Jammu Kashmir : एनबीईएमएस ने पीजी पाठयक्रमों के लिए 14 और सीटों मंजूरी प्रदान की
डीएनबी पाठयक्रकों को जिला अस्पतालों और नए मेडिकल कालेजों में भी शुरु किया गया है। पहले ये सिर्फ जम्मू और श्रीनगर में स्थित दो सरकारी मेडिकल कालेजों के अलावा शेरे कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान सौरा में ही उपलब्ध थे।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश राजकीय मेडिकल कालेजाें और जिला अस्पतालों के लिए आयुर्विज्ञान में राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीईएमएस) ने पीजी पाठयक्रमों के लिए 14 और सीटों मंजूरी प्रदान की है। यह प्रदेश के विभिन्न स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा संस्थानों में जारी डीएम, एमसीएच और एमडी व एमएस के पाठ्यक्रमों में पहले से उपलब्ध सीटों के अतिरक्त हैं। इन सीटों की संख्या 140 हो गई है।
एनबीईएमएस ने मेडिकल साइंस में दो और सीटों की अनुमति देते हुए उप जिला अस्पताल, कुपवाड़ा के जनरल मेडिसन विभाग को भी मान्यता दी है।
संबधित अधिकारियों ने बताया कि कठुआ और डोडा स्थित दोनों मेडिकल कालेजों के अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुपवाड़ा को जनरल मेडिसन विभाग मेंं दो-दो सीटें अनुमोदित की हैं। अनंतनाग और राजौरी स्थित सरकारी मेेडिकल कालेजों के लिए प्रसूति व स्त्री रोग विभाग के लिए चार-चार सीटेों को मंजूरी मिली है जबकि शेरे कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान सौरा को आपातकालीन चिकित्सा के लिए दो सीटों की मंजूरी दी गई है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जम्मू कश्मीर के निदेशक यासीन चौधरी ने बताया कि केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश में डिप्लोमा आफ नेशनल बोर्ड कार्यक्रम के लिए विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानाें से 140 आवेदन मिले हैं। इनमें से 53 आवेदनों को मंजूरी दी गई है। उन्होंने बताया कि यह स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रशासकीय विंग के अथक प्रयासों से ही संभव हुआ है। स्वास्थ्य संस्थानों की टीमों की निगरानी स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विवेक भारद्वाज खुद कर रहे थे।
डीएनबी पाठयक्रकों को जिला अस्पतालों और नए मेडिकल कालेजों में भी शुरु किया गया है। पहले ये सिर्फ जम्मू और श्रीनगर में स्थित दो सरकारी मेडिकल कालेजों के अलावा शेरे कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान सौरा में ही उपलब्ध थे। अन्य कालेजेें औार अस्पतालों में इनहें शुरु करने से न सिर्फ जम्मू कश्मीर में चिकित्सा विशिषज्ञों की कमी दूर होगी बल्कि श्रीनगर व जम्मू के मेडिकल कालेज पर भी बोझ कम होगा।