National Disabled Day को दिव्यांगों ने काला दिवस के रूप में मनाया, अधिकारों के लिए उठाई आवाज
विभिन्न जिलों में दिव्यांगों ने प्रदर्शन कर हक के लिए आवाज उठाई। प्रदेश प्रशासन पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी की। जम्मू में प्रेस क्लब के बाहर और राजौरी जिले में दिव्यांगों ने प्रदर्शन किया गया।
जम्मू, जेएनएन : राष्ट्रीय विकलांग दिवस को दिव्यांगों ने शुक्रवार को काला दिवस के रूप में मनाया। विभिन्न जिलों में दिव्यांगों ने प्रदर्शन कर हक के लिए आवाज उठाई। प्रदेश प्रशासन पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी की। जम्मू में प्रेस क्लब के बाहर और राजौरी जिले में दिव्यांगों ने प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों ने मुख्य रूप से भत्ता बढ़ाने के अलावा अतिरिक्त सुविधाएं देने की मांग की।
जम्मू में प्रेस क्लब के बार दिव्यांग लोगों ने जोरदार प्रदर्शन किया। दिव्यांगों ने कहा कि यह विकलांग दिवस नहीं उनके लिए काला दिन है। आजकल उनका गुजारा मुश्किल हो गया है। सरकार उनकी सुध नहीं ले रही है। जेएंडके वेलफेयर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी मोहिंदर शर्मा ने कहा कि दिव्यांगों के पेंशन के अलावा कई मांगें सरकार से करते आए हैं, लेकिन ध्यान नहीं दिया जाता। उन्होंने कहा एमए, एमएड कर चुके दिव्यांग ओवरएज हो रहे हैं। उन्हें जल्द से जल्द नौकरी दी जानी चाहिए। एक हजार भत्ता से गुजारा संभव नहीं हैं।
वहीं एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने दिव्यांगों को 36 किलो राशन मुफ्त देने का प्रविधान किया, लेकिन प्रदेश सरकार इस पर अमल नहीं कर रही है। दिव्यांगों को राशन नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार में दिव्यांगों के पुनर्वास के प्रति गंभीरता नहीं दिखती। अगर सरकार इनके लिए स्कूल, कॉलेज, आइआइटी कॉलेज, शॉपिंग मॉल आदि की सुविधा अलग से दे तो सभी दिव्यांगों का जीवन स्तर में सुधार आ सकता है।
विकलांगता अधिकार कानून 2016 को लागू करने की मांग : वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय विकलांग दिवस केे मौके पर राजौरी में भी दिव्यांगों ने प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि सरकार दिव्यांगों को उचित सुविधा नहीं दे रही है। उन्होंने हक के लिए नारेबाजी की। यहां दिव्यांग किराए में छूट की मांग भी कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों की अगुवाई करते हुए विनोद शर्मा ने कहा कि छह महीने पहले जम्मू कश्मीर विकलांग कल्याण संगठन ने सरकार को अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा। भरोसा दिया गया कि उन मांगों को पूरा किया जाएगा, लेकिन कुछ नहीं हुआ। उन्होंने लटके हुए विकलांगता अधिकार कानून 2016 को लागू कर उसके तहत जल्द से जल्द लाभ देने की मांग की।