Jammu Kashmir: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जम्मू कश्मीर सरकार को 6 सप्ताह का समय दिया

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जम्मू-कश्मीर सरकार को निर्देश दिए हैं कि उधमपुर जिला के रामनगर में घटिया दवाई पीने से हुई बच्चों की मौत के मामले में 6 सप्ताह में अपना पक्ष रखे। जम्मू के सामाजिक कार्यकर्ता सुकेश खजूरिया ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया था।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 05:41 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 05:42 PM (IST)
Jammu Kashmir: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जम्मू कश्मीर सरकार को 6 सप्ताह का समय दिया
आयोग ने पीड़ित परिवारों को तीन तीन लाख रुपये का मुआवजा देने के निर्देश दिए थे।

जम्मू, राज्य ब्यूरो । राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जम्मू-कश्मीर सरकार को निर्देश दिए हैं कि उधमपुर जिला के रामनगर में घटिया दवाई पीने से हुई बच्चों की मौत के मामले में 6 सप्ताह में अपना पक्ष रखे। पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिए जाने के मुद्दे को लेकर जम्मू के सामाजिक कार्यकर्ता सुकेश खजूरिया ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया था। आयोग ने ड्रग कंट्रोल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की रिपोर्ट तलब करने के साथ पीड़ित परिवारों को तीन तीन लाख रुपये का मुआवजा देने के निर्देश दिए थे।

रामनगर में घटिया दवाई पीने से बच्चों की मौत का मामला 

खजूरिया ने याचिका में आरोप लगाया था कि घटिया दवाई पीने से रामनगर में बच्चों की मौतें हुई हैं। दिसंबर 2019 से लेकर जनवरी 2020 के बीच रामनगर में खांसी की घटिया दवाई पीने से बच्चों की मौतें हुई थी। आयोग ने 7 सितंबर 2020 को अपनी कार्रवाई में कहा था कि जम्मू-कश्मीर का ड्रग विभाग बाजार में घटिया दवाइयों की निगरानी करने में विफल रहा है। सरकार अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकती। आयोग जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव को निर्देश देता है कि पीड़ित परिवारों को तीन तीन लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए और इसकी अनुपालन रिपोर्ट छह सप्ताह के भीतर सौंपी जाए।

अब स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अतिरिक्त सचिव कानून ने 9 मार्च 2021 को आयोग को सूचित किया कि यह मामला स्टेट ड्रग कंट्रोलर और ड्रग एंड फूड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन के साथ विचाराधीन है और उन्हें इस जांच के लिए पर्याप्त समय दिया जाए। आयोग ने इसके लिए छह सप्ताह का समय दिया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने रजिस्ट्री को निर्देश दिए कि वह 18 जनवरी 2021 के आयोग के आखिरी आदेश की कॉपी को लाए और जम्मू-कश्मीर सरकार 27 जून 2021 तक अपनी रिपोर्ट आयोग के पास भेजें।इससे पहले सरकार ने आयोग के फैसले को जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच में मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल और सिंधु शर्मा ने आयोग के फैसले को बरकरार रखते हुए सरकार की याचिका को खारिज कर दिया था। खजूरिया का आरोप है कि जम्मू कश्मीर सरकार पीड़ित परिवारों के साथ इंसाफ नहीं कर रही है और मामले को लटकाया जा रहा है। सरकार सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने की तैयारी कर रही है।

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