राज्यपाल पर टिकी नजर, एनएचएम कर्मचारी डटे

राज्य ब्यूरो, जम्मू : नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के तहत काम कर रहे हजारों कर्मचारियों क

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jan 2019 02:30 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jan 2019 02:30 AM (IST)
राज्यपाल पर टिकी नजर,  एनएचएम कर्मचारी डटे
राज्यपाल पर टिकी नजर, एनएचएम कर्मचारी डटे

राज्य ब्यूरो, जम्मू : नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के तहत काम कर रहे हजारों कर्मचारियों की पूरे जम्मू संभाग में हड़ताल तीन दिन के लिए और बढ़ गई है। पहले यह हड़ताल वीरवार को खत्म होनी थी। कर्मचारी नियमित करने सहित अन्य मांगों को लेकर चार दिनों से हड़ताल पर हैं।

कर्मचारी प्रदर्शनी मैदान में एकत्रित हुए और माथे पर सफेद पट्टियां बांधकर प्रदर्शन किया। एनएचएम कर्मियों के साथ रिवाइज्ड नेशनल ट्यूबरक्यलोसिस प्रोग्राम और जेएंडके स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के कर्मचारी भी हड़ताल पर बैठे हैं। यह कर्मचारी बुधवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मिले थे। राज्यपाल ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी मांगों के बारे में वह केंद्र सरकार से बात करेंगे। राज्यपाल के सकारात्मक रुख को देखते हुए कर्मचारियों में मांगें पूरी होने की उम्मीद बंध गई है। वीरवार को कर्मचारियों ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया। हालांकि उन्होंने अपनी हड़ताल को तीन दिन के लिए बढ़ा दिया है।

एनएचएम इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रधान रोहित सेठ का कहना है कि राज्यपाल के आश्वासन के बाद उन्हें उम्मीद है कि उनकी मांगों पर सकारात्मक जवाब आएगा। वे अगले तीन दिन तक इसी तरह शांतिपूर्वक प्रदर्शन करेंगे। कर्मचारियों की मांगों में सभी को नियमित करना, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ देना, तबादला नीति बनाना और महिला कर्मचारियों को छह महीने का मातृत्व अवकाश देना शामिल है।

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हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित

जम्मू संभाग में नेशनल हेल्थ मिशन और अन्य केंद्रीय स्वास्थ्य योजनाओं के तहत करीब सात हजार कर्मचारी काम कर रहे हैं। यह कर्मचारी चार साल से हड़ताल पर हैं। कर्मचारियों की हड़ताल से जम्मू के दो प्रमुख अस्पतालों गांधीनगर और सरवाल में तो आंशिक असर पड़ा है, लेकिन दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों और स्वास्थ्य केंद्रों पर गहरा असर पड़ रहा है। चौबीस घंटे खुलने वाले प्राथमिक चिकित्सा केंद्र शाम चार बजे के बाद बंद हो जाते हैं। इससे मरीजों के पास जिला अस्पतालों या फिर मेडिकल कॉलेज में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इन प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ आधा से अधिक नेशनल हेल्थ मिशन के तहत ही नियुक्त हैं।

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