Jammu Kashmir: उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा- नागरिकों की सम्मानजक जिंदगी के लिए समानता जरूरी

उपराज्यपाल ने कहा कि डा. अवस्थी कभी भी राजनीति को विज्ञान बनाने वाली दौड़ का हिस्सा नहीं रहे। वह राजनीतिक दर्शन में यकीन रखते थे राजनीतिक विज्ञान में नहीं। वह समानता सामाजिक समरसता सौहार्द और राष्ट्रीय हितों को सर्वाेपरि मानने वाली विचारधारा में यकीन रखते थे।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 08:20 AM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 08:20 AM (IST)
Jammu Kashmir: उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा- नागरिकों की सम्मानजक जिंदगी के लिए समानता जरूरी
डा. अवस्थी ने हमेशा अपने छात्रों के जीवन पर एक अमिट छाप छोड़ी है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर हो या देश का अन्य कोई राज्य, मेरा मानना है आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक व राजनीतिक समानता के लिए प्रयास हमेशा जारी रहने चाहिए ताकि प्रत्येक नागरिक एक सम्मानजनक जिंदगी जी सके। सकारात्मक आलोचना को शासकीय प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा बताते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि कोई भी समाज तभी मजबूत होता है जब वहां हर प्रकार के विचारों को सुना जाए और उन्हेंं सम्मान दिया जाए।

उपराज्यपाल ने यह विचार महान विचारक, शिक्षाविद और दार्शनिक डा. सुरेश अवस्थी को उनकी 15वीं पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रकट किए। डा. सुरेश अवस्थी के स्मरण में आयोजित एक वर्चुअल सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए उपराज्यपाल ने एकीकृत व प्रगतिशील भारत की उनकी परिकल्पना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि डा. अवस्थी ने हमेशा अपने छात्रों के जीवन पर एक अमिट छाप छोड़ी है। वह न सिर्फ एक अध्यापक थे बल्कि वह कुशल और योग्य मार्गदर्शक भी थे जिन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों के व्यक्तित्व और जीवन में बदलाव लाया। वह पोलिटिकल साइंस के उन गिने चुने अध्यापकों में एक थे जिन्होंने राजनीतिक सिद्धांतों को अध्यात्मिकृत करते हुए छात्रों के भीतर छिपी प्रतिभा को भी पहचाना। मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे उनका आशीर्वाद मिला, मुझे उनके करीब रहकर सामाजिक मूल्यों को सीखने समझने का अवसर मिला। डा. अवस्थी के निधन से मुझे बहुत आघात पहुंचा है। मेरे लिए उनका निधन एक अपूरणीय क्षति है।

उपराज्यपाल ने कहा कि डा. अवस्थी कभी भी राजनीति को विज्ञान बनाने वाली दौड़ का हिस्सा नहीं रहे। वह राजनीतिक दर्शन में यकीन रखते थे, राजनीतिक विज्ञान में नहीं। वह समानता, सामाजिक समरसता, सौहार्द और राष्ट्रीय हितों को सर्वाेपरि मानने वाली विचारधारा में यकीन रखते थे। उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर आगे बढ़ते हुए मैंने यही सीखा और समझा है कि सामाजिक संवाद और संपर्क ही समाज के प्रत्येक वर्ग को सशक्त बनाता है।

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर हो या देश का अन्य काई राज्य, मेरा मानना है आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक व राजनीतिक समानता के लिए प्रयास हमेशा जारी रहने चाहिए ताकि प्रत्येक नागरिक एक सम्मानजनक जिंदगी जी सके। सकारात्मक आलोचना को शासकीय प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा बताते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि कोई भी समाज तभी मजबूत होता है जब वहां हर प्रकार के विचारों को सुना जाए और उन्हेंं सम्मान दिया जाए।

डा सुरेश अवस्थी केे जीवन पर रोशनी डालते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि स्व अवस्थी संत कबीर के दर्शन को अच्छी तरह से समझते थे। संत कबीर का प्रभाव उनके पढ़ाने के तरीके में स्पष्ट नजर आता है वह सभी की प्रगति और सामाजिक बराबरी पर जोर देते थे। वह मानते थे कि शिक्षा वह माध्यम और अवसर है जिसके जरिए युवा जिंदगी की कला सीखते हैं। वह किसी एक विषय तक सीमित नहीं थे। उनका असली कार्य तो कक्षा से बाहर नजर आता है। बनारस हिंदु विश्वविद्यालय का पूरा कैंपस उनकी कर्मभूमि और तपोभूमि है।

उपराज्यपाल ने कहा की छात्र राजनीति में चरित्र निर्माण ही भविष्य का बदलने का सबसे शक्तिशाली हथियार है। देश के प्रथम राष्ट्रपति डा राजेंद्र प्रसाद ने 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा में अपने भाषण में कहा था कि संविधान तो एक औजार की तरह प्राणहीन है, जड़ है। इसका प्राण तो वह लोग हैं जो इसे नियंत्रित करते हैं, लागू करते हैं। राष्ट्र के लिए आज राष्ट्रहित को सर्वाेपरि मानने वाले इमानदार और निष्ठावान नागरिकों से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए। डा राजेंद्र प्रसाद की इसी भावना को अपनाते हुए डाॅ अवस्थी जी ने बनारस हिंदु विश्वविद्यालय में अपनी गतिविधियों को आगे बढ़ाया, उन्होंने अपने छात्रों में राष्ट्रीय हितों को सर्वाेपरि मानने की भावना को पैदा किया, वह हमेशा छात्र संघ के सशक्तिकरण पर जोर देते रहे।

उनके लिए राजनीति आम लोगों के सामाजिक, आर्थिक उत्थान का जरिया थी। उन्होंने बनारस हिंदु विश्वविद्यालय में छात्र यूनियन को मजबूत बनाने के लिए जो काम किया, उसकी तुलना नहीं हो सकती। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि आज उन्हेंं याद करते हुए मैं कह सकता हूं कि उन्होंने मुझे पहचाना, मेरे अंदर की ताकत को एक नयी दिशा दी। सिर्फ शिष्य ही एक योग्य गुरु की तलाश में नहीं होता बल्कि गुरु भी एक योग्य शिष्य को तलाश रहा होता है।

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