Jammu: शुक्रवार को है भगवान परशुराम जयंती एवं अक्षय तृतीया, जानें क्या है महत्व

अक्षय तृतीया के दिन खरीदे गए बेशकीमती आभूषण एवं सामान शाश्वत समृद्धि के प्रतीक हैं। इस दिन खरीदा व धारण किया गया सोना अखण्ड सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। किसी भी नए काम या किसी भी काम में लगाई गई पूंजी में सदा सफलता मिलती है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 11:21 AM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 11:21 AM (IST)
Jammu: शुक्रवार को है भगवान परशुराम जयंती एवं अक्षय तृतीया, जानें क्या है महत्व
इस दिन खरीदा गया सोना कभी समाप्त नहीं होता, क्योंकि भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी स्वयं उसकी रक्षा करते हैं।

जम्मू, जागरण संवाददाता: हर वर्ष वैशाख मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष अक्षय तृतीया 14 मई शुक्रवार को है। इसी दिन भगवान श्री परशुराम जयंती भी है। अक्षय तृतीया तिथि 14 मई शुक्रवार सुबह 05 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी और 15 मई सुबह 08 बजे समाप्त होगी।

अक्षय तृतीया पर्व, पूजन एवं दान 14 मई शुक्रवार को ही करना शुभ होगा। कोरोना वायरस के कारण प्रदेश में लाक डाउन चल रहा है। जिस वजह से इस साल अक्षय तृतीया के दिन खरीददारी करना संभव नहीं है। कोरोना वायरस के चलते घर में ही पूजन एवं घर के आस पास जरूरतमंद लोगों को दान करें।इस दिन देव-पितृ तर्पण यज्ञ, होम दान आदि कर्म करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि अक्षय का अर्थ है ।जो कभी भी खत्म नहीं होता अर्थात् जिसका कभी अंत नहीं होता। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार यह दिन सौभाग्य और सफलता का सूचक है। इस दिन को सर्वसिद्धि मुहूर्त दिन भी कहते हैं। इस दिन शुभ काम के लिए पंचांग देखने की जरूरत नहीं होती।

इस दिन लोग सोना लेना, चांदी लेना, नवीन बर्तन लेना, नया वाहन लेना, जमीन लेना, नया मकान लेना, गृह प्रवेश, इत्यादि जैसे कार्यों के लिए तो लोग इस तिथि का विशेष उपयोग करते हैं। अक्षय तृतीया के दिन खरीदे गए बेशकीमती आभूषण एवं सामान शाश्वत समृद्धि के प्रतीक हैं। इस दिन खरीदा व धारण किया गया सोना अखण्ड सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। इस दिन शुरू किए गए किसी भी नए काम या किसी भी काम में लगाई गई पूंजी में सदा सफलता मिलती है। वह फलता-फूलता है। यह माना जाता है कि इस दिन खरीदा गया सोना कभी समाप्त नहीं होता, क्योंकि भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी स्वयं उसकी रक्षा करते हैं।

इस दिन दान का महत्व: अच्छी नियत से दी गयी हर वस्तु के दान का पुण्य लगता है। इस दिन घी, शक्कर, अनाज, फल, सब्जी, इमली, कपड़े, सोना, चांदी, जौ, गेहूं, सत्तू, दही चावल, मिट्टी का घड़ा, फल आदि का दान देना चाहिए। इस दिन छोटे से छोटे दान का भी बहुत महत्व है। फिर भी एक दिलचस्प मान्यता के अनुसार अक्षय तृतीया पर इलेक्ट्रॉनिक्स सामान देने का भी महत्व है।इस दिन कई लोग पंखे, कूलर आदि का दान करते हैं। दरअसल इसके पीछे यह धारणा है की यह पर्व गर्मी के दिनों में आता है और इसलिए गर्मी से बचने के उपकरण दान में देने से लोगों का भला होगा।

अक्षय तृतीया के दिन का महत्व: अक्षय तृतीया पर्व का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु जी के छठे अवतार परशुराम जी का जन्म हुआ। मां गंगा का अवतरण हुआ था अन्नपूर्णा का जन्म की भी मान्यता है। कुबेर को आज के दिन खजाना मिला था। द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज के ही दिन बचाया था। सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ इसी दिन हुआ था। कृष्ण और सुदामा का मिलन भी अक्षय तृतीया पर हुआ था। ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण, प्रसिद्ध तीर्थ बद्री नारायण का कपाट आज के दिन खोले जाते हैं। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं। अन्यथा सालभर चरण वस्त्रों से ढके रहते हैं।महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था। इस दिन श्री गणेश जी, भगवान शिव माता पार्वती श्री लक्ष्मीनारायण, भगवान श्री परशुराम जी, कुबेर जी की पूजा करें। 

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