Devendra Rana के पार्टी छोड़ने पर छलका उमर का दर्द, कहा- यह उनकी व्यक्तिगत क्षति है
उन्होंने कहा कि देवेंद्र राणा का पार्टी छोड़ना पार्टी के लिए क्षति नहीं है बल्कि उनकी व्यक्तिगत क्षति है। क्योंकि उन पर काफी भरोसा था। साथ ही यह भी कहा कि राजनीति में न तो कोई स्थायी दोस्त होता है और न स्थायी दुश्मन।
जम्मू, जेएनएन : हाल ही में नेेशनल कांफ्रेंस के जम्मू संभागीय प्रधान रहे देवेंद्र सिंह राणा और पार्टी के सीनियर नेता सुरजीत सिंह सलाथिया के पार्टी छोड़ कर भाजपा में शामिल होने पर पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का दर्द छलक पड़ा। उन्होंने कहा कि देवेंद्र राणा का पार्टी छोड़ना पार्टी के लिए क्षति नहीं है, बल्कि उनकी व्यक्तिगत क्षति है। क्योंकि उन पर काफी भरोसा था। दो दशक से भी ज्यादा समय से मिलकर काम करते रहे। साथ ही यह भी कहा कि राजनीति में न तो कोई स्थायी दोस्त होता है और न स्थायी दुश्मन।
देवेंद्र राणा और सुरजीत सिंह सलाथिया के पार्टी छोड़ने के कुछ दिन बाद बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला एक समाचार एजेंसी से बातचीत के दौरान भावुक होने लगे। उनके चेहरे पर राणा जैसे कद्दावर नेता की क्षति का दर्द स्पष्ट रूप से छलक रहा था। उन्होंने यह स्वीकार भी किया कि राणा का पार्टी छोड़ना उनकी निजी क्षति है। उमर ने कहा कि कई बार राणा और सलाथिया को पार्टी के अंदर की साजिशों से बचाया है। राणा और सलाथिया पार्टी छोड़ने वाले कोई अंतिम नेता नहीं हैं। इनसे पहले भी कई नेताओं ने पार्टी छोड़ी है और आगे भी ऐसा होता रहेगा। उन्होंने अपनी पार्टी को हर समय खड़ा रखा है।
उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि देवेंद्र राणा काफी समय से पार्टी की नीतियों के अनुरूप नहीं चल रहे थे। वे पार्टी के विपरीत चलने लगे थे। साक्षात्मकार के दौरान उमर ने राणा या सलाथिया के खिलाफ कुछ भी कहने से परहेज किया। ज्ञात रहे कि राणा के पार्टी छोड़ने की अटकलें तेज होने के बाद पार्टी के प्रधान डा. फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने राणा का काफी मान-मनोव्वल भी किया था। श्रीनगर में फारूक के घर से निकलने के बाद राणा ने भी मीडिया के सामने संतुलित बयान दिए थे। उन्होंने कहा था कि फारूक और उमर से मिलकर उन्हें बहुत खुशी होती है।