महाराजा के पौत्र का नेहरू की नीतियों पर निशाना, बोले- नेकां की सोच और कांग्रेस की संदिग्ध भूमिका से पनपीं जम्मू-कश्मीर की मुश्किलें

कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में एक के बाद एक गलतियां की। महाराजा के संदेश के बावजूद अगर पंडित जवाहर लाल नेहरू विलय में देरी न करते तो आज प्रदेश का इतिहास कुछ और होता। महाराजा विलय के लिए तैयार थे उन्होंने सिर्फ समय मांगा था।

By lokesh.mishraEdited By: Publish:Wed, 25 Nov 2020 06:00 AM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2020 07:23 AM (IST)
महाराजा के पौत्र का नेहरू की नीतियों पर निशाना, बोले- नेकां की सोच और कांग्रेस की संदिग्ध भूमिका से पनपीं जम्मू-कश्मीर की मुश्किलें
महाराजा हरि सिंह के पौत्र और पूर्व सदर-ए-रियासत डा. कर्ण सिंह के पुत्र विक्रमादित्‍य सिंह।

विवेक सिंह, जम्मू। महाराजा हरि सिंह के पौत्र और पूर्व सदर-ए-रियासत डा. कर्ण सिंह के पुत्र ने कश्मीर समस्या के लिए खुलकर पंडित जवाहरलाल नेहरू की नीतियों पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस की महाराजा विरोधी सोच व कांग्रेस की संदिग्ध भूमिका के कारण प्रदेश में मुश्किलें पैदा हुई हैं। देश से जम्मू-कश्मीर का विलय सिर्फ महाराजा के कारण ही संभव हुआ।

दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह ने विलय पर पार्टी की नीतियों को ही कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में एक के बाद एक गलतियां की। महाराजा के संदेश के बावजूद अगर पंडित जवाहर लाल नेहरू विलय में देरी न करते तो आज प्रदेश का इतिहास कुछ और होता। इसी देरी से कबाइली हमला हुआ और प्रदेश के बड़े भूभाग पर पाकिस्तान कब्जा करने में सफल रहा।

विक्रमादित्य सिंह का कहना है कि महाराजा विलय के लिए तैयार थे, उन्होंने सिर्फ समय मांगा था। कबाइली हमले के बाद पंडित नेहरू से सेना भेजने को कहा तो उन्होंने शर्त रखी कि पहले विलय करो। विलय तो होना ही था। विलय के बाद भी कश्मीरी दलों ने महाराजा के बारे में दुष्प्रचार जारी रखा। इन दलों का वजूद महाराजा के विरोध पर केंद्रित रहा। वे डोगरा विरोधी हैं और उन्‍होंने जम्मू के डोगरों को गुलाम बनाने की कोशिश की।

विलय के बाद भी जम्मू-कश्मीर को लेकर कांग्रेस ने गलतियां की। जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद-370 और 35ए लाकर विशेष दर्जा दिया गया। इस दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर देश से पूरी तरह जुड़ नहीं पाया और पाकिस्तान की शह पर दुष्प्रचार करने की भी आजादी मिली।

हमने अनुच्छेद-370 हटाने का समर्थन किया :

सिंह का कहना है कि उन्होंने अपने पिता कर्ण सिंह के साथ अनुच्छेद-370 और 35ए हटाने का खुलकर स्वागत किया। यह सराहनीय है कि केंद्र सरकार और जम्मू के लोग महाराजा को लेकर सोच बदलने के प्रयास कर रहे हैं। जबकि कश्मीरी दल महाराजा को बदनाम करते आए हैं।  

शेख अब्दुल्ला के अनुरूप चल रहे थे नेहरू :

नेहरू की सोच स्पष्ट नहीं थी और वह शेख अब्दुल्ला के अनुरूप चल रहे थे। देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार पटेल को रोका न जाता तो भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास अलग होता, बल्कि राज्य का विलय भी काफी पहले हो गया होता और गुलाम कश्मीर भी भारत का हिस्सा होता।  

विलय दिवस पर अवकाश का स्वागत :

जम्मू-कश्मीर में विलय दिवस (26 अक्टूबर) पर पहली बार अवकाश होने से जम्मू के डोगरों की आकांक्षाएं पूरी हुई हैं। विक्रमादित्य सिंह का कहना है कि कांग्रेस ने इस छुट्टी का भी विरोध किया। केंद्र के हर फैसले का विरोध करने की कांग्रेस सरकार की नीति को भी वह सही नहीं मानते हैं।

जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के पक्षधर :

हालांकि वह जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के पक्षधर हैं। जम्मू-कश्मीर सबसे पुरानी और महत्‍वपूर्ण रियासत है और ऐसे में केंद्र सरकार को इसका राज्य का दर्जा बहाल कर लोगों की आकांक्षाएं पूरी करनी चाहिएं।

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