महबूबा मुफ्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जेलों में बंद कश्मीरी राजनीतिक कैदियों की रिहाई मांगी
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काे पत्र लिख जेलों में बंद सभी कश्मीरी राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग की है।महबूबा मुफ्ती ने लिखा है जेलों में पर्याप्त उपचार सुविधा भी नहीं है
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काे पत्र लिख, जेलों में बंद सभी कश्मीरी राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग की है।
प्रधानमत्री को लिखे पत्र में महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मैं यह पत्र आपको ऐसे समय मे लिख रही हूं जब पूरा देश कोविड संक्रमण की दूसरी लहर की चपेट में है। दुर्भाग्यवश, हमारा पूरा स्वास्थ्य ढांचा चरमरा गया है। सांस लेने के लिए तड़पते मरीजों की दिल दहलाने वाली तस्वीराें ने हम सभी को हिलाकर रख दिया है। मजबूरी का आलम यह है कि लोग अपने स्वजनों को मरते देख रहे हैं और चाहकर भी भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। वे सम्मानजनक तरीके से उनका अंतिम संस्कार भी नहीं कर पा रहे हैं। कोई भी इस मानवीय त्रासदी का राजनीतिकरण नहीं चाहता। यह महामारी किसी का लिहाज नहीं कर रही है। ऐसे हालात में अगर कुछ बेहतर नजर आता है तो वह यह कि सभी लाेग जाति, धर्म और क्षेत्र की भावना से ऊपर उठकर एक दूसरे की मदद कर रहे हैं।
महबूबा मुफ्ती ने लिखा है कि जेलों में बंद कई कैदियों की काेरोना संक्रमण से मौत की खबरें भी आ रही हैं, जेलों में पर्याप्त उपचार सुविधा भी नहीं है। एेसे हालात मे जब पूरा तंत्र महामारी से निपटने में असमर्थ नजर आता है, जेलों में बंद कैदियों की फिक्र नाममात्र ही होगी। अगर हजारों नहीं तो सैंकड़ों की तादाद में कश्मीरी राजनीतिक कैदी 2019 से प्रदेश के भीतर और देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित जेलों में बंद हैं। इनमें से अधिकांश को एहतियात के तौर पर बंदी बनाया गया है, कईयों को अदालत द्वारा जमानत प्रदान करने के बाद भी नहीं रिहा किया गया है। हाल ही में मोहम्मद अशरफ सहराई की जेल में कोरोना संक्रमण से निधन हुआ है। पूरी दुनिया में विभिन्न मुल्क कोरोना के मददेनजर कैदियों को पैराेल पर रिहा कर रहे हैं।
पीडीपी अध्यक्षा ने प्रधानमंत्री से कैदियों की रिहाई का आग्रह करते हुए लिखा है कि एक सभ्य व लोकतांत्रिक राष्ट्र होने के नाते भारत को पीछे हटने के बजाय सभी राजनीतिक कैदियों को अविलंब रिहा करना चाहिए ताकि वह मौजूदा हालात में अपने घर लौट सकें। मुझे पूरी उम्मीद है कि आप इस पर गंभीरता से विचार करेंगे और कैदियों की रिहाई का आदेश देंगे।