श्रमिकों के पलायन से जम्मू-कश्मीर में जारी विकास परियोजनाओं पर पड़ सकता है असर
इस समय जम्मू में आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेस रिंग रोड जम्मू-अखनूर फलाई ओवर का काम चल रहा है। कृत्रिम झील के निर्माण का काम वर्ष 2023 के अगस्त माह में पूरा कर लिए जाने का उप राज्यपाल ने संकल्प लिया है।
जम्मू, जागरण संवाददाता। घाटी में प्रवासी श्रमिकों की निर्ममता से हत्याओं के कारण कश्मीर से हिंदुओं का पलायन बदस्तूर जारी है। इस पलायन का असर जम्मू संभाग में देखने को मिल रहा है। दीपावली और छठ के त्यौहार को देखते हुए अब जम्मू से भी प्रवासी श्रमिकों ने दहश्त के बीच पलायन शुरू कर दिया है। कश्मीर में प्रवासी श्रमिकों की हत्याओं से बाहरी राज्यों में रह रहे श्रमिकों के परिवारों में काफी दहशत देखने को मिल रही है।
छत्तीसगढ़ के रायपुर के रहने वाले श्रमिक नरेंद्र दास का कहना है कि वह जम्मू में बीते 6 साल से दिहाड़ी लगा रहा है, लेकिन परिरवार के सदस्यों को उसकी चिंता सता रही है। इसलिए वह वापिस अपने प्रदेश जा रहा है। जम्मू कश्मीर में अगर प्रवासी श्रमिकों का पलायन नहीं रूका तो आने वाले दिनों में राज्य में जारी विभिन्न सरकारी परियाेजनाओं पर इसका असर पड़ेगा।
इस समय जम्मू में आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेस, रिंग रोड, जम्मू-अखनूर फलाई ओवर का काम चल रहा है। कृत्रिम झील के निर्माण का काम वर्ष 2023 के अगस्त माह में पूरा कर लिए जाने का उप राज्यपाल ने संकल्प लिया है। एम्स का निर्माण वर्ष 2023, जम्मू रिंग रोड के दूसरे चरण का काम बीते अगस्त माह में पूरा हो जाना था, लेकिन अब इसके निर्माण में भी देरी आ सकती है। इतना ही नहीं जम्मू मुट्ठी फ्लाई ओवर की डेड लाइन फरवरी, 2021 रखी गई थी, लेकिन निर्माण कार्य पहले ही सुस्त रफ्तार से चल रहा है।
श्रमिकों के न होने से कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के निर्माण पर असर देखने को मिलेगा। अगर अधिक विलंब हुआ तो इन परियोजनाओं की लागत राशि भी बढ़ सकती है। जम्मू के डिवीजन कमिश्नर राघव लंगर का कहना है कि सभी परियाेजनाओं को समय पर पूरा कर लिया जाएगा।