लद्​दाख सांसद जामियांग ने लाल चौक पर लहराते तिरंगे की फोटो की ट्वीट, सोशल मीडिया पर हुई वायरल

कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा झंडा फहराने को लेकर कई बार हिंसक झड़प हो चुकी है। ऐसे में लेह सांसद द्वारा ट्वीट की गई यहां लहराते तिरंगे की फोटो खूब वायरल हो रही है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 15 Aug 2020 10:14 AM (IST) Updated:Sun, 16 Aug 2020 09:01 AM (IST)
लद्​दाख सांसद जामियांग ने लाल चौक पर लहराते तिरंगे की फोटो की ट्वीट, सोशल मीडिया पर हुई वायरल
लद्​दाख सांसद जामियांग ने लाल चौक पर लहराते तिरंगे की फोटो की ट्वीट, सोशल मीडिया पर हुई वायरल

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो । कश्मीर घाटी के लाल चौक में लहराते तिरंगे झंडे की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है। लेह के सांसद जामयांग सेरिंग नांग्याल ने अपने टि्वटर हैंडल पर शुक्रवार को यह तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि लाल चौक जो कभी खानदानी सियासत व जिहादी ताकतों का प्रतीक था, अब राष्ट्रवाद का ताज बन चुका है। उस ट्वीट में उन्होंने लाल चौक पर लहराते झंडे की फोटो का इस्तेमाल किया था, जिसे में कई और लोगों ने ट्वीट किया और देखते ही देखते ये फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।

हालांकि, लद्दाख सांसद ने जो फोटो ट्वीट की है, वो वास्तविक फोटो नहीं है। उस फोटो से छेड़छाड़ की गई है। यह बात भी सामने आई कि नांग्याल ने जो तस्वीर ट्वीट की, वो साल 2010 की है। उस फोटो को एडिट कर लाल चौक पर लहराते तिरंगे की फोटो अलग से जोड़ी गई है।

घंटाघर के शिखर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराए जाने पर अख्तर रसूल ने कहा कि लालचौक में झंडा पहले भी लहराया जाता रहा है, लेकिन पहरे में। उन्होंने कहा कि मुझे आज भी याद है कि 2008 में 15 अगस्त की सुबह यहां सुरक्षाबलों ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और कुछ ही देर में पाकिस्तान समर्थकों की भीड़ ने आकर उसे उतार दिया था। उसके स्थान पर पाकिस्तानी झंडा लहरा दिया गया। मैंने लेह के सांसद के ट्वीटर हैंडल और सोशल मीडिया पर यह तस्वीर देखी है।

लालचौक से चंद कदम की दूरी पर कोकर बाजार में रहने वाले अनवर लोन ने कहा कि घंटाघर के ऊपर राष्ट्रीय ध्वज की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। स्वतंत्रता दिवस पर लाल चौक पर कोई हंगामा नहीं हुआ। किसी ने यहां शोर नहीं मचाया। पहले तो यहां जब कोई तिंरगे का नाम लेता था, तो हड़ताल हो जाती थी। पथराव होता था। पुलिस को पत्थरबाजों से तिरंगा लहराने वाले को बचाना पड़ता था। उसके खिलाफ ही कार्रवाई हो जाती थी। बीते साल जो संवैधानिक बदलाव हुआ है, यह उसका ही नतीजा है।

(घोषणा- इस खबर में कुछ तथ्यात्मक त्रुटि पाए जाने के बाद उसमें जागरण की सुधारात्मक नीति के अनुसार आवश्यक बदलाव कर अपडेट किया गया है।)

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