Padma Shri Award 2021: जम्मू कश्मीर की दो बड़ी हस्तियों चमन लाल सप्रू और गुलाम रसूल को पद्मश्री

हिंदी को लोकप्रिय बनाने और उसके उत्थान में हमेशा संघर्षरत रहे प्रो. चमन लाल सप्रू को शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र के लिए मरणोपरांत और कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए गुलाम रसूल को पद्मश्री प्रदान किया जाएगा।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 08:36 AM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 09:10 AM (IST)
Padma Shri Award 2021: जम्मू कश्मीर की दो बड़ी हस्तियों चमन लाल सप्रू और गुलाम रसूल को पद्मश्री
हिंदी को लोकप्रिय बनाने और उसके उत्थान में हमेशा संघर्षरत रहे प्रो. चमन लाल सप्रू

श्रीनगर, राज्य ब्यूरोे : गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जम्मू कश्मीर की दो बड़ी हस्तियों को पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की गई है। हिंदी को लोकप्रिय बनाने और उसके उत्थान में हमेशा संघर्षरत रहे प्रो. चमन लाल सप्रू को शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र के लिए मरणोपरांत और कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए गुलाम रसूल को पद्मश्री प्रदान किया जाएगा।

कश्मीर में जन्मे प्रो. चमन लाल सप्रू के पिता पंडित ताराचंद सप्रू भी जम्मू कश्मीर के एक जाने माने शिक्षाविद्ध और साहित्यकार थे। प्रो. चमन सप्रू ने कश्मीर विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के बाद सोलन स्थित पंजाब विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन की। वह केंद्रीय हिंदी महाविद्यालय आगरा, जिसे केंद्रीय हिंदी संस्थान कहते हैं, से हिंदी साहित्य की पढ़ाई करने और ग्रेजुएशन करने वाले वाले पहले कश्मीरी थे। उन्हेंं जम्मू कश्मीर के कालेजों में पहला हिंदी लेक्चरर भी माना जाता है।

उन्होंने अपने अथक प्रयासों से जम्मू कश्मीर के कालेजों में हिंदी विषय को लागू कराया था। 1947 में जम्मू कश्मीर के भारत में विलय के बाद उन्होंने 1959 में कश्मीर में पहली हिंदी मासिक पत्रिका कश्यम का प्रकाशन शुरू किया। इसके बाद उन्होंने कश्मीर से ही सतीसर हिंदी पत्रिका भी शुरू की। उन्होंने जम्मू कश्मीर और लद्दाख के कई हिंदी विद्वानों, लेखकों व साहित्यकारों का संरक्षण और मार्गदर्शन भी किया। इनमें कश्मीर के मशहूर शायर गुलाम अहमद महजूर के पौत्र अबदाल अहमद महजूर और लद्दाख के हिंदी लेखक डा. दोर्जे त्सवांग भी शामिल हैं।

प्रो. सप्रू ने 18 किताबें लिखीं, कई प्रदेशों ने किया सम्मानित

संतूर के स्वर, केसर और कमाल, रामाकृष्णा कथा अमृत समेत 18 किताबों के रचयिता प्रो. सप्रू को हिंदी, साहित्य और समाज सेवा में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए कई राज्य व राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हेंं उत्तर प्रदेश सरकार का सौहार्द सम्मान, मानव संसाधन विकास मंत्रालय व जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा सर्वश्रेष्ठ पुस्तक पुरस्कार, जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी पुरस्कार, हिंदी अकादमी दिल्ली समेत विभिन्न संस्थानों व संगठनों के सम्मान मिल चुके हैं।

वह दूरदर्शन से प्रसारित होने वाले लोकप्रिय कार्यक्रम कश्मीर फाइल के सलाहकार भी रहे। कश्मीरी हिंदी संगम के वह मानद अध्यक्ष रहे। प्रो. सप्रू रामाकृष्ण आश्रम श्रीनगर के संस्थापक सचिव भी थे। वह नई दिल्ली स्थित रामाकृष्ण मिशन की प्रबंधन समिति औैर जम्मू कश्मीर धर्मार्थ ट्रस्ट के भी सदस्य रहे। कश्मीर में आतंकवाद के कारण उन्हेंं भी पलायन करना पड़ा। उन्होंने फरीदाबाद में 17 नवंबर 2020 को अंतिम सांस ली थी। 

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