Ladakh Tourism: सैलानियों में रोमांच के साथ देशभक्ति की उमंग जगाएगा सियाचिन का सफर, जानिए क्या होगा खास!
Ladakh Tourism केंद्र ने वर्ष 2019 में सियाचिन समेत कुछ अन्य अग्रिम क्षेत्रों में पर्यटकों को आने की इजाजत देने की तैयारी की थी। तभी सियाचिन के आधार शिविर से कुमार पोस्ट तक पर्यटकों को जाने देने पर सहमति बनी थी।
जम्मू, विवेक सिंह: खून जमा देने वाली ठंड और बर्फीले तूफानों से मुकाबले-- का जज्बा रखते हैं तो सियाचिन के ग्लेशियर आपको बुला रहे हैं। सब सही रहा तो इस गर्मी से पहले रक्षा मंत्रालय और लद्दाख के पर्यटन विभाग की इस साहसिक एवं महत्वाकांक्षी परियोजना जल्द सिरे चढ़ सकती है। उम्मीद है कि पर्यटकों को 11 हजार फीट पर सियाचिन बेस कैंप से आगे 16 हजार फीट पर स्थित कुमार पोस्ट तक जाने की अनुमति मिल सकती है। कदम-कदम पर खतरे और आक्सीजन की कमी के बावजूद सेना के जवान ग्लेशियर पर मजबूती से डटे रहते हैं। निश्चित तौर पर हमारे जवानों का जज्बा पर्यटकों में देशभक्ति की उमंग जगाएगा।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के लद्दाख के प्रतिनिधिमंडल को विश्वास दिलाने के बाद पर्यटन से बेहतर भविष्य की उम्मीदें लगाने वाले लद्दाख के लोग उत्साहित हैं। पर्यटकों की आमद बढ़ने की उम्मीद से आम लद्दाखी खुश हैं ही, पर्यटन विभाग भी तैयारियों में जुटा है। दूरदराज क्षेत्रों में पर्यटकों को पहुंचाने के लिए हेलीपैड बनाए जा रहे हैं। हालांकि, इस खतरों से भरी यात्रा की मंजूरी के लिए पर्यटकोंं को कई तरह की स्वास्थ्य जांच से गुजरना होगा।
केंद्र ने वर्ष 2019 में सियाचिन समेत कुछ अन्य अग्रिम क्षेत्रों में पर्यटकों को आने की इजाजत देने की तैयारी की थी। तभी सियाचिन के आधार शिविर से कुमार पोस्ट तक पर्यटकों को जाने देने पर सहमति बनी थी। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत भी स्पष्ट कर चुके हैं कि लद्दाख के अग्रिम इलाकों को पर्यटन के लिए खोला जा सकता है।
नई दिल्ली में रक्षा मंत्री से मिले थे लद्दाख के नेता: सांसद जामयांग र्सेंरग नाम्गयाल व लेह पर्वतीय विकास परिषद के चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसिलर ताशी ग्यालसन की अध्यक्षता में प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली में रक्षामंत्री से मिला था। इस दल ने पर्यटकों को कुमार पोस्ट तक सीमित न रखते हुए उन्हेंं ग्लेशियर के अन्य कुछ इलाकों तक जाने की इजाजत देने पर भी जोर दिया था।
वर्ष 2016 तक नौ साल चला था ट्रैकिंग अभियान: वर्ष 2016 तक सेना की देखरेख में सियाचिन ग्लेशियर में पर्यटकों को लाने के लिए साल में एक बार अभियान होता था। इस अभियान में नागरिकों व सैनिकों का संयुक्त समूह वर्ष में एक बार सियाचिन तक पहुंचता था। आठ दिन के अभियान के दौरान पर्यटक बेस कैंप से कुमार पोस्ट तक साठ किलोमीटर ट्र्रैंकग करते थे। वर्ष 2007 में शुरू हुए अभियान को 2016 में रोक दिया था। ग्लेशियर को पर्यटन के लिए खोलना पहले चलाए जाने वार्षिक अभियानों से बिल्कुल अलग है।
लद्दाख के दूरदराज के क्षेत्रों में जाने के लिए आवश्यक है परमिट: पर्यटकों को लद्दाख के दूरदराज के क्षेत्रों में जाने से पहले इनर लाइन परमिट लेना पड़ता है। पड़ोसी देशों से सटे इलाके पर्यटकों के लिए प्रतिबंधित हैं। इन इलाकों में खारदूंगला पास, नूबरा वेली, श्योक वेली, चांगला पास, तांग्तसे, पैंग लेक, त्सो मोरीरी लेक धानू वेली व बटालिक इलाके शामिल हैं।
बिना निगरानी आगे नहीं जा सकते: लद्दाख के काउंसिलर स्टेंजिन लाकपा कहते हैं कि सेना की निगरानी के बिना पर्यटक आगे नहीं जा सकते। हम मांग कर रहे हैं कि चांगथांग के नीमा व नूबरा के कुछ इलाके भी पर्यटकों के लिए खोले जाएं। अग्रिम इलाकों में पर्यटकों के आने र्आिथक उन्नति आएगी।
तैयार हो रहे 36 हेलीपैड: लद्दाख में कोरोना संक्रमण से प्रभावित पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उपराज्यपाल प्रशासन अग्रिम इलाकों तक पयटकों को पहुंचाने के लिए 36 हेलीपैड तैयार करवा रहा है।
क्यों आसान नहीं है बर्फीले रेगिस्तान का यह सफर बर्फ का रेगिस्तान कहा जाने वाला सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र भी रहा है। इसकी समुद्र तल से ऊंचाई 13 हजार फीट से 20 हजार फीट है। 10 फीसद आक्सीजन और खून जमा देने वाली बर्फ में जीवन कतई सरल नहीं है। यहां पल-पल बर्फीले तूफान चुनौती देते हैं। ऐसे में पर्यटकों को कुमार पोस्ट तक ले जाना चुनौती से कम नहीं होगा। हर महीने दुर्गम हालात के कारण औसत रूप से दो सैनिक देश के लिए शहादत देते हैं।