Kashmir: इस्लामिक हुकूमत के नाम पर तालिबान का लोगों पर अत्याचार पूरी दुनिया के लिए खतरा : महबूबा मुफ्ती
महबूबा मुफ्ती ने आज अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि बहुत से मुल्क जो इस्लाम और शरियत की हुकूमत का दावा करते हैं उन्होंने सिर्फ महिलाओं पर पाबंदियों ड्रेस कोड और क्या करना है-क्या नहीं करना है तक ही इसे सीमित रखा है।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा और पूर्व मुख्यमंत्री महबूब मुफ्ती ने वीरवार को कहा कि शरियत के मुताबिक अफगानिस्तान में हुकूमत संबंध मेरे बयान को जिस तरह से तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है, उससे मैं कतई हैरान नहीं हूं। मैं इसके लिए किसी को दोषी भी नहीं ठहराती, क्योंकि बहुत से मुल्क जो कहते हैं कि वह शरियत और इस्लाम के मुताबिक हुकूमत चला रहे हैं, इस्लाम और शरियत की मूल भावना व आदर्शों के मुताबिक शासन चलाने में नाकाम रहे हैं। महबूबा मुफ्ती ने अपनी यह प्रतिक्रिया आज अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल पर व्यक्त की है।
उल्लेखनीय है कि गत बुधवार को महबूबा मुफ्ती ने दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में पत्रकारों से बातचत करते हुए कहा था कि तालिबान अब एक हकीकत है। अगर तालिबान अपने दावे के मुताबिक शरियत, इस्लाम और हजरत मुहम्मद साहब के आदर्शों के अनुरुप हुकुमत करते हुए किसी पर जुल्म नहीं करता है। बच्चों, बूढों, औरतों और अल्पसंख्यकों को उनके अधिकार दिए जाते हैं तो वह पूरी दुनिया के लिए एक आदर्श बनेंगे। अगर वह पहले की इस्लामिक हुकूमत के नाम पर लोगों पर अत्याचार करेंगे तो न सिर्फ अफगानिस्तान बल्कि पूरी दुनिया के लिए बुरा होगा। महबूबा मुफ्ती के इस बयान को लेकर खूब हंगामा हुआ है।
महबूबा मुफ्ती ने आज अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि बहुत से मुल्क जो इस्लाम और शरियत की हुकूमत का दावा करते हैं, उन्होंने सिर्फ महिलाओं पर पाबंदियों, ड्रेस कोड और क्या करना है-क्या नहीं करना है, तक ही इसे सीमित रखा है। असली इस्लामिक हुकूमत के मदीना घोषणापत्र में औरतों, मर्दाें औेर अल्पसंख्यकों के बराबरी के अधिकार हैं। महिलाओं का संपत्ति, सामाजिक, कानूनी और शादी के पूर्ण अधिकार दिए गए हैं। गैर मुस्लिमों को भी मजहबी स्वतंत्रता समेत बराबरी के आधार पर अन्य अधिकार प्रदान हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में हजरत खदीजा तुल कुबरा का जिक्र करते हुए कहा कि वह एक सफल और आत्मनिर्भर कारोबारी महिला थी। हजरत आयशा सिद्दीक ने तो 13 हजार सिपाहयों की फौज का नेतृत्व करते हुए जंग लड़ी। इस्लामिक इतिहास में ऐसी कई मिसालें हैं जो महिला अधिकारों और उनके सशक्त होने का सुबूत हैं।
अपने बयान का जिक्र करते हुए महबूबा मुफ्ती ने लिखा है कि भारत में सांप्रदायिक तत्व हावी है, इस्लामफाेबिया तेजी से फैल रहा है, अफगानिस्तान क हालात ने इसे और हवा दी है। मुस्लिमों को यहां हर रोज साबित करना पड़ रह है कि वह हिंसक और हिंसा के समर्थक नहीं हैं। ऐसे मे मैं अच्छी तरह जानती हूं कि मेरे बयान को इसी विचार को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।