Jammu Kashmir: रंगमंच से कमियों को विश्वास में बदलना संभव : मनीष जोशी बिस्मिल

नटरंग के नेशनल थिएटर टॉक शो ‘यंग वॉयस ऑफ थिएटर’ में संगीत नाटक अकादमी के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार विजेता थिएटर अभिनेता निर्देशक कठपुतली और जादूगर मनीष जोशी बिस्मिल ने आज फेसबुक पेज पर वैश्विक दर्शकों के साथ अपने विचार साझा किए।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 08:39 PM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 08:39 PM (IST)
Jammu Kashmir: रंगमंच से कमियों को विश्वास में बदलना संभव : मनीष जोशी बिस्मिल
उन्होंने 35 से अधिक पूर्ण-लंबाई वाले नाटकों का निर्देशन किया है।

जम्मू, जागरण संवाददाता । नटरंग के नेशनल थिएटर टॉक शो ‘यंग वॉयस ऑफ थिएटर’ में संगीत नाटक अकादमी के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार विजेता थिएटर अभिनेता निर्देशक, कठपुतली और जादूगर मनीष जोशी बिस्मिल ने आज फेसबुक पेज पर वैश्विक दर्शकों के साथ अपने विचार साझा किए।

नटरंग के वरिष्ठ कलाकार नीरज कांत के बातचीत में मनीष ने ज्वलंत उदाहरणों के साथ बताया कि रंगमंच से कमियों को भी विश्वास में बदला जा सकता है।उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने अपने समर्पण और दृढ़ संकल्प के साथ हकलाने की समस्या पर विजय प्राप्त की। उन्होंने संजय उपाध्याय जी के विशेष उल्लेख के साथ उन शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त किया। जिन्होंने उन्हें रंगमंच के विभिन्न पहलुओं को समझाया।अपने क्षेत्र के सार को समेटे हुए मूल कार्य करने के लिए, मनीष ने दिल्ली और गुरुग्राम में अपने आकर्षक कार्यों को छोड़ दिया और अपने शहर हिसार वापस लौट आए। जहां उन्होंने कई सार्थक उपक्रम शुरू किए।

उन्होंने जीवित कठपुतली, जादू के तत्वों और अन्य रूपांकनों को आत्मसात करने वाली एक नई भाषा बनाने का प्रयास किया। मनीष अलग-अलग अर्थपूर्ण और संवेदनशील विषयों को लेते हैं। जिन्हें अन्यथा संभालना बहुत मुश्किल होता है और बच्चों के लिए कठपुतली शो के माध्यम से उनका प्रदर्शन करते हैं क्योंकि यह उन्हें तुरंत आकर्षित करता है और उन्हें इन प्रदर्शनों का सकारात्मक प्रभाव मिलता है।मनीष का मानना है कि रंगमंच के लिए समय, ऊर्जा और समर्पण की आवश्यकता होती है। जिसके लिए अपेक्षित धैर्य और दृढ़ता होनी चाहिए।

निदेशक नटरंग, बलवंत ठाकुर ने कहा कि टॉक शो देश भर में फैले रंगमंच की प्रशंसित युवा आवाज की विशेषता है। उन्होंने बताया कि मनीष जोशी बिस्मिल एक बहुमुखी कलाकार हैं। जिन्होंने हिमाचल सांस्कृतिक अनुसंधान मंच और रंगमंच अकादमी में एक वर्षीय डिप्लोमा किया है। उन्होंने 35 से अधिक पूर्ण-लंबाई वाले नाटकों का निर्देशन किया है। उनके नाटक ‘हम तो ऐसे ही हैं’ के लाहौर व देश-विदेश में 108 से अधिक बार मंचन किया जा चुका है।

इस राष्ट्रीय कार्यक्रम का प्रबंधन करने वाली नटरंग की समर्पित टीम में नीरज कांत, अनिल टिक्कू, सुमीत शर्मा, संजीव गुप्ता, विक्रांत शर्मा, मोहम्मद यासीन, बृजेश अवतार शर्मा, गौरी ठाकुर और चंद्र शेखर शामिल हैं। 

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