगरोटा के बन टोल प्लाजा पर मुठभेड़ में मारे गए जैश-ए-मुहम्मद के पाक परस्त चारों आतंकियों से बरामद स्मार्ट फोन में मिले संदेश चौंकाने वाले हैं। इन संदेशों से स्पष्ट है कि आतंकी सीमा पार (पाकिस्तान में) बैठे अपने आकाओं के लगातार संपर्क में थे। उनके हैंडलर भी उनकी पल-पल की खबर ले रहे थे।

...कहां पहुंचे? ...क्या सूरत-ए-हाल है? कोई मुश्किल तो नहीं? ...दो बजे, फिर बता देना। यह संदेश पाकिस्तानी कंपनी माइक्रो इलेक्ट्रानिक्स द्वारा निर्मित स्मार्ट फोन से मिले हैं। इस स्मार्ट फोन पर से आतंकियों के ङ्क्षफगर ङ्क्षप्रट भी लिए गए हैं। ये संदेश अंतरराष्ट्रीय सीमा पार सियालकोट बेल्ट से लगातार मिल रहे थे। आतंकियों से एक वायरलेस सेट और एक जीपीएस भी बरामद हुआ है। ऐसा माना जा रहा है कि जैश के सरगना मसूद अजहर का भाई अब्दुल रऊफ लाला इन आतंकियों के संपर्क में था। खुफिया एजेंसियों ने बीते दिनों रऊफ के जम्मू संभाग में कठुआ जिले के हीरानगर सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार शक्करगढ़ में होने की सूचना दी थी। शक्करगढ़ में आतंकियों का लांच पैड भी है। जहां रऊफ अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगते कई इलाकों में देखा गया था।

जैश के हेडक्वार्टर बहावलपुर में रची गई थी साजिश: सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ और जैश सरगना मसूद अजहर की देखरेख में जम्मू-कश्मीर में होने जा रहे जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनावों के दौरान पुलवामा या मुंबई जैसा हमला करने की साजिश रची गई थी। अब्दुल रऊफ लाला को जिला सियालकोट बेल्ट का जिम्मा सौंपा गया है। उसने जैश के टॉप कंमाडर काजी तरार के साथ मिलकर हमले की योजना बनाई थी। बहावलपुर में जैश के हेडक्वार्टर में बीते दिनों बैठक हुई थी जिसमें मौलाना अबु ङ्क्षजदल, जैश के मुफ्ती तौसीफ, रऊफ और आइएसआइ के आला अधिकारी शामिल हुए थे। इसी दौरान हमले का खाका तैयार हुआ था। इसके बाद शक्करगढ़ में जैश के लांच पैड में आतंकियों को ट्रेङ्क्षनग के बाद भारतीय सीमा में घुसपैठ व हमले का जिम्मा सौंपा गया था। अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास जैश के तीन कैंप चल रहे हैं इनमें शक्करगढ़ के अलावा सांबा व आरएसपुरा सेक्टर की सीमा पार भी दो लांच पैड हैं।

ड्रोन से गिराए गए थे हथियार: सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि मारे गए आतंकियों के पास से जो हथियार और गोलाबारूद बरामद हुए हैं, वे अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हीरानगर, आरएसपुरा के सबसेक्टर अरनिया और सांबा में ड्रोन से गिराए गए थे। बीते कुछ दिनों में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास ड्रोन मूवमेंट काफी देखा गया है। इन ड्रोन का इस्तेमाल रेकी और हथियार व गोलाबारूद गिराने के लिए किया जाता है।

कुछ दिन पहले की थी घुसपैठ: सुरक्षा एजेंसियों का यह भी मानना है कि ये आतंकी कुछ ही दिन पहले सांबा सेक्टर से भारतीय क्षेत्र में घुसे थे और इनके ओवरग्राउंड वर्करों ने इन्हें पनाह दी थी। ऐसा भी माना जा रहा है कि ये आतंकी एक बार पहले भी आए थे और रेकी करने के बाद पाकिस्तान लौट गए थे। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रामगढ़ सेक्टर में बहने वाला बसंतर नाला इनकी घुसपैठ का रूट माना जा रहा है। यह नाला पाकिस्तान जाता है और इसमें पानी भी कम है जिसे आसानी से पार किया जा सकता है। सुरक्षा एजेंसियां बार्डर पर लगे सेंसरों को खंगाल रही हैं, जिससे आतंकियों के मूवमेंट का पता चल सके। जम्मू फ्रंटियर के आइजी एनएस जम्वाल और डीआइजी सुखदेव सिंह ने भी अतंरराष्ट्रीय सीमा पर अगल-अलग सेक्टरों में जाकर खुद छानबीन की है। सीमा पार पाकिस्तानी इलाके में सरकंडों के कारण दुश्मनों का मूवमेंट देख पाना काफी मुश्किल है।

सीमेंट की बोरी में भरी गीली रेत और मिïट्टी भी उगलेगी राज: आतंकियों ने जिस ट्रक में खुद को सुरक्षाबलों से बचाने के लिए बंकर बनाया था, उसमें पाई गई रेत और मिट्टी गीली थी। इस रेत को सीमेंट की खाली बोरियों में भरा गया था और ट्रक के पीछे बंकरनुमा कवच बनाया गया था। इन बोरियों के आगे सीमेंट की खाली बोरियों में चावल भी भरा गया था। गीली रेत और मिïट्टी की बोरियां साबित करती हैं कि इन्हें हाल फिलहाल में भरा गया था। इस मिट्टी और रेत की भी फोरेंसिक एक्सपर्ट जांच कर रहे हैं। जांच में यह पता चल सकेगा कि यह मिट्टी और रेत कहां से भरी गई थी।

सैन्य शिविर में घुस जाते तो घंटों मचाते तबाही: ट्रक के पीछे जिस तरह का बंकर बनाया गया था उससे लगता है कि आतंकियों की मंशा बेहद खतरनाक थी। आतंकियों से इतनी बड़ी मात्रा में बरामद हथियार इशारा करते हैं कि ये आतंकी जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर रास्ते में किसी सैन्य शिविर में घुस सकते थे और वहां घंटों खूब-खराबा कर सकते थे। अलबत्ता सुरक्षाबलों ने उनकी साजिश नाकाम कर दी। 

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