Jammu Kashmir: जम्‍मू-कश्‍मीर में नई शुरुआत, मुस्लिम धार्मिक नेताओं ने लिया कट्टरवाद की समाप्ति का संकल्प

नये जम्मू कश्मीर में प्रदेश के लोग धार्मिक नेता कट्टरवाद के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं। मुस्लिम व हिंदू धार्मिक नेताओं ने कट्टरवाद की समाप्ति का संकल्प लिया है। इस अवसर पर उपराज्यपाल मनोज सिन्‍हा ने बेहतर रणनीति से कट्टरवाद का सामना करने पर जोर दिया।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 05:00 AM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 08:29 AM (IST)
Jammu Kashmir: जम्‍मू-कश्‍मीर में नई शुरुआत, मुस्लिम धार्मिक नेताओं ने लिया कट्टरवाद की समाप्ति का संकल्प
उपराज्‍यपाल मनोज सिन्‍हा ने कहा कि बड़े बुजुर्ग ऐसे लोगों की पहचान करें, जो समाज में नफरत फैला रहे हैं।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: नये जम्मू कश्मीर में कट्टरवाद के लिए अब कोई जगह नहीं होगी। प्रदेश के लोग विशेषकर धार्मिक नेता कट्टरवाद के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं। मुस्लिम व हिंदू धार्मिक नेताओं ने कट्टरवाद की समाप्ति और शांति का संदेश पूरी दुनिया में फैलाने का संकल्प लिया है। इसे प्रदेश में नई शुरुआत की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।

बुधवार को 'कट्टरवाद की समाप्ति-समय की आवश्यकता' विषय पर जम्मू कश्मीर राष्ट्रवादी जन मोर्चा की ओर से जम्मू के छन्‍नी हिम्मत में गुज्जर चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने किया। सम्मेलन में प्रमुख मुफ्ती, उलेमा, मौलवी और अन्य धार्मिक नेताओं ने हिस्सा लेकर मानवता के लिए चुनौती बन रहे कट्टरवाद के खिलाफ मिलकर काम करने पर जोर दिया।

इस मौके पर उपराज्यपाल ने बेहतर रणनीति से कट्टरवाद का सामना करने पर जोर दिया। उपराज्यपाल ने कहा कि आधुनिक शिक्षा व तेज विकास इस मसले का समाधान है। उन्होंने कहा कि बड़े बुजुर्ग व प्रभावशाली लोग ऐसे व्यक्तियों की पहचान करें, जो समाज में नफरत फैलाने के लिए कट्टरवाद फैलाते हैं।

इस मौके पर उपराज्यपाल ने कहा कि हमने आप सभी के सामूहिक प्रयासों से कट्टरपंथी ताकतों को नियंत्रित किया है, फिर भी इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि तीव्र गति से यह तकनीक की मदद से फैल रहा है। इसे किसी संप्रदाय से जोड़कर देखना उचित नहीं है। मेरी राय में यदि हम इसे मादक पदार्थों की लत की तरह देखते हैं तो हम सही दिशा की ओर बढ़ रहे हैं। सम्मेलन आयोजित करने की सराहना करते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि यह राष्ट्रीय अखंडता को बढ़ावा देने की दिशा में एक गंभीर प्रयास है।

शांति के संदेश स्कूली पाठयक्रम में शामिल किए जाने चाहिए :  उपराज्यपाल ने जोर दिया कि देश को समर्पित अब्दुल सलाम, मकबूल शेरवानी, सलीम मलिक, इसरार अहमद जैसी प्रमुख हस्तियों के शांति व सद्भाव के संदेश को स्कूली पाठयक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने तमिलनाडू में किए जा रहे प्रयासों का भी हवाला दिया। वहां पर बच्चों को इस्लाम के सही अर्थ समझाने के लिए कट्टरवाद की समाप्ति पर महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम स्कूली का हिस्सा बनाए गए हैं।

सीमा पार और दुनिया तक पहुंचाएंगे संदेश : सम्मेलन में जम्मू कश्मीर राष्ट्रवादी पीपुल्स फ्रंट के अध्यक्ष शेख मुज्जफर ने कहा कि मंच से शांति के लिए आवाज बुलंद हुई है। हम इस संदेश को सीमा पार और इस दुनिया के सभी लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं। हम भाई-भाई हैं और शांति से साथ रहेंगे। उनके साथ  सम्मेलन को मुफ्ती अजाज साहिब, मुफ्ती नूरानी, मुफ्ती मुजफ्फर और बडग़ाम के  नजीर अहमद सोइबग ने भी संबोधित किया।

उनका कहना था कि अल्लाह पर विश्वास रखने वाला वही है जो इस्लाम के वास्तविक सार को समझता है। हमारा धर्म शांति का धर्म है।  वहीं दोपहर के सत्र का शीर्षक 'कुरान की आयतों के अनुसार देश के प्रति मुसलमानों का कर्तव्य' था। जम्मू के शाही इमाम और मुफ्ती अनायत उल्ला कादमी ने इस विषय पर विचार व्यक्त किए।

सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले कश्मीरी पंडित भी थे। इस दौरान  धार्मिक नेताओं ने पंडितों के कश्मीर से पलायन को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। सम्मेलन में जम्मू के कई युवाओं ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान आर्ट आफ लिविंग के  सामाजिक कार्यकर्ता और कार्यक्रम निदेशक संजय कुमार ने भी समारोह को संबोधित किया।

यह भी शामिल थे: सम्मेलन में हिस्सा लेने वालों में मौलाना कौसर जाफरी, मुफ्ती मौलाना एजाज साहब,  मौलवी मुजफ्फर साहब, मुफ्ती शकील साहब, मुफ्ती शेरुद्दीन साहब, मुफ्ती मुस्तफा रजा कादरी, मुफ्ती काजी अब्दुल रहमान, मुफ्ती मौलाना फारूक, मौलाना हाफिज मुब्बसर, मोलाना कारी शब्बीर ओवैसी, मुफ्ती फारूक हुसैन, मुफ्ती डा. इब्राहिम, मौलाना मुफ्ती असलम, सैयद मुफ्ती बशारत, मौलाना इलियास मुख्य थे। उन्होंने कहा कि धार्मिक नेताओं का कट्टरवाद की समाप्ति की दिशा में आगे आना एक नई शुरुआत है।

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