जम्‍मू-कश्‍मीर के सामाजिक और राजनीतिक उत्‍थान में पहली बार भागीदार बनेंगे खानाबदोश

प्रदेश में इन दिनों गुज्जर-बक्करवाल समुदाय की जिलेवार जनगणना हो रही है। इस प्रक्रिया में गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के लोगों विशेषकर खानाबदोशों का पूरा ब्यौरा जमा किया जाएगा। उनके लिए विशेष कार्ड बनेंगे जिन पर उनके बारे में विस्तृत जानकारी होगी।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 09:06 AM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 09:06 AM (IST)
जम्‍मू-कश्‍मीर के सामाजिक और राजनीतिक उत्‍थान में पहली बार भागीदार बनेंगे खानाबदोश
इन्हें केंद्र सरकार द्वारा जनजातीय समूहों के कल्याणार्थ समय समय पर चलाई जाने वाली योजनाओं का पूरा लाभ भी मिलेगा।

श्रीनगर, नवीन नवाज: केंद्र सरकार ने पांच अगस्त, 2019 को जम्मू कश्मीर के सामाजिक विकास के लिए जो बीज बोया था, उसके अंकुर अब फूटने लगे हैं। जनजातीय समूहों के सामाजिक-आॢथक व राजनीतिक उत्थान के लिए प्रदेश सरकार ने न सिर्फ उनकी जिलेवार जनगणना की प्रक्रिया शुरू की है, बल्कि इस समुदायों के 10 हजार युवाओं को उद्यमी बनाने और स्वरोजगार को अपनाने में समर्थ बनाने के लिए 15 करोड़ रुपये की कौशल विकास योजना भी तैयार की है।

जम्मू कश्मीर में कश्मीरी और डोगरा समुदाय के बाद अगर कोई सबसे बड़ा जातीय समूह है तो वह गुज्जर-बक्करवाल समुदाय ही है। गुज्जर-बक्करवाल जजनाजतीय वर्ग में आते हैं। इस समुदाय की 70 फीसद आबादी खानाबदोश है और पशुपालन पर ही निर्भर है। जम्मू कश्मीर में इस समुदाय को कभी भी राजनीतिक आरक्षण प्राप्त नहीं रहा है और न ही इस समुदाय पर केंद्रित विकास योजनाएं कभी बनी हैं। इसका कारण अनुच्छेद 370 के कारण पूर्व जम्मू कश्मीर राज्य में जनजातीय राजनीतिक आरक्षण संबंधी कानून लागू ही नहीं था। इसके अलावा वनवासी वनाधिकार भी यहां लागू नहीं था।

अब जम्मू-कश्मीर की बदली संवैधानिक स्थिति में यहां राष्ट्रीय संविधान लागू हो गया। इसके साथ ही गुज्जर-बक्करवाल समुदाय का राजनीतिक, सामाजिक और आॢथक शोषण भी समाप्त हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उस समय कहा था कि यह जम्मू कश्मीर में पिछड़ों के विकास की सुबह का आगाज है। अब लगभग दो साल बाद इसका असर नजर आने लगा है।

विशेष कार्ड बनेंगे: प्रदेश में इन दिनों गुज्जर-बक्करवाल समुदाय की जिलेवार जनगणना हो रही है। इस प्रक्रिया में गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के लोगों, विशेषकर खानाबदोशों का पूरा ब्यौरा जमा किया जाएगा। उनके लिए विशेष कार्ड बनेंगे, जिन पर उनके बारे में विस्तृत जानकारी होगी। उनकी आबादी का सही पता चलेगा और उनकी सामाजिक व राजनीतिक स्थिति का भी सही आकलन होगा। इसके अलावा उन्हेंं केंद्र सरकार द्वारा जनजातीय समूहों के कल्याणार्थ समय समय पर चलाई जाने वाली योजनाओं का पूरा लाभ भी मिलेगा।

युवाओं के बहुरेंगे दिन: जम्मू-कश्मीर जनजातीय विभाग ने गुज्जर-बक्करवाल समुदाय को ध्यान में रखते हुए डेयरी, गोश्त और ऊन उत्पादन के क्षेत्र में जनजातीय युवा कौशल एवं रोजगार योजना शुरू की है। लगभग 15 करोड़ की इस योजना में गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के युवाओं को भेड़ फार्म, मिल्क चिलिंग प्लांट, दूध एटीएम, ऊन प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने, दूध से विभिन्न प्रकार उत्पाद तैयार करने व अन्य कई प्रकार की गतिविधियों का प्रशिक्षणा प्रदान करने के अलावा संबधित क्षेत्रों में उद्यम स्थापित करने के लिए वित्तीय मदद भी दी जाएगी। हमने 10 हजार युवाओं को कौशल विकास कार्यक्रम के लिए चिह्नित किया है। इनमें 500 युवाओं को भेड़ एवं पशुपालन की तकनीक और प्रबंधन में पारंगत किया जाएगा। सभी 20 जिलों में 10 करोड़ की लागत से एक हजार मिनी शीप फार्म खोलने पर काम हो रहा है। छोटे-छोटे डेयरी फार्म भी तैयार किए जाएंगे। अगले पांच साल में 12 हजार मिनी शीप फार्म तैयार करने का लक्ष्य है। इसके लिए केंद्र सरकार से पर्याप्त वित्तीय सहायता मिलगी। इसके अलावा हम उन गांवों को भी चिह्नित कर रहे हैं, जिन्हेंं दूध उत्पादन के आधार पर बतौर श्वेत गांव अथवा मिल्क विलेज के रूप में विकसित किया जा सके। -डा. शाहिद इकबाल चौधरी, सचिव, जनजातीय मामले विभाग हम बीते 74 सालों से अपने लिए राजनीतक आरक्षण की मांग कर रहे हैं। पहली बार गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के साथ इंसाफ की उम्मीद की किरण नजर आई है। पहली बार गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम चल रहे हैं। वनवासी वनाधिकार अधिनियम लागू किया जा रहा है। यह सिर्फ अनुच्छेद 370 की समाप्ति से ही संभव हुआ है। उनका आज तक कुछ दलों ने जम्मू कश्मीर में शोषण किया है, वह अब नहीं हो पाएगा। - गुलाम अली, नेता, गुज्जर-बक्करवाल समुदाय

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