उमर को पीडीपी के साथ सरकार न बना पाने का मलाल

नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद पीडीपी के साथ मिलकर सरकार न बना पाने का दुख है। मंगलवार को उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में अगर नेशनल कांफ्रेंस की सरकार होती तो अनुच्छेद 370 व 35-ए नहीं हट पाता।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 05:14 AM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 05:14 AM (IST)
उमर को पीडीपी के साथ सरकार न बना पाने का मलाल
उमर को पीडीपी के साथ सरकार न बना पाने का मलाल

संवाद सहयोगी, किश्तवाड़ : नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद पीडीपी के साथ मिलकर सरकार न बना पाने का मलाल है। मंगलवार को उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में अगर नेशनल कांफ्रेंस की सरकार होती तो अनुच्छेद 370 व 35-ए नहीं हट पाता। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने नेका की 'कमजोर स्थिति' का फायदा उठाया और संविधान द्वारा जम्मू कश्मीर के लोगों को जो दिया गया था उसे छीन लिया।

किश्तवाड़ के इंदरवाल इलाके में जनसभा को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री उमर ने कहा कि हमने मुफ्ती मोहम्मद सईद से कहा था कि अगर आपको हुकूमत बनानी है तो आप हमारे साथ बनाइए। हमें न तो मंत्री पद चाहिए था और न ही कुछ और। हम बाहर से समर्थन करेंगे। उन्होंने मुफ्ती से कहा था कि आप जिन लोगों के साथ समझौता करने जा रहे हैं, वह सही नहीं हैं। हुआ भी वही। आखिर में समझौता टूट गया और जम्मू कश्मीर का राज्य दर्जा भी चला गया। गौरतलब है कि 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा जम्मू कश्मीर की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। पीडीपी के पास सबसे अधिक सीटें थीं। तब मुफ्ती मोहम्मद के साथ समझौता हुआ था और भाजपा ने पीडीपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी। हालांकि, यह सरकार करीब आधा कार्यकाल ही पूरा कर सकी थी।

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के बयान कि उनका प्रशासन प्रदेश के सभी लोगों के कल्याण के लिए काम कर रहा है न कि केवल कुछ चुनिंदा लोगों के लिए..पर उमर ने कहा कि मैं इसे होते हुए नहीं देखता। हम जो देखते हैं वह यह है कि यह सरकार केवल भाजपा और कुछ कश्मीर केंद्रित दलों के कुछ नेताओं के लाभ के लिए है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जम्मू कश्मीर के लिए कोई काम नहीं किया, सिर्फ लोगों को गुमराह किया गया। जो काम हमारी हुकूमत ने शुरू करवाए थे, वे भी नहीं पूरे किए गए।

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