सरहदों से अंजान घराना वेटलैंड में विचरण करने पहुंचे मेहमान राजहंस पढ़ा रहे इंसानियत का पाठ
दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई तक उड़ान भरने के लिए पहचाने जाने वाले राजहंस यानी सरपट्टी सवन (बार हेडड गीज) साइबेरिया से उड़ान भरते हुए जम्मू के घराना वेटलैंड पर पहुंचने लगे हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता। मुल्कों के बीच सरहद की दीवार खड़ी करने वाले हम इंसानों को परिंदों की दुनिया से सीख लेनी चाहिए। इन परिंदों की कोई सरहद नहीं होती, कहीं की भी आबोहवा रास आ गई, अपनापन मिला वहीं डेरा जमा लेते हैं। ऐसे ही आरएसपुरा क्षेत्र के घराना वेटलैंड में इस समय सौ से अधिक साइबेरियाई राजहंसों ने डेरा जमा लिया है। इनकी अठखेलियां पक्षी प्रेमियों के मन को हर्षित कर रही हैं।
दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई तक उड़ान भरने के लिए पहचाने जाने वाले राजहंस यानी सरपट्टी सवन (बार हेडड गीज) साइबेरिया से उड़ान भरते हुए जम्मू के प्रसिद्ध घराना वेटलैंड पर पहुंचने लगे हैं। सुबह सौ से अधिक राजहंस घराना के तालाब में उतरे। दिनभर तालाब में अठखेलियां कर पर्यटकों का ध्यान खींचा। हालांकि यह संख्या बहुत ही कम है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में तालाब इन पक्षियों से भर जाएगा। राजहंसों की अठखेलियां देखने के लिए काफी संख्या में पक्षी प्रेमी यहां पहुंचते हैं।
पटाखे चलाने से आहत हो रहे विदेशी मेहमान: जम्मू के प्रसिद्ध घराना वेटलैंड पर पहुंच रहे विदेशी मेहमान राजहंसों के आते ही पटाखों का सामना करना पड़ रहा है। गांव की गलियों में पटाखे चलाए जाने से यह विदेशी मेहमान आहत हो रहे हैं। गांव वालों का कहना है कि अभी बासमती धान की फसल खेतों में पड़ी हुई है। यह विदेशी पक्षी बासमती धान को बर्बादी करने में जुटे हुए हैं। उधर, वन्यजीव संरक्षण विभाग के कर्मचारी पता लगा रहे हैं कि आखिर पटाखे चला कौन रहा है।
वन्यजीव विभाग संरक्षण विभाग भी बरत रहा सतर्कता: घराना वेटलैंड में राजहंसों के आने के बाद वन्यजीव संरक्षण विभाग ने क्षेत्र में सतर्कता और बढ़ा दी है। लोगों को इन पक्षियों के बहुत करीब नहीं जाने दिया जा रहा। जम्मू की मधु गुप्ता का कहना है कि भले ही राजहंस का एक छोटा सा ही झुंड पहुंचा है लेकिन नजारा देखकर मन खुश हो गया। वहीं, किशोर शर्मा का कहना है कि वेटलैंड को संरक्षित करने के लिए सरकार को तेजी से काम करना चाहिए।
माउंट एवरेस्ट पार कर जाते हैं यह पक्षी: राजहंस सर्दियों के इस सीजन में प्रवास के दौरान यह माउंट एवरेस्ट की चोटी के बगल से तो कभी-कभी ठीक उपर से होकर गुजर जाते हैं और भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका व दूसरे वेटलैंड में पहुंचते हैं। माउंट एवरेस्ट पर हवा इतनी तेज रहती है कि मिट्टी का तेल नहीं जल सकता। न ही हेलीकाप्टर उड़ सकता है। मगर यह पक्षी इस ऊंचाई में भी उड़ने मे सक्षम होते हैं और अपने रूट को पहचानते हुए वेटलैंडों पर पहुंच जाते हैं। फिर कुछ माह यहां पर गुजार कर यह पक्षी रूट को पहचानते हुए वापस चीन, साइबेरिया व आसपास के ब्रीडिंग ग्राउंड की ओर उड़ जाते हैं। घराना में इन पक्षियों को 2003 में रिकॉर्ड किया गया था। उसके बाद इसकी संख्या बढ़ती ही गई। अब हर साल सर्दियों में करीब चार से पांच हजार राजहंस घराना में डेरा लगाते हैं और अप्रैल के आखिर तक इसी क्षेत्र में बने रहते हैं।
राजहंसों का हिमाचल से भी संबंध: सर्दियों के सीजन में घराना वेटलैंड आने वाले राजहंसों का हिमाचल प्रदेश आना-जाना लगा रहता है। यह बात बीते बरसों में पक्षियों के गले में पड़े लाल पट्टे से हुई। पता चला कि इनको हिमाचल प्रदेश के पोंग डैम पर पट्टे पहनाए गए थे।
परिंदों पर रखी जा रही नजर: घराना में राजहंसों के आने का सिलसिला आरंभ हो गया है। यह अच्छे संकेत हैं। इन पक्षियों पर पूरी निगरानी रखी जा रही है। इसके लिए कर्मचारियों को अलर्ट किया गया है। पूरी उम्मीद है कि इन राजहंसों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होती जाएगी। पर्यटकों को सलाह है कि पक्षियों के बेहद नजदीक जाने का प्रयास न करें। - रिशी पाल, रेंज ऑफिसर, वन्यजीव संरक्षण विभाग