Jammu Kashmir: राहत राशि को लेकर विस्थापित कश्मीरी पंडितों का आंदोलन जारी, मासिक राशि 25 हजार रुपये करने की मांग

मासिक राहत राशि में बढ़ोतरी की मांग को लेकर जगटी में कश्मीरी पंडितों ने अपना अभियान फिर तेज कर दिया है। मंगलवार को विस्थापित कश्मीरी पंडितों का आंदोलन 210वें दिन में प्रवेश कर गया।इन कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रशासन ने विस्थापित कश्मीरी पंडितों की मांगों को नही माना।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 05:52 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 05:52 PM (IST)
Jammu Kashmir: राहत राशि को लेकर विस्थापित कश्मीरी पंडितों का आंदोलन जारी, मासिक राशि 25 हजार रुपये करने की मांग
मंगलवार को विस्थापित कश्मीरी पंडितों का आंदोलन 210वें दिन में प्रवेश कर गया।

जम्मू, जागरण संवाददाता । मासिक राहत राशि में बढ़ोतरी की मांग को लेकर जगटी में कश्मीरी पंडितों ने अपना अभियान फिर तेज कर दिया है। मंगलवार को विस्थापित कश्मीरी पंडितों का आंदोलन 210वें दिन में प्रवेश कर गया।

इन कार्यकर्ताओं का कहना है कि लंबा समय देने के बाद भी प्रशासन ने विस्थापित कश्मीरी पंडितों की मांगों को नही माना। ऐसे में इन लोगों को फिर सड़क पर आने के लिए मजबूर होना पड़ा। जगटी टेनिमेंट कमेटी व सोन कश्मीर के प्रधान शादी लाल पंडिता ने संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना के दौर का असर हर ओर पड़ा। ऐसे में विस्थापित कश्मीरी पंडितों का हाल और मंदा हो गया है। यह विस्थापित अब अपने परिवार का पालन पोषण तक नही कर पा रहे हैं।

प्रशासन प्रति परिवार हर माह 13 हजार रुपये की राशि उपलब्ध कराता है। लेकिन इससे किसी भी परिवार का गुजारा नहीं हो सकता। इसलिए शुरू से ही हमारी मांग रही कि मासिक राहत राशि को बढ़ाकर 25 हजार रुपये किया जाए। मगर केंद्र सरकार ने इस ओर गौर नहीं किया। काेरोना के कारण बीच में कुछ दिन आंदोलन को स्थगित भी किया गया। लेकिन बीते दिनों में भी केंद्र सरकार ने विस्थापित कश्मीरी पंडितों के बारे में नही सोचा। लिहाजा अब हमें फिर आंदोलन पर उतरना पड़ रहा है।

आरके टिक्कु ने कहा कि इस समय विस्थापित कश्मीरी पंडित लोग बुरी तरह से प्रभावित हैं। कुछ लोग छोटे मोटे कामकाज करके कुछ न कुछ आमदनी बनाते थे। लेकिन अब वो भी बंद हो चुकी है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि प्रशासन इन सभी विस्थापित लोगों को बेहतरीन सुविधाएं दे ही वहीं इनके रोजगार के बारे में भी सोचे। काम धंधे करने के लिए विस्थापित परिवार को बिना ब्याज के ऋण दिया जाए। वहीं हर विस्थापित परिवार से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए। 

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