नाटक टोपियां से राजनेताओं पर कटाक्ष

जागरण संवाददाता, जम्मू : नटरंग संडे थियेटर श्रृंखला में मणि मधुकर के लिखे नाटक 'टोपियां' का मंचन कर

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 Oct 2019 09:50 AM (IST) Updated:Mon, 14 Oct 2019 09:50 AM (IST)
नाटक टोपियां से राजनेताओं पर कटाक्ष
नाटक टोपियां से राजनेताओं पर कटाक्ष

जागरण संवाददाता, जम्मू : नटरंग संडे थियेटर श्रृंखला में मणि मधुकर के लिखे नाटक 'टोपियां' का मंचन कर पाखंडी राजनेताओं पर कटाक्ष किया गया।

बलवंत ठाकुर के निर्देशन में मंचित इस नाटक में देश के समकालीन राजनीतिक परिदृश्य पर कटाक्ष किया गया। यह उन पाखंडी राजनेताओं पर कटाक्ष है जो गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं। उनका एक मात्र उद्देश्य सत्ता में बने रहना है। उन्हें किसी विचारधारा आदि से कोई लेना-देना नहीं होता। सत्ता में बने रहने के लिए वह कोई भी समझौता कर लेते हैं। सत्ता के लिए नेता अपनी टोपी का रंग बदल रहे हैं। लेकिन दिमाग उसी तरह काम कर रहा है।

राजनीतिक परिदृश्य को बदलने की प्रतिज्ञा लेने वाले दो पड़ोसियों की कहानी की पृष्ठभूमि में विकल्प की तलाश की जाती है। हर बार जब वे एक व्यक्ति के पास आते हैं तो वे केवल अलग-अलग टोपी पहनते हैं और उन्हें कई तरह के घोषणापत्र देते हैं। हर बार वे उसे एक अलग व्यक्ति के रूप में पहचानते हैं। उससे एक अलग विचारधारा की अपेक्षा करते हैं। समय के साथ जब वे पाते हैं कि कुछ भी नहीं बदल रहा है। समाजवाद के नारे अमीर और गरीब के बीच विभाजन को आगे बढ़ा रहे हैं। जीवन की गुणवत्ता दिन-प्रतिदिन बिगड़ रही है और जीवन और संपत्ति की सुरक्षा भगवान की दया पर है।

नाटककार ने सफलतापूर्वक चित्रित किया कि राजनेता वही हैं। वे केवल अपनी टोपी और अपने रंग बदलते हैं। वे एक ही समय में दोस्त और दुश्मन हो सकते हैं। सत्ता की वासना के लिए उनके समीकरण और टकराव बदल जाते हैं। इस नाटक ने नटरंग के युवा कलाकारों के सामने एक बड़ी चुनौती पेश की। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि उनके किरदारों को निभाना कई लोगों को हैरान कर गया।

दो पड़ोसियों की भूमिकाएं सुशांत सिंह चाढ़क और गोपी शर्मा ने निभाई। महेक्षितत सिंह ने उन्हें समान समर्थन दिया। लाइट डिजाइनिग नीरज कांत ने की। नाटक का संगीत आरती देवी ने दिया। संयोजन मोहम्मद यासीन ने किया। मंच संचालन कननप्रीत कौर ने किया।

chat bot
आपका साथी