जम्मू विवि ने वेबिनार के जरिए रक्तदान के लिए युवाओं को प्रेरित किया

राज्य ब्यूरो जम्मू जम्मू विश्वविद्यालय की एनएसएस कैंपस यूनिट ने रक्तदान पर वेबिनार आयोजित किया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 08:18 AM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 08:18 AM (IST)
जम्मू विवि ने वेबिनार के जरिए रक्तदान के लिए युवाओं को प्रेरित किया
जम्मू विवि ने वेबिनार के जरिए रक्तदान के लिए युवाओं को प्रेरित किया

राज्य ब्यूरो, जम्मू : जम्मू विश्वविद्यालय की एनएसएस कैंपस यूनिट ने रक्तदान पर वेबिनार आयोजित किया। इसका विषय था ,रक्त दो और विश्व को संपन्न बनाओ। वीसी प्रो. मनोज धर ने युवाओं को रक्तदान के लिए प्रेरित करने पर जोर देते हुए कहा कि हम रक्तदान से दूसरों का जीवन बचा सकते हैं। उन्होंने रक्त की मांग और सप्लाई में अंतर को पूरा करने पर जोर देते हुए कहा कि विद्यार्थियों को इस नेक काम में आगे आना चाहिए। वीसी ने एनएसएस स्वयंसेवियों जसवीर सिंह और विकास पंडिता का बतौर मुख्य संसाधन विशेषज्ञ के तौर पर कार्यक्रम में शामिल होने पर धन्यवाद किया। वीसी ने कहा कि रक्त कई लोगों की जिदगी बचा सकता है मां के आंसू उसके बच्चे को नहीं बचा सकते बल्कि रक्त दान करके उसे बचाया जा सकता है। पंचैरी मोगरी उधमपुर के जिला काउंसलर जसवीर सिंह जो एनएसएस के स्वयंसेवी रहे हैं और विकास पंडिता इस समय टाटा कंसलटेंसी सर्विस में सिस्टम इंजीनियर हैं, ने विद्यार्थियों को रक्त दान और जन सेवा के बारे में बताया। नमीं डोगरी संस्था की ई-गोष्ठी में सुनाई नानी-दादी की कहानियां

जागरण संवाददाता, जम्मू : नमीं डोगरी संस्था की ओर से शनिवार को ई-गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें नानी-दादी की कहानियां सुनाई गई। ई-गोष्ठी की अध्यक्षता साहित्यकार शंभु कुमार प्यास ने किया। संचालन संस्था के महासचिव यश पाल यश ने किया।

संस्था के कन्वीनर कैप्टन ललित शर्मा के नेतृत्व में आयोजित गोष्ठी में सुदर्शन कुमारी दर्शी, कुसुम शर्मा अंतरा, यश पाल यश, शंभु राम प्यासा और सुशील भोला ने पारंपरिक कहानियों को सुनाया। गोष्ठी में प्रोफेसर अनुपमा शर्मा, रोहित चौधरी, निधि कैला, कुलभूषण जम्वाल, विग कमांडर डा. दीपक डोगरा, ग्रुप कैप्टन दुपेंद्र सिंह, संस्था की आयोजक सचिव डा. चंचल शर्मा, केडी कौल महबूब, आरके उप्पल, डोगरा जितेंद्र जाली आदि शामिल हुए। संस्था के प्रधान एडवोकेट हरीश कैला ने कहा कि इन पुरानी कहानियों को जिंदा रखने की जरूरत है। दादी-नानी की इन कहानियों में हमारी लोक संस्कृति भी बसती है। शंभु राम प्यासा ने कहा कि यह गोष्ठी सफल रही है। बच्चों को यह कहानियां सुनाई जानी चाहिए, क्योंकि इनमें जीवन के मूल्य और संस्कार छिपे हैं।

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