Jammu Kashmir: महबूबा बोलीं- तालिबान अब हकीकत है, शरीयत कानून लागू कर विश्व के लिए उदाहरण बने

महबूबा मुफ्ती की यह टिप्पणी नेशनल कांफ्रेंस के प्रधान फारूक अब्दुल्ला के उस बयान के बाद आई है जिसमें फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि इस्लामिक नियमों अनुसार तालिबान अच्छा शासन करेगा। फारूक ने कहा है कि तालिबान को मानवाधिकारों का सम्मान करना चाहिए

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Wed, 08 Sep 2021 05:31 PM (IST) Updated:Wed, 08 Sep 2021 06:23 PM (IST)
Jammu Kashmir: महबूबा बोलीं- तालिबान अब हकीकत है, शरीयत कानून लागू कर विश्व के लिए उदाहरण बने
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अगर तालिबान वो ही करेंगे जो उन्होंने 90 के दशक में किया था

जम्मू, जेएनएन। पीडीपी की प्रधान एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि तालिबान अब हकीकत है। तालिबान को अफगानिस्तान में सही शरीयत कानून लागू करना चाहिए। तालिबान अब हकीकत बन चुका है। तालिबान को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी पहली छवि जो मानवता और बुनियादी अधिकारों के खिलाफ थी फिर से न अपनाएं। अगर वे अफगानिस्तान पर शासन करना चाहते हैं तो उन्हें सही शरीयत कानून लागू करना चाहिए जिसमें महिलाओं के लिए अधिकार हों तब ही उनके अन्य देशों के साथ अच्छे संबंध हो सकेंगे।

दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिला के अखरान गांव में जनसभा को संबोधित करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अगर तालिबान वो ही करेंगे जो उन्होंने 90 के दशक में किया था तो यह सिर्फ अफगानिस्तान के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए मुश्किल होगी। अगर तालिबान सही शरीयत कानून को लागू करता है, जिसमें महिलाओं को पूरे अधिकार मिलें तब वे विश्व के लिए उदाहरण बन सकते हैं।महबूबा मुफ्ती की यह टिप्पणी नेशनल कांफ्रेंस के प्रधान फारूक अब्दुल्ला के उस बयान के बाद आई है, जिसमें फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि इस्लामिक नियमों अनुसार, तालिबान अच्छा शासन करेगा। फारूक ने कहा है कि तालिबान को मानवाधिकारों का सम्मान करना चाहिए 

महबूबा मुफ्ती की यह टिप्पणी नेशनल कांफ्रेंस के प्रधान फारूक अब्दुल्ला के उस बयान के बाद आई है, जिसमें फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि इस्लामिक नियमों अनुसार, तालिबान अच्छा शासन करेगा। फारूक ने कहा है कि तालिबान को मानवाधिकारों का सम्मान करना चाहिए और हर देश के साथ अच्छे संबंध बनाने चाहिए। इस्लामिक नियमों के तहत, सम्मानजनक सरकार बनानी चाहिए।  

महबूबा ने इस दौरान पत्रकारों से भी बातचीत की।नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डा फारुक अब्दुल्ला द्वारा विधानसभा चुनावों में भाग लेने संबंधी बयान के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इसका पीपुल्स एलायंस फार गुपकार डिक्लेरेशन पीएजीडी से काेई सरोकार नहीं है। पीएजीडी का गठन एक बड़े मकसद के लिए हुआ है। पीएजीडी जम्मू कश्मीर में पांच अगस्त 2019 से पूर्व की संवैधानिक स्थिति की बहाली के लिए, अनुच्छेद 370 को बहाल करने के लिए हुआ है। पीएजीडी में शामिल सभी दल इस मुद्दे पर एकमत हैं अौर मिलकर आगे बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही पीएजीडी के सभी घटक दलों क अपने अपने राजनीतिक एजेंडे भी हैं, अपनी नीतियां हैं,जिन पर वह अपने अपने स्तर पर काम कर रहे हैं।

मसर्रत आलम के हुर्रियत चेयरमैन बनने और हुर्रियत से बातचीत के संदर्भ में किसी भी तरह की प्रतिक्रिया से बचते हुए महबूबा ने कहा कि यह हुर्रियत का मसला है। इस पर मैं कुछ नहीं कह सकती। उन्होंने कहा कि यहां मुझे यह समझ में नहीं आता कि एक तरफ केंद्र सरकार की जम्मू कश्मीर में रोजाना संसदीय समितियां आ रही हैं, उन्हें यहां के हालात सामान्य बताने के लिए जगह-जगह घुमाया जा रहा है जबकि हम जैसे लोगों को, यहां के राजनीतिक दलों के नेताओं की गतिविधियों पर राेक लगाई जाती है। पंचायतों के सदस्यों को होटलों में बंद करके रखा गया है और उन्हें यह कहकर बाहर नहीं जाने दिया जाता कि आपकी जान का खतरा है।

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